पत्रकार के भाई के अपहरण के 24 घंटे बाद भी नहीं हुआ कोई खुलासा
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संवाददाता -सुल्तानपुर कादीपुर-संतोष कुमार:
सुल्तानपुर कादीपुर- पत्रकार राम आशीष प्रजापति के भाई जीत बहादुर अपनी पत्नी के साथ राहुल नगर चौराहे पर शादी को लेकर कल 30 तारीख को आभूषण खरीदने गए थे। उनकी पत्नी 4 जोड़ी बिछुआ और 1 जोड़ी पायल खरीदी ही थी कि कुछ अज्ञात लोगों ने अचानक सुनार की दुकान पर आभूषण और पर्स छीन लिए और उनके पति को गाड़ी में बैठा लिए। पत्नी द्वारा विरोध करने पर अज्ञात लोगों ने मां बहन की भद्दी भद्दी गालियां देते हुए जान से मारने तथा जेल भिजवाने की धमकी देकर चले गए।उपरोक्त मामले की जानकारी पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा को लिखित रूप से प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया है। दिए गए प्रार्थना पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उनके भाई की मोटरसाइकिल पैशन प्रो यूपी 16 एक्यू 9923 को भी लेकर चले गए।
उक्त प्रकरण के संबंध में थाना अध्यक्ष अखंड नगर व थानाध्यक्ष दोस्तपुर तथा क्षेत्राधिकारी कादीपुर से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो वह भी उचित कारण बताने में आनाकानी कर रहे हैं और मामले में अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं।सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि थानाध्यक्ष अखंड नगर के थाना क्षेत्र में अपहरण की इतनी बड़ी घटना घट गई लेकिन उनको इस बात की कोई जानकारी नहीं है इससे यह साबित होता है कि युवा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। थानाध्यक्ष के इस संवेदनहीन रवैया से अपराधियों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हो चुके हैं और थानाध्यक्ष से लेकर सीओ तक के जिम्मेदार अधिकारियों के उदासीन रवैया से जनता भय के माहौल में घुट घुट कर जीने को विवश है। सीओ कादीपुर के अनुसार कोई लूटपाट की घटना दिनांक 31 मई 2022 को 3:00 बजे के आसपास हुई है किंतु 24 घंटे पहले ही किसी निर्दोष व्यक्ति को बिना किसी आरोप के और बिना परिजनों को किसी भी प्रकार की जानकारी दिए भला किसी विभाग की टीम कैसे गिरफ्तार कर सकती है? पुलिस अधिकारी इस बात की जानकारी देने से भी इस कारण से कतरा रहे हैं कि यदि प्रशासन की किसी भी प्रकार की टीम ने पत्रकार के भाई की गिरफ्तारी की है तो किस आरोप में और किस अपराध के कारण?इससे पुलिस विभाग और प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया उजागर हो रहा है। इतना ही नहीं पत्रकार के रिश्तेदारों के मुताबिक उनके रिश्तेदारी में भी गुप्त अज्ञात लोग जाकर बैंक पासबुक आधार कार्ड और मोबाइल जैसे व्यक्तिगत कागजात आदि भी जबरदस्ती और गुंडागर्दी करके और पत्रकार के बहनोई को भी लेकर चले गए और बिना किसी कारण बताए। पुलिस प्रशासन के इस उदासीन और निरंकुश रवैया से पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। पत्रकार संगठन भी इस बात पर गंभीर चिंतन और मंथन कर रहे हैं कि यदि प्रशासन इस मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठाता है तो इस पर कोई ठोस कदम उठाने के लिए विवश हो सकते हैं। रिपोर्ट संतोष कुमार।
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