महामना ज्योतिबा फुले की कमल से गुलाम भारत की दास्तान – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

महामना ज्योतिबा फुले की कमल से गुलाम भारत की दास्तान

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गुलाम भारत की दास्तान :-इतिहास पर दृष्टिपात करने से यह जान पड़ता है कि कई लोगों ने किसी मिथ्या और साधारण कारणों के लिए देश की बहुत सारी प्रजा को उत्पीड़ित करके अंत में उनको बड़ी क्रूरता से जान से मार डाला,कई लोगों ने अपनी घृणित कामवासना की पूर्ति के लिए प्रजा की संभ्रांत , पवित्र और सुंदर महिलाओं के साथ बलात्कार और जुल्म किया,जुल्मी अभिलाषा के चलते ,छोटे – छोटे मामूली अपराधों के लिए प्रजा को बेहाल करके उनकी मृत्यु होने तक उन्हें तड़पाया जाता था,उस समय प्रजा को दण्डित करने का तरीका भी बड़ा विचित्र और भयानक था,उसका वृत्तांत सुनने से भी सुनने वाले का दिल डर के मारे कांप उठेगा और तन – बदन के रोंगटे खड़े हो जाएंगे ,फिर सुनने वाला आज के युग का ही कोई आदमी क्यों न हो,देखिए । किसी भी प्रजा को सूली पर

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Mukesh Bharti: Chief Editor-बहुजन इंडिया 24 न्यूज़

चढ़ाना कितना घोर अमानवीय कृत्य था,सूली के सुई जैसे नोकदार सिरे पर उसको बिठाकर वह नोक उस आदमी के सिर को छेदकर बाहर निकलने पर फिर उसे नीचे खींचना- उफ ! यह निर्दयता की चरम सीमा थी,उसी प्रकार उसके शरीर को चाबुक या गीली लकड़ी से पीट -पीटकर पूरे तन -बदन से खून बहने तक पीटते रहना ,फिर उन जख्मों पर नमक या इमली का पानी छिड़कना ,जिससे कि उसको भयंकर पीड़ा हो और उसे तड़फते हुए और तिलमिलाते हुए देखना या फिर कभी उसकी मोट बांधकर उठाना ,फिर पटकना या फिर हाथी को चंड बनाकर उसको हाथी के पांव से बांधना और उस हाथी को पथरीले रास्ते पर चलाना दौड़ना ( याद कीजिए उस घटना को ,जब प्रख्यात और पराक्रमी बिठोजीराव होलकर जैसे वीरों की नमकहराम पेशवाओं ने किस तरह दुर्गति की थी ) या उसके मुंह के तेल ,सिंदूर या उनके कान में गरम -पिघला हुआ सीसा डालना आदि सजाएं केवल द्वेष के कारण या मामूली अपराध के कारण प्रजा को सहनी पड़ती थीं,कुछ ही दिनों पहले की बात है ,जब आर्य पेशवा के अंतिम वंशज रावबाजी के कार्यकाल का अंत होने तक । किसान लोगों को लगान देने में भूल से थोड़ा भी विलंब होने पर उन्हें धूप में गर्दन को घुटनों तक और हाथ के पंजे को पांव के उंगलियों को छूने तक झुके रहना पड़ता था और उनकी पीठ पर एक बड़ा पत्थर रख दिया जाता था,कभी -कभी उस किसान की पीठ पर उसकी औरत को बिठा दिया था,नीचे से उसको मिर्ची का धुआं देकर प्रताड़ित किया जाता था,तात्पर्य यह कि ,उस समय प्रजा को कष्ट देने के काम में जो कुछ सुधार हो गया था ,वह अन्य देशों की प्रजा के दु:खों से तुलना करने पर इन पेशवाओं को ही प्रथम श्रेणी का पुरस्कार दिया जाएगा..” महामना ज्योतिबा फुले ” इशारा ( चेतावनी )-16- 17. ——-मिशन अम्बेडकर.

Facebook Post Mission Ambedkar 10 Dec 2021


 



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