दातागंज पुलिस द्वारा ग्राम लहडौरा मे हुये सनसनीखेज दम्पत्ति हत्याकांड का खुलासा
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संवाददाता ::दातागंज – बदायूं::मोहमद आशिफ {C07} :: Date ::17 ::12::.2022::

दातागंज पुलिस द्वारा ग्राम लहडौरा मे हुये सनसनीखेज दम्पत्ति हत्याकांड का खुलासा
कलयुगी सगा भाई ही निकला भाई और भाभी का कातिल, मौके से आलाकत्ल बरामद ।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद बदायूं के निर्देशानुसार पुलिस अधीक्षक नगर व पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के कुशल निर्देशन व क्षेत्राधिकारी दातागंज के कुशल पर्यवेक्षण तथा प्रभारी निरीक्षक दातागंज सौरभ सिंह के नेतृत्व मे कोतवाली दातागंज पुलिस द्वारा दातागंज क्षेत्र के ग्राम लहडौरा मे हुये दम्पत्ति हत्याकाँड के प्रकाश मे आये अभि0 उदयवीर पुत्र कन्हई सिंह निवासी ग्राम लहडौरा थाना दातागंज जनपद बदायूँ को गिरफ्तार किया गया। तथा अभियुक्त की निशादेही पर हत्या म प्रयुक्त कुल्हाडी , नल का हत्था व घटना के समय अभियुक्त के द्वारा पहनी गयी शर्ट जिस पर खून के धब्बे थे बरामद किये गये।
घटना क्रम :-
थाना दातागंज पर श्री कन्हई सिंह पुत्र श्री जंगीसिंह निवासी ग्राम लहडौरा थाना दातागंज जिला बदायूँ के द्वारा लिखित सूचना दी गयी कि दिनांक 15.12.22 को प्रातः थाना दातागंज पर पहुँचकर सूचना दी गयी कि दिनांक 14/15.12.22 को मेरा लडका सोमवीर व उसकी पत्नी खुशबू जोकि घर के बरमदे सो रहे थे और दूसरा लडका उदयवीर भी उसी घर मे अन्दर के कमरे मे लेटा था सुबह करीब 05.30 बजे जब हम घर आये तो घर का दरवाजा खुला हुआ था तो बरामदे मे चारपाई से नीचे जमीन पर सोमवीर व उसकी पत्नी खुशबू मरी पडी थी । उदयवीर अन्दर कमरे मे बन्द था कमरे का ताला लगा हुआ था और चाबी आँगन मे पडी हुयी थी उदयवीर को बाहर निकालने पर उसने बताया कि अमरसिंह व उसके लडके सत्येन्द्र ने दो तीन अज्ञात व्यक्तियो के साथ मिलकर मेरे बेटे व बहू को सरिया से पीट पीटकर मार डाला। इस सूचना पर तत्काल मु0अ0स0 569/22 धारा 147/302/323 भादवि पंजीकृत कर विवेचना प्रभारी निरीक्षक दातागंज सौरभ सिंह द्वारा प्रारंभ की गयी तथा मौके पर पहुँचकर पुलिस /फारेन्सिक टीम द्वारा घटना स्थल का गहराई से निरीक्षण किया गया । तो मौके पर मिले साक्ष्यो से घटना के चस्मदीद गवाह उदयवीर द्वारा बताया गया पूरा घटना क्रम झूठा पाया गया इस सम्बन्ध मे और अधिक गहराई से विवेचना करने पर यह तथ्य प्रकाश मे आये कि वादी मुकदमा श्री कन्हई सिंह के कुल पाँच पुत्र थे जिनमे से तीन पुत्र विवाहित ,एक अविवाहित व मृतक सोमवीर की शादी एक डेढ साल पहले ही हुयी है उदयवीर को यह लगता था कि सोमवीर अविवाहित रहेगा औऱ उसका व ओमवीर का हिस्सा भी उनके बाद उदयवीर के नाम आ जायेगा। परन्तु सोमवीर के शादी कर लेने व उसकी पत्नी के गर्भवती हो जाने के बाद से उदय़वीर काफी खफा रहने लगा ।
मृतक सोमवीर के पिता के नाम करीब 40 वीघा जमीन व एक प्लॉट कस्बा फरीदपुर बरेली मे भी था श्री कन्हई सिंह ने अपने बडे पुत्र बुधपाल को करीब 7 वीघा व दूसरे पुत्र धर्मवीर को 4 वीघा जमीन दे दी थी तथा उदयवीर को मात्र फरीदपुर मे एक प्लॉट ही दिया था जबकि मृतक सोमवीर के नाम 6.5 वीघा जमीन का अलग से बैनामा भी करा लिया था जिससे उदयवीर काफी रुष्ठ था । श्री कन्हई सिंह की वाकि जमीनो की देखरेख का जिम्मा भी सोमवीर के पास ही था ।
बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (सम्पादक- मुकेश भारती ) किसी भी शिकायत के लिए सम्पर्क करे – 9336114041
