सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी ने तहसील किशनी में जन-समस्याएं सुनी
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संवाददाता ::मैनपुरी::अवनीश कुमार{C016} :: Date ::17 ::12::.2022::सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी ने तहसील किशनी में जन-समस्याएं सुनी
अनाधिकृत कब्जों में कमी न आने के कारण नाराज़ दिखे जिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारियों को दिये दिशा निर्देश

मैनपुरी 17 दिसम्बर, 2022- सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील किशनी में जन-समस्याएं सुनने के दौरान जब जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह के सम्मुख बरौली नि. आजाद सिंह, चंद्रशेखर ने अपने प्राथर्ना पत्र के माध्यम से बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके नाम खाता संख्या-1721, 907, 910, 911, 912 व 913 उनकी माता मीना देवी के नाम दर्ज है, पिता की मृत्यु के समय नाबालिग थे। अब बालिग चुके हैं, इसलिए उनका नाम खतौनी में दर्ज कराया जाए। जिस पर उन्होंने तत्काल मौके पर ही दोनों के नाम उक्त गाटा संख्या में शामिल कराते हुए नई खतौनी उपलब्ध कराकर तत्काल समस्या का निदान कराकर शिकायतकतार्ओं को राहत प्रदान की। नगला चंन्दरपुर नि. ओमवीर सिंह द्वारा गाटा संख्या-1559, 1561, 1570 तालाब की भूमि पर अनाधिकृत कब्जा करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार किशनी को निर्देशित किया कि वह मौके पर जाकर तालाब की भूमि की पैमाइश कराकर तत्काल अनाधिकृत कब्जा हटवाकर भूमि को खाली करायें, खंड विकास अधिकारी किशनी पैमाइश के उपरांत मनरेगा से उक्त तालाब का जीर्णोद्धार कराना सुनिश्चित करें। कटरा समान नि. विनोद कुमार ने अपने शिकायती प्राथर्ना पत्र के माध्यम से बताया कि गाटा संख्या-642, 644, 647, 657 एवं 3573 जो पुलिस चैकी कटरा के लिए आरक्षित थी, उक्त गाटा संख्या पर भू-माफिया द्वारा अनाधिकृत कब्जा कर लिया है। जिस पर उन्होंने क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक, लेखपाल को निर्देशित करते हुए कहा कि आज ही मौके पर पुलिस बल के साथ जाकर आरक्षित भूमि को खाली कराएं साथ ही अनाधिकृत कब्जा करने वालों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध प्रभावी कायर्वाही करना सुनिश्चित करें।
श्री सिंह ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भूमि पर अनाधिकृत कब्जों की शिकायतों में कोई कमी नहीं आ रही है, राजस्व निरीक्षक, क्षेत्रीय लेखपाल क्षेत्र में प्रभावी कायर्वाही करें, एक बार कब्जा हटवाने के बाद यदि किसी के द्वारा पुनः कब्जा किया जाए या पक्की पैमाइश के बाद किसी के द्वारा मुड्डी तोड़ी जाए तो उसके विरुद्ध भू-माफिया के तहत सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। उन्होंने सम्पूर्ण समाधान दिवस पर उपस्थित अधिकारियों से कहा कि जन-शिकायतों के निस्तारण के प्रति संवेदनशील रहें, अधीनस्थ की रिपोर्ट पर निभर्र न रहें बल्कि स्वयं शिकायतकर्ता से बात करें। यथासंभव मौके पर जाकर स्थिति को देखें, भूमि विवाद, पैमाइश के प्रकरण में किसी भी स्तर पर विलंब न किया जाए। राजस्व, पुलिस की संयुक्त टीम मौके पर जाकर शिकायतों का निराकरण करें।
आज आयोजित संम्पूणर् समाधान दिवस के अवसर पर तहसील किशनी क्षेत्र के 27 फरियादियों ने अपने शिकायती प्राथर्ना पत्र जिलाधिकारी के सम्मुख निस्तारण हेतु प्रस्तुत किये। जिसमें से 04 शिकायतों का मौके पर ही निराकरण कर फरियादियों को राहत प्रदान की। मुहल्ला हवेली वार्ड नम्बर-5 किशनी नि. शशांक कुमार गुप्ता ने नगर पंचायत किशनी में शासन द्वारा विकास कार्यो हेतु टेंडर निरस्तीकरण का कारण स्पष्ट करने, ग्राम राजपुरा नि. गजराज सिंह ने बताया कि गाटा संख्या-1844, खाता संख्या-2091 में हिस्सा दिलाने, ग्राम छिनकौरा नि. कुंवरलाल ने गाटा संख्या-450 से विपक्षीगणों द्वारा किये गये। अवैध कब्जे को हटवाने, ग्राम कुरसंडा नि. राहुल कुमार ने भूमि पर जबरन कब्जा करने, इलाहाबाॅश नि. कमलेश ने विपक्षीगणों द्वारा खेत पर किये गये अवैध कब्जे को हटवाने, ग्राम हिरौली नि. लल्लू सिंह ने जमीन की पैमाइश कराने, नगला दलीपपुर नैसी नि. राम प्रकाश ने ग्राम सभा की खाली जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा कर मकान बनाकर बंद किये गये रास्ते को खुलवाने की मांग अपने शिकायती प्राथर्ना पत्रों के माध्यम से की। जिसे सम्बन्धित अधिकारियों को पृष्ठाकिंत कर निधार्रित समयसीमा में गुणवत्ता परक निराकरण हेतु उपलब्ध कराया।
संपूणर् समाधान दिवस के अवसर पर पुलिस अधीक्षक कमलेश दीक्षित ने पुलिस विभाग से संबंधित शिकायतों को सुन मौके पर उपस्थित प्रभारी निरीक्षक, थानाध्यक्षों को प्रभावी कायर्वाही हेतु आदेशित किया। इस दौरान उप जिलाधिकारी किशनी आर.एन. वर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पी.पी. सिंह, प्रभारी निदेशक सामाजिक वानिकी एस.एन. मौर्या, परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. के.के. सिंह, उप कृषि निदेशक डी.वी. सिंह, अधिशासी अभियंता ट्यूबवेल नेकीराम, अधिशासी अभियंता लोक निमार्ण सुधीर भारद्वाज, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार वर्मा, जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप, परियोजना अधिकारी डूडा आर.के. सिंह, तहसीलदार किशनी विशाल सिंह यादव सहित अन्य संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
