8वें पेंशनर्स दिवस के अवसर पर वायोवृद्ध पेंशनर्स को जिलाधिकारी ने शाॅल, माल्यापर्ण कर सम्मानित किया
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संवाददाता ::मैनपुरी::अवनीश कुमार{C016} :: Date ::17 ::12::.2022::8वें पेंशनर्स दिवस के अवसर पर वायोवृद्ध पेंशनर्स को जिलाधिकारी ने शाॅल, माल्यापर्ण कर सम्मानित किया
मैनपुरी – 08वें पेंशनसर् दिवस के अवसर पर वायोवृद्ध पेंशनर्स भूपेन्द्र चतुवेर्दी, आनंद प्रकाश मिश्रा, बलवीर सिंह, राज बहादुर सिंह, प्रेम नंदन लाल, राम लड़ैते, सियाराम कठेरिया, सुवेन्द्र कुमार शर्मा, उदयवीर सिंह यादव, रामवीर सिंह चैहान, प्रकाश बाबू शुक्ला, सूबेदार सिंह पाल, राम कुमार तिवारी, भगवंत सिंह, दयाराम शाक्य, रामप्रयोजन सिंह यादव, नेमसिंह यादव, प्रेम लता देवी सक्सैना, राम भरोसे लाल यादव, मिसरी लाल, महेन्द्र सिंह जादौन, बृज किशोर सक्सैना (किशोर इटावी), विश्वनाथ दुबे, वीरेन्द्र सिंह यादव को शाॅल, माल्यापर्ण कर सम्मानित करते हुए जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने कहा कि आज जनपद के सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करते हुये बेहद खुशी हो रही है। उन्होने कहा कि उपस्थित सभी पेंशनर्स सरकारी सेवा से निवृत्त होकर जीवन-यापन कर रहे हैं। इनका मागर्दशर्न समाज के साथ-साथ सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारियों, कमर्चारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। आप सबने लंबे समय तक विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहते हुये शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर करने, संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। आम सबके पास सरकारी सेवा का लम्बा अनुभव है।
श्री सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन का प्रत्येक अधिकारी पेंशनर्स की समस्याओं का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता पर निदान करेगा। उन्होंने उपस्थित पेंशनर्स का आह्वान करते हुए कहा कि आप सब अपने अनुभव का लाभ परिवार, समाज को सही राह दिखाने में दें। जीवन के इस स्वणिर्म समय का सदुपयोग तपस्या और सेवा के रूप में व्यय करें। उम्र के बढ़ते पड़ाव में स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है। मानव शरीर में बदलाव स्वाभाविक स्वरूप है। उन्होने पेंशनर्स के उत्तम स्वास्थ्य, उन्नति, सुख की कामना करते हुए कहा कि यदि किसी भी पेंशनर्स को कोई समस्या हो तो किसी भी कार्य दिवस में आकर संज्ञान में लाएं, पेंशनर्स की समस्याओं का तत्काल निदान कराया जाएगा।
मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि आप सब राजकीय सेवा में रहे और अपने कायर्काल के दौरान लोगों की सेवा की, सेवानिवृत्त होने पर हम सबका दायित्व है कि आपकी समस्या का तत्काल निदान हो। उन्होने पेंशनर्स को आश्वस्त किया कि विभिन्न संगठनों द्वारा पेंशन सम्बन्धी जो भी समस्याएं उठायी हैं, उनका प्रभावी निराकरण होगा। चिकित्सा प्रतिपूर्ति के भुगतान में आने वाली कठिनाईयों को दूर किया जायेगा। उन्होने कहा कि पेंशनर्स की समस्याओं का समाधान करना संबंधित विभाग के अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। सेवानिवृत्त कमर्चारी को समय से उनके देयों का भुगतान सुनिश्चित किया जाये, यदि किसी भी विभाग में पेंशन प्रकरण लंबित मिले, यदि कहीं पेंशनर्स का शोषण किया गया तो सम्बन्धित के विरूद्ध कायर्वाही होगी।
वरिष्ठ कोषाधिकारी श्यामलाल जायसवाल ने पेंशनर्स की समस्याओं, सुझावों को सुनते हुए कहा कि फैमिली पेंशन के प्रकरण में नियमानुसार औपचारिकताएं पूर्ण कराकर पेंशन जारी की जा रही है, जीवित प्रमाण पत्र हेतु ऑनलाइन व्यवस्था है, सभी पेंशनर्स जागरूक हों, जीवित प्रमाण पत्र ऑनलाइन जमा करें। उन्होने उपस्थित सभी पेंशनर्स को आश्वस्त किया कि कोषागार से किसी भी पेंशनर्स को कोई समस्या नहीं आने दी जायेगी। पेंशनर्स की समस्याओ का सवोर्च्च प्राथमिकता पर निराकरण होगा।
पेंशनर्स दिवस के अवसर पर उ.प्र. राजकीय सिविल पेंशनर्स परिषद, गवनर्मेंट पेंशनर्स वेलफेयर आगर्नाइजेशन आदि के पदाधिकारियों द्वारा ज्ञापन देकर पेंशनर्स को आने वाली कठिनाईयों, उनके निदान कराये जाने को कहा, जिस पर जिलाधिकारी ने सभी पेंशनर्स को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का प्राथमिकता पर निदान होगा। पेंशनर्स दिवस के अवसर पर गवनर्मेंट पेंशनर्स के अध्यक्ष वी. के. आर. सी. पाण्डेय, अरूण भदौरिया, एम.एस. कमठान, शांति देवी आदि ने जिलाधिकारी को शाॅल उड़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर वीरेन्द्र कुमार मित्तल, जिला आबकारी अधिकारी दिनेश कुमार, विभिन्न विभागों के कायार्लयाध्यक्ष, पेंशनर्स संगठनों के पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में पेंशनर्स आदि उपस्थित रहे, कायर्क्रम का संचालन रमेश चंद्र पांडेय ने किया
