पत्रकार के मन की पीड़ा
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पत्रकार के मन की पीड़ा।
संवाददाता : : कासगंज ::रामेश्वर सिंह :: Date ::21 .11 .2022 ::लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाला मीडिया आज के दौर में क्यों अपने लक्ष्य से भटकता जा रहा है । आए दिन देखने को मिल रहा है कि स्वतंत्र, निर्भीक, निडर होकर जो पत्रकार साथी किसी अधिकारी कर्मचारी या राजनीतिक नेताओं के खिलाफ उनके द्वारा किए गए गलत व अवैध कारनामों की एक कलम का सिपाही अपनी जान जोखिम में डालकर कुछ लिखता और छापता है या फिर न्यूज़ चैनल पर प्रसारित करता है। तो उसके बदले में मिलती है धमकी या फिर उसके खिलाफ मनगढंत झूठी शिकायत पुलिस में की जाती है जिससे उस पर दबाव बनाया जा सके। दर असल उस कलम के सिपाही का भ्रस्टाचार उजागर के कार्य के प्रति पत्रकार का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ या किसी अधिकारी कर्मचारी या नेता के प्रति कोई भी कोई बैर द्वेष की भावना नहीं होती है बल्कि सिर्फ और सिर्फ पत्रकार का एक ही उद्देश्य और लक्ष्य होता है कि वह समाज में हो रहे सही गलत कारनामों को परदे से बाहर निकाल कर समाज व सरकार को सही आईना दिखाये । यही कार्य चाणक्य ने धनानन्द के शासन में की थी तो चाणक्य की चोटिया काट ली गयी थी। कोई सच्चा कलम का सिपाही यदि किसी सरकारी कर्मचारी अधिकारी या देश का कोई छोटा बड़ा राजनेता के खिलाफ उसके द्वारा किए गए गलत कारनामों की अपनी कलम की ताकत से खबर लिखता है तो उसके विरुद्ध फर्जी तरीके से झूठी शिकायतें ,झूठे मुकदमे लिख दिए जाते हैं। बड़ा दुख और अफसोस तो तब होता है जब हमारे ही मीडिया परिवार के कुछ साथी पत्रकार उन बेईमानो भ्रष्टाचारियों के साथ चोरी-छिपे उनका साथ देते हैं और अपने ही परिवार के साथ ही भाई की गर्दन पर छुरि चलाते हैं ये सब देख मेरा मन इतना दुखी और विचलित हो जाता है की शब्दों में बया नहीं किया जा सकता ।
आज के दौर को देखते हुये इस लेख को लिखनी पड़ रही है मेरे समस्त पत्रकार भाइयों से मेरा आग्रह है कि इस बात का विशेष ध्यान सदैव रखें कि वृक्ष कितना ही बड़ा क्यों ना हो यदि उसकी जड़ें जमीन में गहराई तक नहीं है तो वह वृक्ष किसी भी आंधी तूफान का सामना नहीं कर सकता। किसी भी दिन वह वृक्ष आंधी तूफान में गिर कर धराशाई हो जाएगा और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा इसलिए मेरे देश के समस्त सम्मानित पत्रकार साथियों से आग्रह है कि वह चाहे किसी भी मीडिया के प्लेटफार्म पर कार्य कर रहे हैं लेकिन हम सब आपस में भाई भाई हैं।हम सबको आपस में द्वेष भावना नहीं रखना चाहिए। सम्मानित पत्रकार भाइयों यदि हम संगठित हैं तो देश और दुनिया की कोई ताकत नहीं जो हमें हमारी कलम चलाने से रोक सके। इसलिए सम्मानित साथियों अभी भी वक्त है जागने और संगठित होने का क्योंकि हम सम्मानित साथियों का काम है सोते हुए समाज को जगाने का सही आईना दिखाने का और देश में चल रही अंधी गूंगी बहरी सरकारों को जगाने का लेकिन मेरे सम्मानित साथी भाइयों अफसोस है कि हम समाज और सरकारों को जगाने में लगे हैं लेकिन खुद के परिवार को नहीं जगा रहे हैं। इसलिए एक बार पुनः गुजारिश करूंगा कि अपने समस्त सम्मानित पत्रकार साथियों से की नींद से जागो और संगठित हो जाओ। संगठन में ही शक्ति है।पत्रकार एकता जिंदाबाद। जनपद कासगंज।
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