बाबा साहब अम्बेडकर जी कहते हैं :- सुन ऐ नादान, मुझे भी कोई दौलत की कमी नहीं मुझको तेरे सम्मान की कोई फिकर नहीं होती
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ :सम्पादक मुकेश भारती (9161507983 )
आगरा :प्रिन्स कुमार (ब्यूरो रिपोर्ट )
बाबा साहब अम्बेडकर जी कहते हैं :- सुन ऐ नादान, मुझे भी कोई दौलत की कमी नहीं मुझको तेरे सम्मान की कोई फिकर नहीं होती
बाबा साहब अम्बेडकर जी कहते हैं :- सुन ऐ नादान, मुझे भी कोई दौलत की कमी नहीं मुझको तेरे सम्मान की कोई फिकर नहीं होती ! गगन को चुम रहा होता, मेरा भी ऊंचा-सा बंगला लड़ाई जो तेरे हको की, मैने कभी लड़ी नहीं होती !जिये होती मेरी भी औलादे, ऐश और आराम का जीवन , तुम्हारे बच्चो की खुशियो की मैंने, कहानी जो लिखी नहीं होती!छपी होती मेरी भी तस्वीरें,कागजो के इन टुकड़ों पर, तेरी खातिर जो मनुओ से, दुश्मनी मैंने करी ना होती ! जहां चाहत थी आजादी की तुझे, जो बैठे-बैठे न मिली होती ! बड़ा अफसोस हैं कि मेरा, रह गया अधुरा इक सपना.जो तुम मेरी औलादो ने मिलकर, मेरी निलामी की ना होती. बाबा साहब ने अंत मे बस यही कहा था शिक्षित बनों, संगठित रहो, संघर्ष करो !हम शिक्षित तो बन गए, लेकिन संगठित नहीं हो सकें ! अफसोस ! जब संगठित ही नहीं हो पाये तो संघर्ष किस बात का…और किसलिए बस “जय भीम” कहना और जय कारे लगाना ही हमारा कर्म और धर्म बन गया हैं !हम सब उनका संघर्ष ओर बलिदान भुल गये है!
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