प्रथम विश्व युद्ध
ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्चड्युक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को सेराजेवो में हुई थी। एक माह के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की।
साम्राज्यवाद (Imperialism): प्रथम विश्व युद्ध से पहले अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्से कच्चे माल की उपलब्धता के कारण यूरोपीय देशों के बीच विवाद का विषय बने हुए थे। जब जर्मनी और इटली इस उपनिवेशवादी दौड़ में शामिल हुए तो उनके विस्तार के लिये बहुत कम संभावना बची। इसका परिणाम यह हुआ कि इन देशों ने उपनिवेशवादी विस्तार की एक नई नीति अपनाई। यह नीति थी दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अधिकार कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया जाए। बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा और अधिक साम्राज्यों की इच्छा के कारण यूरोपीय देशों के मध्य टकराव में वृद्धि हुई जिसने समस्त विश्व को प्रथम विश्व युद्ध में धकेलने में मदद की। इसी प्रकार मोरक्को तथा बोस्निया संकट ने भी इंग्लैंड एवं जर्मनी के बीच प्रतिस्पर्द्धा को और बढ़ावा दिया।
अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि करने के उद्देश्य से जर्मनी ने जब बर्लिन-बगदाद रेल मार्ग योजना बनाई तो इंग्लैंड के साथ-साथ फ्राँस और रूस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते इनके बीच कटुता मेंऔर अधिक वृद्धि हुई।
बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (सम्पादक- मुकेश भारती ) किसी भी शिकायत के लिए सम्पर्क करे – 9336114041

सैन्यवाद (Militarism): 20वीं सदी में प्रवेश करते ही विश्व में हथियारों की दौड़ शुरू हो गई थी। वर्ष 1914 तक जर्मनी में सैन्य निर्माण में सबसे अधिक वृद्धि हुई। ग्रेट ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने इस समयावधि में अपनी नौ-सेनाओं में काफी वृद्धि की। सैन्यवाद की दिशा में हुई इस वृद्धि ने युद्ध में शामिल देशों को और आगे बढ़ने में मदद की।
वर्ष 1911 में आंग्ल जर्मन नाविक प्रतिस्पर्द्धा के परिणामस्वरूप ‘अगादिर का संकट’ उत्पन्न हो गया। हालाँकि इसे सुलझाने का प्रयास किया गया परंतु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। वर्ष 1912 में जर्मनी में एक विशाल जहाज़ ‘इम्प रेटर’ का निर्माण किया गया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज़ था। इससे इंग्लैंड और जर्मनी के मध्य वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई।
राष्ट्रवाद (Nationalism): जर्मनी और इटली का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के आधार पर ही किया गया था। बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद की भावना अधिक प्रबल थी। चूँकि उस समय बाल्कन प्रदेश तुर्की साम्राज्य के अंतर्गत आता था, अतः जब तुर्की साम्राज्य कमज़ोर पड़ने लगा तो इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने स्वतंत्रता की मांग शुरू कर दी।
बोस्निया और हर्जेगोविना में रहने वाले स्लाविक लोग ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा नहीं बना रहना चाहते थे, बल्कि वे सर्बिया में शामिल होना चाहते थे और बहुत हद तक उनकी इसी इच्छा के परिणामस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। इस तरह राष्ट्रवाद युद्ध का कारण बना।रूस का मानना था कि स्लाव यदि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र हो जाता है तो वह उसके प्रभाव में आ जाएगा, यही कारण रहा कि रूस ने अखिल स्लाव अथवा सर्वस्लाववाद आंदोलन को बल दिया। स्पष्ट है कि इससे रूस और ऑस्ट्रिया–हंगरी के मध्य संबंधों में कटुता आई।इसी तरह के और भी बहुत से उदाहरण रहे जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को उग्र बनाते हुए संबंधों को तनावपूर्ण स्थिति में ला खड़ा किया। ऐसा ही एक उदाहरण है सर्वजर्मन आंदोलन।
आईपीसी की धारा 207 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 207 का विवरण :जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुये कि ऐसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा, अथवा किसी संपत्ति या उसमें के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में जानते हुए की इस पर उसका कोई वैधानिक अधिकार नहीं है और हड़पने , छीनने के आशय से मिथ्या दावा करेगा तो वह व्यक्ति धारा 207 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0
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