9.98 करोड़ की परियोजना की स्थलीय जांच में मिली कईं गड़बड़ियां भ्रष्टाचार का भेंट-हथौड़ी के प्रहार से टूटा पिलर – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

9.98 करोड़ की परियोजना की स्थलीय जांच में मिली कईं गड़बड़ियां भ्रष्टाचार का भेंट-हथौड़ी के प्रहार से टूटा पिलर

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9.98 करोड़ की परियोजना की स्थलीय जांच में मिली कईं गड़बड़ियां

संवाददाता -लखीमपुर खीरी- सर्वेश कुमार:जनपद लखीमपुर खीरी के गोला क्षेत्र में जमुनाबाद कृषि फार्म चढ़ा भ्रष्टाचार का भेंट-हथौड़ी के प्रहार से टूटा पिलर।
लखीमपुर खीरी। कृषि विभाग के राजकीय जमुुनाबाद फार्म गोला में 9.98 करोड़ की लागत से कराए जा रहे डेवलपमेंट ऑफ गवर्नमेंट एग्रीकल्चर सीड मल्टीप्लीकेशन के कार्य में कई गड़बड़ियां मिली हैं। डीएम द्वारा गठित जांच टीम ने डीएसटीओ राजेश सिंह की अगुवाई में परियोजना के कार्यों का तकनीकी स्थलीय सत्यापन किया, तो निर्माण कार्य की गुणवत्ता खराब मिली है। आरसीसी का बीम हथौड़े के मामूली प्रहार से टूट रहा है। कई अन्य तरह की तकनीकी खामियां भी मिली हैं। जनपद में 50 लाख से अधिक लागत के निर्माण कार्यों की तकनीकी स्थलीय जांच के लिए डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने तकनीकी जांच टीम गठित की है। जिसमें डीएसटीओ राजेश सिंह की अगुवाई वाली टीम ने राजकीय जमुनाबाद फार्म में 25 अगस्त 2021 से प्रारंभ हुई परियोजना के कार्यों का निरीक्षण किया। परियोजना की कुल लागत 998.84 लाख है। जिसके सापेक्ष 499.41 लाख बजट अवमुक्त हो चुका है। अब तक निर्माण कार्य पर 218 लाख रुपये व्यय किए जा चुके हैं।

जमुनाबाद कृषि फार्म चढ़ा भ्रष्टाचार का भेंट

टीम ने सबसे पहले वायर फेंसिंग कार्य का निरीक्षण किया। 1200 मीटर (रनिंग मीटर में) लगभग 5200 नग आरसीसी पिलर लगाने का प्रस्ताव है। मौके पर 150 नग पिलर लगे पाए गए, जो प्रस्तावित मानक दूरी के अनुरूप नहीं हैं। जांच टीम ने पिलर की गुणवत्ता परखी तो पाया कि हथौड़े के साधारण प्रहार से आरसीसी पिलर टूट रहा है। जिसका कारण सरिया, सीमेंट एवं गिट्टी मानक के अनुरूप प्रयोग नहीं की गई है।अवर अभियंता से जांच टीम ने क्यूब टेस्ट की रिपोर्ट मांगी तो पता चला कि अभी टेस्टिंग ही नहीं कराई गई है। जांच में पता चला कि इसी प्रकार के पर्याप्त मात्रा में आरसीसी पिलर ढाले हुए साइट पर स्टोर किए मिले। जिनकी क्यूरिंग मानक के अनुसार नहीं की जा रही है। डीएसटीओ ने अधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में सभी 150 पिलर को अधोमानक करार दिया है और स्टोर में रखे पिलर को भी प्रयोग न करने को कहा है। साथ ही पिलर के मैटेरियल के नमूने की जांच इंजीनियरिंग कालेज से कराने की मांग की है।

जमुनाबाद कृषि फार्म चढ़ा भ्रष्टाचार का भेंट

मुख्य भवन के निर्माण की जांच में पाया कि कार्य बंद था। दीवार में प्रयोग की गई ईंट मानक के अनुरूप नहीं हैै। वर्कमैनशिप व क्यूरिंग का कार्य खराब मिला। यहां भी आरसीसी पिलर के एजेज हथौड़े के प्रहार से टूट गए। जांच टीम ने इसे भी अधोमानक बताया है। सेप्टिक टैंक के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया गया तो पाया कि आगणन के प्राविधान के विपरीत निर्माण किया गया है। दीवारों की मोटाई भिन्न-भिन्न होनी चाहिए, लेकिन 23 सेंटीमीटर मोटाई की दीवार पाई गई जो मानक के अनुरूप नहीं है। जांच टीम में प्रांतीय खंड के एई राजेश वर्मा, कार्यदाई संस्था यूपीआरएनएसएस के जेई व कार्य प्रभारी विपिन पांडेय शामिल रहे।परियोजना स्थल से छह वस्तुओं के नमूने लिए डीएसटीओ राजेश सिंह ने बताया कि जांच टीम ने जमुनाबाद फार्म पर हो रहे कार्य स्थल से छह वस्तुओं के नमूने लिए हैं। जिनमें सरिया के तीन टुकड़े, आठ ईंट का सेट, कोर्स सैंड, स्टोन ग्रिट, सीमेंट एक बोरी बिरला सम्राट व एक बोरी अल्ट्राटेक और आरसीसी पिलर में प्रयोग किया गया मोर्टार का नमूना लिया गया है। इन वस्तुओं को जांच के लिए आईआईटी लखनऊ भेजा गया है।

‘जमुनाबाद कृषि फार्म पर 9.98 करोड़ की लागत से परियोजना के कार्य कराए जा रहे हैं, जिनकी जांच में गुणवत्ता समेत कई तरह की कमियां मिली हैं। सैंपल लेकर जांच के लिए आईआईटी की लैब भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट आने पर कार्यदायी संस्था व संबंधित निर्माण एजेंसी के विरुद्घ कार्रवाई की जाएगी।’ – अनिल कुमार सिंह, सीडीओ

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