मैनपुरी में अपरिभाषित संख्या बटे शून्य व शून्य बटे शून्य तथा महासूत्रों का अलीगंज में हुआ ऐतिहासिक प्रदर्शन – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

मैनपुरी में अपरिभाषित संख्या बटे शून्य व शून्य बटे शून्य तथा महासूत्रों का अलीगंज में हुआ ऐतिहासिक प्रदर्शन

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संवाददाता : : मैनपुरी : : अवनीश कुमार :: Date :06 – 9 -2022 :: मैनपुरी में अपरिभाषित संख्या बटे शून्य व शून्य बटे शून्य तथा महासूत्रों का अलीगंज में हुआ ऐतिहासिक प्रदर्शन

मैनपुरी:–इस एतिहासिक प्रदर्शन का प्रचार प्रसार 2 सितंबर से ही सोसल मीडिया ( फेसबुक, ब्हाटसप, इस्टाग्राम, कुटुंब एप, मेसेंजर आदि ) पर बड़े जोर शोर से होने लगा। इसका प्रचार प्रसार कार्यक्रम के आयोजक न्यू दस्तक क्लासिस, अलीगंज (NEW DASTAK CLASSES ALIGANJ ) ने सोसल मीडिया के अतिरिक्त सड़कों पर जगह-जगह बैनर लगा कर भी किया।