प्रथम विश्व युद्ध
ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्चड्युक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को सेराजेवो में हुई थी। एक माह के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की।
साम्राज्यवाद (Imperialism): प्रथम विश्व युद्ध से पहले अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्से कच्चे माल की उपलब्धता के कारण यूरोपीय देशों के बीच विवाद का विषय बने हुए थे। जब जर्मनी और इटली इस उपनिवेशवादी दौड़ में शामिल हुए तो उनके विस्तार के लिये बहुत कम संभावना बची। इसका परिणाम यह हुआ कि इन देशों ने उपनिवेशवादी विस्तार की एक नई नीति अपनाई। यह नीति थी दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अधिकार कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया जाए। बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा और अधिक साम्राज्यों की इच्छा के कारण यूरोपीय देशों के मध्य टकराव में वृद्धि हुई जिसने समस्त विश्व को प्रथम विश्व युद्ध में धकेलने में मदद की। इसी प्रकार मोरक्को तथा बोस्निया संकट ने भी इंग्लैंड एवं जर्मनी के बीच प्रतिस्पर्द्धा को और बढ़ावा दिया।
अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि करने के उद्देश्य से जर्मनी ने जब बर्लिन-बगदाद रेल मार्ग योजना बनाई तो इंग्लैंड के साथ-साथ फ्राँस और रूस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते इनके बीच कटुता मेंऔर अधिक वृद्धि हुई।
बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (सम्पादक- मुकेश भारती ) किसी भी शिकायत के लिए सम्पर्क करे – 9336114041

सैन्यवाद (Militarism): 20वीं सदी में प्रवेश करते ही विश्व में हथियारों की दौड़ शुरू हो गई थी। वर्ष 1914 तक जर्मनी में सैन्य निर्माण में सबसे अधिक वृद्धि हुई। ग्रेट ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने इस समयावधि में अपनी नौ-सेनाओं में काफी वृद्धि की। सैन्यवाद की दिशा में हुई इस वृद्धि ने युद्ध में शामिल देशों को और आगे बढ़ने में मदद की।
वर्ष 1911 में आंग्ल जर्मन नाविक प्रतिस्पर्द्धा के परिणामस्वरूप ‘अगादिर का संकट’ उत्पन्न हो गया। हालाँकि इसे सुलझाने का प्रयास किया गया परंतु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। वर्ष 1912 में जर्मनी में एक विशाल जहाज़ ‘इम्प रेटर’ का निर्माण किया गया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज़ था। इससे इंग्लैंड और जर्मनी के मध्य वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई।
राष्ट्रवाद (Nationalism): जर्मनी और इटली का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के आधार पर ही किया गया था। बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद की भावना अधिक प्रबल थी। चूँकि उस समय बाल्कन प्रदेश तुर्की साम्राज्य के अंतर्गत आता था, अतः जब तुर्की साम्राज्य कमज़ोर पड़ने लगा तो इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने स्वतंत्रता की मांग शुरू कर दी।
बोस्निया और हर्जेगोविना में रहने वाले स्लाविक लोग ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा नहीं बना रहना चाहते थे, बल्कि वे सर्बिया में शामिल होना चाहते थे और बहुत हद तक उनकी इसी इच्छा के परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। इस तरह राष्ट्रवाद युद्ध का कारण बना।रूस का मानना था कि स्लाव यदि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र हो जाता है तो वह उसके प्रभाव में आ जाएगा, यही कारण रहा कि रूस ने अखिल स्लाव अथवा सर्वस्लाववाद आंदोलन को बल दिया। स्पष्ट है कि इससे रूस और ऑस्ट्रिया–हंगरी के मध्य संबंधों में कटुता आई।इसी तरह के और भी बहुत से उदाहरण रहे जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को उग्र बनाते हुए संबंधों को तनावपूर्ण स्थिति में ला खड़ा किया। ऐसा ही एक उदाहरण है सर्वजर्मन आंदोलन।
आईपीसी की धारा 207 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 207 का विवरण :जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुये कि ऐसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा, अथवा किसी संपत्ति या उसमें के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में जानते हुए की इस पर उसका कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और हड़पने , छीनने के आशय से मिथ्या दावा करेगा तो वह व्यक्ति धारा 207 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0
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