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lakhimpur News: Martyrs Day 23 मार्च शहीद दिवस

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lakhimpur News: Martyrs Day 23 मार्च शहीद दिवस
23 मार्च शहीद दिवस  मार्च को  मनाया जाता है  शहीद भगत सिंह को फांसी की सजा कब हुई 23 मार्च 1931 के दिन देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्योछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस. यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने का गौरव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भी श्रद्धांजलि देता है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था. आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं. बड़े साम्राज्य का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं.” भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दल ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेंबली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था. भगत भगत सिंह के बम फेंकने के बाद उनके द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था भगत सिंह का विचार था या वे चाहते थे कि इससे कोई खून – खराबा ना हो तथा अंग्रेजो तक उसकी आवाज पहुंचे.”. इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी (British Police Officer) जेपी सांडर्स (JP sanders) की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला।यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र (Conspiracy) के नाम से जाना जाता है. 2 साल जेल प्रवास के दौरान भी भगत सिंह क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े रहे और लेखन व अध्ययन भी जारी रख।

बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) मो ० 9336114041)lakhimpur – (Sandeepa Ray  – ब्यूरो रिपोर्ट )- दिनांक 23 मार्च 2022- बुधवार ।

शहीद सुखदेव ;सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लायलपुर पाकिस्तान में हुआ. भगत सिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर के पास ही रहने से इन दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज (Lahore National College) के छात्र थे. सांडर्स (Sanders) हत्याकांड में इन्होने भगत सिंह व राजगुरु का साथ दिया था। शहीद राजगुरु: 24 अगस्त 1908 को पुणे जिले की खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ. शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे. पुलिस की अधिक पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स JP Sanders को गोली मार दी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे इन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्जवल चरित्र को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं. भगत सिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में क्रांति की जो मशाल जलाई उसके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी. फांसी पर जाने से पहले तक भी वे लेनिन (Lenin) की जीवनी पढ़ रहे थे।

बलिदान हुए जो वीर जवां, उनको नमन हमारा।। बिना मतलब के वीरों ने,
दुर्बल को नहीं मारा। जो शहीद हुए सरहद पर, उनको नमन हमारा।।
उनकी राहों पर हम इन्हें, चलना सिखाएंगे। 
ये बच्चे गाएंगे।। पवित्र देश भारत जो
जो बलिदान हुए जो वीर जवां, उनको नमन हमारा।

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