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मैनपुरी:–इस एतिहासिक प्रदर्शन का प्रचार प्रसार 2 सितंबर से ही सोसल मीडिया ( फेसबुक, ब्हाटसप, इस्टाग्राम, कुटुंब एप, मेसेंजर आदि ) पर बड़े जोर शोर से होने लगा। इसका प्रचार प्रसार कार्यक्रम के आयोजक न्यू दस्तक क्लासिस, अलीगंज (NEW DASTAK CLASSES ALIGANJ ) ने सोसल मीडिया के अतिरिक्त सड़कों पर जगह-जगह बैनर लगा कर भी किया। विभाजिता के महासूत्रों के खोजक रत्नेश कुमार ने बताया कि विभाज्यता के महासूत्र की सहायता से प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के नियम बनाए जा सकते हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के नियम कुछ ही पलों में बनाए जा सकते हैं अतः अब प्रत्येक संख्या के लिए उन्हें अलग अलग नियम याद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने बहुत सारी प्राकृतिक संख्याओं के विभाज्यता के नियम बनाकर दिखाए तथा बनाए गए नियमों का प्रयोग करके भी सबके समक्ष दिखाया। इसके बाद कई गणित प्रेमियों ने उनसे तमाम प्रश्न किए और उन प्रश्नों को उन्होंने बड़ी कुशलतापूर्वक सफेदबोर्ड पर करके दिखाया। कुछ गणित प्रेमियों ने बहुत बड़ी संख्याओं के लिए भी उनसे प्रश्न किए तो रत्नेश कुमार ने कहा कि छोटी संख्याओं के लिए विभाज्यता के महासूत्र से बहुत कम समय लगता है जबकि बड़ी संख्याओं के लिए महासूत्रों से उसी प्रकार अधिक समय लगता है जैसे यदि छोटी संख्याओं को जोड़ा जाए तो बहुत कम समय लगता है और बहुत बड़ी संख्याओं को आपस में जोड़ा जाए तो अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा समय लगता है। रत्नेश ने बताया कि विभाज्यता के महासूत्र की सहायता से सभी पूर्ण संख्याओं को 10 संख्या परिवारों में भी विभाजित किया जा सकता है। रत्नेश कुमार जी ने पूछे गए सभी प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया और सभी गणित प्रेमी सौ प्रतिशत संतुष्ट नजर आए। जब रत्नेश कुमार जी ने संख्या बटे शून्य का मान सिद्ध किया कि यदि किसी संख्या में शून्य का भाग है तो उसका उत्तर उस धनात्मक संख्या से अधिक आता है तथा यदि किसी ऋणात्मक संख्या में शून्य का भाग दिया जाए तो उत्तर उस ऋणात्मक संख्या से कम आता है। एक गणित प्रेमी ने प्रश्न किया कि शून्य का कोई अस्तित्व नहीं होता है तो उसका भाग कैसे दिया जा सकता है। तो रत्नेश ने बताया कि जिस प्रकार दो के दाई और शून्य लगा दे तो उसका मान बीस हो जाता है और दो के दाई और 2 शून्य लगा दे तो उसका मान 200 हो जाता है। और यदि शून्य का गुणा किसी संख्या में कर दें तो गुणनफल शून्य प्राप्त होता है। इस प्रकार शून्य के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। रत्नेश शाक्य ने कहा कि यदि किसी संख्या में एक से छोटी संख्या का भाग देते हैं तो उसका उत्तर उस संख्या से बड़ी संख्या आता है। जैसे 10 में यदि दशमलव एक ( .1) का भाग है तो उत्तर 100 आता है और यदि 10 में दशमलव शून्य एक ( .01) का भाग दें तो उत्तर 10,00 आता है और यदि 10 में दशमलव शून्य शून्य 1 ( .001) का भाग दें तो उत्तर 10,000 आता है। इस प्रकार निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि यदि किसी धनात्मक संख्या में शून्य का भाग दें तो उसका उत्तर उस धनात्मक संख्या से अधिक आएगा। रत्नेश ने संख्या बटे शून्य प्रकार की संख्याओं को प्रतिशून्य संख्या या रत्नेश संख्या नाम दिया है। इसके बाद रत्नेश कुमार ने अपनी गणनाओं से सभी गणित प्रेमियों के सामने सिद्ध किया कि जब प्रतिशून्य संख्याओं को आपस में गुणा या भाग किया जाता है तो शून्य बटे शून्य का उत्तर शून्य आता है तथा जब प्रतिशून्य संख्याओं को आपस में जोड़ा अथवा घटाया जाता है तो शून्य बटे शून्य का उत्तर एक आता है। गणित शिक्षक अनुभव शाक्य, प्रशांत पाल, प्रवेन्द्र, संतोष आदि ने कहा कि रत्नेश कुमार की इन सरल और स्पष्ट गणनाओं से सभी गलतफहमी और भ्रम दूर हो गये हैं। अभी तक संख्या बटे शून्य तथा शून्य बटे शून्य अपरिभाषित माना जाता रहा है लेकिन रत्नेश कुमार ने बहुत ही सरलता और स्पष्टता से संख्या बटे शून्य और शून्य बटे शून्य को परिभाषित कर इतिहास रच दिया है। रत्नेश की गणनाओं से समस्त गणित प्रेमी संतुष्ट नजर आए और उन्होंने रत्नेश कुमार को नए सूत्रों की खोज के लिए बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं दी।ऐतिहासिक प्रदर्शन के मुख्य अंश(1) विश्व के लिए अपरिभाषित संख्या/0 तथा 0/0 को किया सरलता और स्पष्टता से परिभाषित।(2) विभाज्यता के महासूत्रों की उदाहरण सहित की व्यख्या।(3) बहुत किये गये प्रश्न और प्रत्येक प्रश्न का मिला संतोषजनक उत्तर और गणित शिक्षकों, गणित प्रेमियों को रही 100% संतुष्टि।(4) महामानव तथागत गौतम बुध्द की विशाल तस्वीर गणितज्ञ रत्नेश को भेंट की गयी।(5) बड़ी संख्या में गणित प्रेमियों की रही उपस्थिति।(6) अलीगंज और आसपास की महान हस्तियों से हुई स्मरणीय गणितीय चर्चा, बीच बीच में गर्माता रहा माहौल। (7) न्यू दस्तक क्लासिस, अलीगंज(New Dastak classes , Aliganj)द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम। (8) अन्य कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी किया प्रतिभाग।

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