अभियुक्त उदयवीर ने अपने भाई सोमवीर व अपने पिता श्री कन्हई से अपनी खेती का हिस्सा माँगा तो सोमवीर ने हिस्सा देने से साफ मना कर दिया तथा उदयवीर को काफी खरी खोटी सुनायी । इसके अलावा सोमवीर ने अपनी पत्नी खुशबू के कहने पर अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचकर टैक्टर का लोन चुका दिया तो जमीन बिकने के कारण उदयवीर गुस्से के मारे तिलमिला गया और उसने सोमवीर व खुशबू को ठिकाने लगाने की योजना बनायी इस योजना के तहत दिनांक 12.12.22 को उदयवीर फरीदपुर से लहडौरा आकर अपने भाई व भाभी को ढिकाने लगाने का मौका ढूढंना शुरु कर दिया दिनांक 14/15-12.22 की रात्रि को समय़ करीब 03.00 बजे के आसपास घर मे रखे नल के हत्थे व कुल्हाडी की सहायता से सोमवीर व उसकी पत्नी के सिर पर ताबडतोड प्रहार कर उनकी निर्मम हत्या कर दी तथा खुद को बचाने के उद्देश्य से बरामदे मे बने कमरे के गेट मे बाहर से ताला लगाकर खिडकी के रास्ते कमरे मे घुसकर बैठ गया तथा वही से 112 नम्बर पर फोन कर पहले अमरसिंह पुत्र जंगीसिह व सत्येन्द्र पुत्र अमरसिंह जोकि इसके संगे चाचा व चचेरे भाई थे व दो तीन अज्ञात लोगो द्वारा घर मे घुसकर मारपीट करने व बाद मे सोमवीर व खुशबू की हत्या करने की सूचना दी । विधिवत साक्ष्य संकलन के पश्चात अभि0 उदयवीर पुत्र कन्हई सिंह को मुखबिर की निशादेही पर कमां समरेर रोड से गिरफ्तार किया गया । इस निर्मम हत्या काँड का कारण मृतक द्वारा अभि0 को पैतृक जमीनो मे हिस्सा न देना तथा अभियुक्त की इच्छा के विरुद्द शादी कर लेना तथा मृतका द्वारा वारिस को जन्म देने का प्रयास करना पाया गया। अभियुक्त की निशादेही पर घटना मे प्रयुक्त आलाकत्ल एक अदद नल का लोहे का हत्था, एक अदद कुल्हाडी, घटना के समय अभियुक्त द्वारा पहनी हुयी रक्त रंजित शर्ट बरामद की गयी ।
गिरफ्तारी का स्थान – कमां समरेर रोड थाना क्षेत्र दातागंज बदायूं ।
गिरफ्तार किये गये अभि0गण का नाम- उदयवीर पुत्र श्री कन्हई सिंह निवासी ग्राम लहडौरा थाना दातागंज जनपद बदायूँ अभि0गण का अभियोग / अपराधिक इतिहास मु0अ0स0 569/22 धारा 302 भादवि बरामदगी आलाकत्ल- एक अदद लोहे का नल का हत्था व एक अदद कुल्हाडी व घटना के समय अभि0 द्वारा पहनी गयी रक्त रंजित शर्ट ।
गिरफ्तारी व बरामदगी करने वाली टीम थाना दातागंज जनपद बदायूं-
1. सौरभ सिंह प्रभारी निरीक्षक थाना दातागंज जनपद बदायूँ । 2. व0उ0नि0 शिवेन्द्र सिंह 3. उ0नि0 चन्द्रभान सिंह 4. उ0नि0 अवधेश पारासर 5. है0का0 महेन्द्र सिंह 6. का0 बालकराम 7.का0 लव कुमार 8. म0का0 स्वाति शिशौदिया 9. आरक्षी चालक है0का0 शिशुपाल सिंह
सोशल मीडिया सैल जनपद बदायूं
आईपीसी की धारा 207 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 207 का विवरण :जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुये कि ऐसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा, अथवा किसी संपत्ति या उसमें के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में जानते हुए की इस पर उसका कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और हड़पने , छीनने के आशय से मिथ्या दावा करेगा तो वह व्यक्ति धारा 207 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0
प्रथम विश्व युद्ध
ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्चड्युक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को सेराजेवो में हुई थी। एक माह के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की।
