भारत के लुटेरे और अन्यायी
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
अगर आपको लगता है अंग्रेज भारत के लुटेरे और अन्यायी थे तो आप अब भी गलत है
फिर अंग्रेजों द्वारा आपके लिए की गई उपलब्धियां भी जान लीजिये
और जानिये ब्राम्हणो द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ किये गए आंदोलन की वजह….
1- अंग्रेजो ने 1795
में अधिनयम 11 द्वारा
शुद्रों को भी सम्पत्ति
रखने का कानून बनाया।
2- 1773 में ईस्ट इंडिया
कम्पनी ने रेगुलेटिग एक्ट
पास किया जिसमें न्याय
व्यवस्था समानता पर
आधारित थी।6 मई 1775
को इसी कानून द्वारा
बंगाल के सामन्त ब्राह्मण
नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी।
3- 1804 अधिनीयम 3 द्वारा कन्या हत्या पर रोक
अंग्रेजों नेलगाई (लडकियों
के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के
स्तन पर
धतूरे का
लेप लगाकर, एवम्
गढ्ढाबनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा
जाता था
4- 1813 में ब्रिटिश सरकार
ने कानून बनाकर शिक्षा
ग्रहण करने का सभी
जातियों और धर्मों के
लोगों को अधिकार दिया।
5- 1813 में ने दास प्रथा
का अंत कानून बनाकर
किया।
6- 1817 में समान नागरिक
संहिता कानून बनाया
(1817 के पहले सजा का
प्रावधान वर्ण के आधार
पर था। ब्राह्मण को कोई
सजा नही होती थी ओर
शुद्र को कठोर दंड दिया
जाता था। अंग्रेजो ने सजा
का प्रावधान समान कर
दिया।)
7- 1819 में अधिनियम 7
द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शुद्र
स्त्रियों के शुद्धिकरण पर
रोक लगाई। (शुद्रोंकी शादी
होने पर दुल्हन को अपने
यानि दूल्हे के घर न जाकर
कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक
सेवा देनी पड़ती थी।)
8- 1830 नरबलि प्रथा पर
रोक
( देवी -देवता को प्रसन्न
करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों,
स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर
में सिर पटक पटक कर
चढ़ा देता था।)
9- 1833 अधिनियम 87
द्वारा सरकारी सेवा में भेद
भाव पर रोक अर्थात
योग्यता ही सेवा का
आधार स्वीकार किया
गया तथा कम्पनी के
अधीन किसी भारतीय
नागरिक को जन्म स्थान,
धर्म, जाति या रंग के
आधार पर पद से वंचित
नही रखा जा सकता है।
10-1834 में पहला भारतीय विधि आयोग
का गठन हुआ। कानून
बनाने की व्यवस्था जाति,
वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।
11-1835 प्रथम
पुत्र को गंगा दान पर रोक (ब्राह्मणों ने नियम बनाया
की शुद्रों के घर यदि पहला
बच्चा लड़का पैदा हो तो
उसे गंगा में फेंक देना
चाहिये।
पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं
स्वस्थ पैदा होता है।यह
बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न
पाए इसलिए पैदा होते ही
गंगा को दान करवा देते थे।
12- 7 मार्च 1835 को
लार्ड मैकाले ने शिक्षा
नीति राज्य का विषय
बनाया और उच्च शिक्षा
को अंग्रेजी भाषा का
माध्यम बनाया गया।
13- 1835 को कानून
बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों
को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
14- दिसम्बर 1829 के
नियम 17 द्वारा विधवाओं
को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
15- देवदासी प्रथा पर
रोक लगाई।ब्राह्मणों के
कहने से शुद्र अपनी
लडकियों को मन्दिर की
सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका
शारीरिक शोषण करते थे।
बच्चा पैदा होने पर उसे
फेंक देते थे।और उस
बच्चे को हरिजन नाम
देते थे।
1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़
23 लाख थी जिसमें 2
लाख देवदासियां मन्दिरों
में पड़ी थी।
यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल
रही है।
16- 1837 अधिनियम
द्वारा ठगी प्रथा का अंत
किया।
17- 1849 में कलकत्ता
में एक बालिका विद्यालय
जे ई डी बेटन ने स्थापित
किया।
18- 1854 में अंग्रेजों ने
3 विश्वविद्यालय कलकत्ता
मद्रास और बॉम्बे में
स्थापित किये। 1902 मे
विश्वविद्यालय आयोग
नियुक्त किया गया।
19- 6 अक्टूबर 1860
को अंग्रेजों ने इंडियन
पीनल कोड बनाया।
लार्ड मैकाले ने सदियों
से जकड़े शुद्रों की
जंजीरों को काट दिया
ओर भारत में जाति, वर्ण
और धर्म के बिना एक
समान क्रिमिनल लॉ
लागु कर दिया।
20- 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक
पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल
निर्माण पर शुद्रों को
पकड़कर जिन्दा चुनवा
दिया जाता था इस पूजा
में मान्यता थी की भवन
और पुल ज्यादा दिनों
तक टिकाऊ रहेगें।
21- 1867 में बहू विवाह
प्रथा पर पुरे देश में
प्रतिबन्ध लगाने के
उद्देश्य से बंगाल सरकार
ने एक कमेटी गठित
किया ।
22- 1871 में अंग
्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक
हुई । 1948 में पण्डित
नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर
रोक लगा दी।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |