लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पत्रकारिता को कोई भी राजनीतिक पार्टियों ने अपने संकल्प पत्र में नहीं दिया स्थान की गई पत्रकारिता की उपेक्षा
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
लखीमपुर खीरी : सर्वेश कुमार राज – ब्यूरो रिपोर्ट
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पत्रकारिता को कोई भी राजनीतिक पार्टियों ने अपने संकल्प पत्र में नहीं दिया स्थान की गई पत्रकारिता की उपेक्षा
लखीमपुर खीरी जहां भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे हैं उत्तर प्रदेश राज्य में जहां राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार उतार कर एड़ी से सिर तक जोर लगा रही हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपने संकल्प पत्र को मीडिया पत्रकारिता का स्थान नहीं दिया है जबकि प्रधान संपादक मुकेश भारती व अन्य पत्रकार सर्वेश कुमार राज व अनुज वर्मा अन्य पत्रकारों में चिंता करते हुए कहा है किसी भी पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में पत्रकारों की उपेक्षा करते हुए कोई भी स्थान नहीं दिया गया है यह बहुत ही चिंतनीय विषय है लोकतंत्र के चार स्तंभ कार्यपालिका न्यायपालिका विधायिका और चौथा स्तंभ पत्रकारिता सिर्फ एक लेखन शैली नहीं जन सरोकार जन हितेषी व शासन प्रशासन के बीच की प्रमुख कड़ी भी है एक जिम्मेदार पत्रकार स्पष्ट रूप से धरातल से जुड़े जनमानस की आवाज शासन-प्रशासन तक मुख्य जिम्मेदारी से पहुंचाता है लेकिन समय के साथ आए बदलाव पत्रकार उत्पीड़न का शिकार होते हैं जिससे पत्रकारिता को सही दिशा नहीं मिलती है जबकि पत्रकार अपनी कलम की ताकत से सच्चाई को दिखाता है लेकिन पत्रकारो के अधिकारों का हनन करना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का अपमान करना है एक अवैतनिक पद पर कार्य करने वाला पत्रकार समाज की सेवा करता है संविधान के चौथे स्तंभ में से आज तक एक स्तंभ पत्रकारिता अपने आप में कमजोर नजर आ रही है आए दिन देशभर में लगातार बढ़ रहे पत्रकारों पर हमले होते हैं समाज और सरकार की आवाज उठाने वाले पत्रकार के लिए क्यों सरकार कोई ठोस कानून बनाकर उन्हें सुरक्षा का एहसास नहीं दिलाती है यह एक चिंतनीय विषय है जो समाज से लेकर सरकार तक की आवाज पूरे विश्व में फैलाता है चाहे सर्दी गर्मी या धूप की बिना परवाह करते हुए हर उस तबके की आवाज बनता है जिसकी आवाज को बाहुबली व अपराधी दबाने की कोशिश करते हैं हाल ही में आई महामारी त्रासदी करोना में अपने धर्म का पालन करते हुए कितने पत्रकार साथियों ने अपने प्राणों की आहुति दिया है आवश्यकता पड़ने पर समाज और सरकार पत्रकारों का साथ नहीं देती है अपनी सुरक्षा के लिए लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा बिल की मांग करते आए हैं लेकिन सरकार के द्वारा पत्रकारों को आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है चाहे 2022 का बजट बिल हो और चाहे सभी पार्टियों के संकल्प पत्र हो लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को निराशा ही हाथ लगी।
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