मथुरा मां.कांशीराम को बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

मथुरा मां.कांशीराम को बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित

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मथुरा मां.कांशीराम को बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित 

मां.कांशीराम को बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित करने वाले दीना भाना वाल्मीकि के बारे में जाने वो कौन थे।जयपुर के राजस्थान में 28 फरवरी 1928 को जन्मे बामसेफ के संस्थापक सदस्य मा० दीना भाना जी इन्होने बामसेफ संस्थापक अध्यक्ष मान्यवर कांशीराम साहब को बाबासाहब के विचारो से प्रेरित किया था। मा० कांशीराम साहब ने बाबा साहब के विचारो को पूरे भारत में फैलाया था। आज पूरे देश मे जय भीम, जय मूलनिवासी की जो आग लगी है उसमे चिंगारी लगाने का काम वाल्मीकि समाज के महापुरूष मा० दीना भाना जी ने किया था ।दीनाभाना जी जिद्दी किस्म के शख्स थे। बचपन मे उनके पिताजी सवर्णों के यहां दूध निकालने जाते थे इससे उनके मन मे भी भैंस पालने की इच्छा हुई। उन्होने पिताजी से जिद्द करके एक भैस खरीदवा ली लेकिन जातिवाद की वजह से भैस दूसरे ही दिन बेचनी पडी थी।

बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) मो ० 9161507983):मथुरा : ( विजय कुमार – ब्यूरो रिपोर्ट )- दिनांक 28 फरवरी 2022- सोमवार ।

 

कारण ? जिस सवर्ण के यहा उनके पिताजी दूध निकालने जाते थे उससे देखा नहीं गया उनके पिताजी को बुलाकर कहा तुम छोटी जाति के लोग हमारी बराबरी करोगे तुम भंगी लोग सुअर पालने वाले भैस पालोगे यह भैस अभी बेच दो उनके पिता ने अत्यधिक दबाब के कारण भैस बेच दी। यह बात दीनाभाना जी के दिल मे चुभ गयी और उन्होने घर छोड दिया और दिल्ली भाग गए। वहां उन्होने बाबासाहब के भाषण सुने और भाषण सुनकर उन्हे यह लगा कि यही वह शख्स है जो इस देश से जातिवाद समाप्त कर सकता है। दीनाभानाजी ने बाबासाहब के विचार जाने समझे और बाबासाहब के निर्वाण के बाद भटकते भटकते पूना आ गये। और पूना मे गोला बारूद फैक्टरी (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन – DRDO) मे सफाई कर्मचारी के रूप मे सर्विस प्रारंभ की। जहां मा० कांशीराम साहब (15.03.1934 – 09.10.2006) रोपड़ (रूपनगर) पंजाब निवासी क्लास वन आॅफिसर थे। लेकिन कांशीराम जी को बाबासहाब कौन हैं यह पता नही था। उस समय अंबेडकर जयंती की छुट्टी की वजह से दीनाभाना जी ने इतना हंगामा किया था कि जिसकी वजह से दीनाभाना जी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इस बात पर कांशीराम जी नजर रखे हुये थे उन्होने दीनाभाना जी से पूछा कि यह बाबासाहब कौन हैं जिनकी वजह से तेरी नौकरी चली गयी। दीनाभाना जी व उनके साथी विभाग में ही कार्यरत महार जाति में जन्मे नागपुर, महाराष्ट्र निवासी मा० डी०के० खापर्डे जी (13.05.1939 – 29.02.2000) जो बामसेफ के द्वितीय संस्थापक अध्यक्ष थे। उन्होंने कांशीराम जी को बाबासाहब की ‘जाति विच्छेद’ नाम की पुस्तक दी जो कांशीराम जी ने रात भर में कई बार पढ़ी और सुबह ही दीनाभाना जी के मिलने पर बोले दीना तुझे छुट्टी और नौकरी दोनो ही मैं दिलाऊगा और इस देश मे बाबासाहब की जयंती की छुट्टी न देने वाले की जब तक छुट्टी न कर दूं तब तक चैन से नही बैेठूगा। क्योकि यह तेरे साथ साथ मेरी भी बात है तू चुहड़ा है तो मैं भी रामदासिया चमार हूं। कांशीराम साहब ने नौकरी छोड दी और बाबासाहब के मिशन को ‘बामसेफ’ संगठन बनाकर पूरे देश मे फैलाया उसके संस्थापक सदस्य दीनाभाना जी थे। इस महापुरुष का परिनिर्वाण पूना में 29 अगस्त 2006 को हो गया था। यदि दीनाभाना जी न होते तो न बामसेफ होता और बसपा न ही व्यवस्था परिवर्तन हेतु अंबेडकरवादी जनान्दोलन चल रहे होते। इस देश में जय भीम! का नारा भी गायब हो गया होता और न आज ब्राह्मणों की नाक में दम करने वाला जय मूलनिवासी! का नारा होता।सभी वाल्मीकि भाईयो से निवेदन है कि तथाकथित अपने महापुरुष वाल्मीकि एवं मा० दीनाभान जी संस्थापक सदस्य बामसेफ से प्रेरणा लेकर गंदे और नीच समझे जाने वाले कर्मों को छोड़ने का प्रयास करते हुए।शिक्षित बनो! संगठित रहो! संघर्ष करो! के सिध्दांतो पर चल कर अपनी व अपने मूलनिवासी समाज की उन्नति में एक मिसाल कायम करने का भरसक प्रयास करें।#जयभीमजय_वाल्मीकि

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