समस्तीपुर भारतीय पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर के रूप में मोदी शासनकाल याद किया जाएगा :-सुनील – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

समस्तीपुर भारतीय पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर के रूप में मोदी शासनकाल याद किया जाएगा :-सुनील

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समस्तीपुर भारतीय पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर के रूप में मोदी शासनकाल याद किया जाएगा :-सुनील

लाकअप में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के चीरहरण के खिलाफ “विरोध मार्च” भारतीय पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर के रूप में मोदी शासनकाल याद किया जाएगा :-सुनील लाकअप में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का चीरहरण किया जा रहा है।सच लिखने, बोलने, दिखाने वालों को देशद्रोही करार देकर विभिन्न तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है।उन्हें जेल भेजकर यातनाएं दी जा रही है। क्या ऐसे ही चलेगा दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र? उक्त बातें भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सह पूर्व पत्रकार सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने सवालिया लिहजे में कहा. वे शुक्रवार को बतौर अतिथि नागरिक समाज, आइसा एवं जसम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विरोध मार्च को संबोधित कर रहे थे।

बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) मो ० 9336114041 )समस्तीपुर : (जकी अहमद – ब्यूरो रिपोर्ट )- दिनांक11 अप्रैल 2022- सोमवार ।

सीधी (मध्यप्रदेश) में भाजपा विधायक के खिलाफ खबर चलाने पर मध्यप्रदेश सरकार शिवराज सिंह चौहान सरकार के ईशारे पर पुलिस द्वारा पत्रकारों एवं रंगकर्मियों को गिरफ्तार कर अर्धनग्न कर हाजत में बंद कर अत्याचार करने के खिलाफ शहर के मवेशी अस्पताल से नागरिक समाज, आइसा एवं जसम के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला. कार्यकर्ता अपने- अपने हाथों में बैनर, नारे लिखे प्लेकार्ड लेकर भाजपा सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे. विरोध मार्च सर्किट हाउस, सदर अस्पताल से गुजरते हुए स्टेडियम गोलंबर पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता आइसा के जिला अध्यक्ष लोकेश राज ने किया. संचालन नागरिक समाज के सेवानिवृत्त फौजी रामबली सिंह ने किया। जसम के अरविंद आनंद, जीतेंद्र कुमार, आइसा राज्य उपाध्यक्ष सुनील कुमार, रोहित कुमार, पिंटू कुमार, मिथिलेश कुमार, धीरज कुमार, गंगा प्रसाद पासवान, माले के राज कुमार चौधरी, सुखदेव सहनी, अनील राम समेत अन्य गणमान्य लोगों ने सभा को संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि आज जब तीनों खंभे अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं, वैसी स्थिति में भी पत्रकारिता रूपी चौथा खंभा के प्रहरी जान पर खेल कर सच लिखने- दिखाने के लिए प्रयासरत हैं. वैसे पत्रकारों, लेखकों, रंगकर्मियों, आंदोलनकारियों जो सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करते हैं, उन्हें साजिश के तहत देशद्रोही करार दिया जाता है. उन्हें तंग- तवाह कर जेल भेजा जाता है. उनकी हत्यायें तक कर दी जाती है. परिवार को परेशान कर दिया जाता है. यह सरकार सच से डरती है. लेकिन हम देश, संविधान एवं लोकतंत्र बचाने की लड़ाई अपनी शहादत देकर भी जारी रखेंगे।

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