साम्राज्यवाद (Imperialism): प्रथम विश्व युद्ध से पहले अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्से कच्चे माल की उपलब्धता के कारण यूरोपीय देशों के बीच विवाद का विषय बने हुए थे। जब जर्मनी और इटली इस उपनिवेशवादी दौड़ में शामिल हुए तो उनके विस्तार के लिये बहुत कम संभावना बची। इसका परिणाम यह हुआ कि इन देशों ने उपनिवेशवादी विस्तार की एक नई नीति अपनाई। यह नीति थी दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अधिकार कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया जाए। बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा और अधिक साम्राज्यों की इच्छा के कारण यूरोपीय देशों के मध्य टकराव में वृद्धि हुई जिसने समस्त विश्व को प्रथम विश्व युद्ध में धकेलने में मदद की। इसी प्रकार मोरक्को तथा बोस्निया संकट ने भी इंग्लैंड एवं जर्मनी के बीच प्रतिस्पर्द्धा को और बढ़ावा दिया।
अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि करने के उद्देश्य से जर्मनी ने जब बर्लिन-बगदाद रेल मार्ग योजना बनाई तो इंग्लैंड के साथ-साथ फ्राँस और रूस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते इनके बीच कटुता मेंऔर अधिक वृद्धि हुई।

सैन्यवाद (Militarism): 20वीं सदी में प्रवेश करते ही विश्व में हथियारों की दौड़ शुरू हो गई थी। वर्ष 1914 तक जर्मनी में सैन्य निर्माण में सबसे अधिक वृद्धि हुई। ग्रेट ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने इस समयावधि में अपनी नौ-सेनाओं में काफी वृद्धि की। सैन्यवाद की दिशा में हुई इस वृद्धि ने युद्ध में शामिल देशों को और आगे बढ़ने में मदद की।
वर्ष 1911 में आंग्ल जर्मन नाविक प्रतिस्पर्द्धा के परिणामस्वरूप ‘अगादिर का संकट’ उत्पन्न हो गया। हालाँकि इसे सुलझाने का प्रयास किया गया परंतु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। वर्ष 1912 में जर्मनी में एक विशाल जहाज़ ‘इम्प रेटर’ का निर्माण किया गया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज़ था। इससे इंग्लैंड और जर्मनी के मध्य वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई।
राष्ट्रवाद (Nationalism): जर्मनी और इटली का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के आधार पर ही किया गया था। बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद की भावना अधिक प्रबल थी। चूँकि उस समय बाल्कन प्रदेश तुर्की साम्राज्य के अंतर्गत आता था, अतः जब तुर्की साम्राज्य कमज़ोर पड़ने लगा तो इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने स्वतंत्रता की मांग शुरू कर दी।
बोस्निया और हर्जेगोविना में रहने वाले स्लाविक लोग ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा नहीं बना रहना चाहते थे, बल्कि वे सर्बिया में शामिल होना चाहते थे और बहुत हद तक उनकी इसी इच्छा के परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। इस तरह राष्ट्रवाद युद्ध का कारण बना।रूस का मानना था कि स्लाव यदि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र हो जाता है तो वह उसके प्रभाव में आ जाएगा, यही कारण रहा कि रूस ने अखिल स्लाव अथवा सर्वस्लाववाद आंदोलन को बल दिया। स्पष्ट है कि इससे रूस और ऑस्ट्रिया–हंगरी के मध्य संबंधों में कटुता आई।इसी तरह के और भी बहुत से उदाहरण रहे जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को उग्र बनाते हुए संबंधों को तनावपूर्ण स्थिति में ला खड़ा किया। ऐसा ही एक उदाहरण है सर्वजर्मन आंदोलन।
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