लखनऊ सरोजनी नगर क्षेत्र अंतर्गत अंधाधुंध पेड़ों की कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

लखनऊ सरोजनी नगर क्षेत्र अंतर्गत अंधाधुंध पेड़ों की कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9161507983)
लखनऊ : ( उमेन्द्र वर्मा – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक- 0 8 – अक्टूबर – 2021-शुक्रवार ।


              लखनऊ सरोजनी नगर क्षेत्र अंतर्गत अंधाधुंध पेड़ों की कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है

भू माफियाओं ,वन माफियाओं के आगे शिथिल सरोजनी नगर प्रशासन 8अक्टूबर गौरी ,सरोजिनी नगर लखनऊl सरोजनी नगर क्षेत्र अंतर्गत अंधाधुंध पेड़ों की कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरियाली के दुश्मन दबंग प्रॉपर्टी डीलर बिल्डर्स पलक झपकते ही बाग के बाग खाली कर देते हैं। ताजा मामला गौरी बिजनौर रोड का है जहां शांति बेकर्स के बगल में आज की रात आम का पेड़ काटकर गिरा दिया गया है। ज्ञातव्य हो कि सरोजनी नगर थाने और गौरी चौकी से चंद कदम की दूरी पर होने पर भी इसकी कोई सूचना नहीं है। वन क्षेत्राधिकारी रेंजर सरोजनी नगर का ऑफिस यहां से 1 किलोमीटर पर ही है। कुछ प्रॉपर्टी डीलरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की पेड़ कटाना ही जमीन का पहला कब्जा माना जाता है, बिजनौर कस्बे में डॉक्टर जय सिंह यादव ने बिना किसी लिखा पढ़ी के बीमार अस्वस्थ रहे किसान गंगा प्रसाद के आम का पेड़ कटवा डाला। जिसकी सूचना तत्काल स्थानीय पुलिस चौकी व वन क्षेत्राधिकारी सरोजिनी नगर को दी जा चुकी है। अपराध एवं अपराधियों की सारी सूचनाएं देने का काम पत्रकारों की ही जिम्मेदारी है। लेकिन यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि खबर लिखने के बाद पत्रकार को किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, दबंग भूमाफिया, खनन माफिया, वन माफिया, परंपरागत स्थानीय दबंग दलाल सब दुश्मन बन जाते हैं। स्थानीय अधिकारियों का ढुलमुल रवैया पत्रकार का मनोबल तोड़ता है। सरकार की छवि को नीचे तक ले जाने का कार्य इन्हें स्थानीय अधिकारियों का होता है। योगी की पारदर्शी व्यवस्था मैं स्थानीय तहसील प्रशासन थानों में कैसे पर्दा लगाया जाता है, इसकी जांच उच्च अधिकारियों द्वारा होनी ही चाहिए। दबंग भूमाफिया प्रॉपर्टी डीलरों के चंगुल में फंसे किसान न्याय मांगते मांगते पैसा ना मिलने के कारण सदमे में दम तोड़ देते हैं लेकिन ना पैसा मिलता है ना जमीन। शासन और प्रशासन को दी गई शिकायतों पर लीपापोती करने में माहिर इन कर्मचारियों पर कब और कैसे अंकुश लगेगा यह सोचने वाली बात है।

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