Ayodhya News:अखिल भारतीय प्रधान संगठन  ने छः सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास अधिकारी मसौधा को दिया ज्ञापन: बहुजन प्रेस  – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Ayodhya News:अखिल भारतीय प्रधान संगठन  ने छः सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास अधिकारी मसौधा को दिया ज्ञापन: बहुजन प्रेस 

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संवाददाता ::अयोध्या::फूलचन्द्र   {C01} :: Published Dt.16.01.2023 ::Time-9:42PM:: अखिल भारतीय प्रधान संगठन  ने छः सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास अधिकारी मसौधा को दिया ज्ञापन: बहुजन प्रेस 


poolchandra
Bureau Report- Phoolchandra

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Ayodhya News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :फूलचन्द्र । मसौधा। 16 जनवरी 23। अखिल भारतीय प्रधान संगठन विकासखंड मसौधा अयोध्या के प्रधानों ने छः सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास अधिकारी मसौधा को एक ज्ञापन देकर एन एम एम एस ऐप से मनरेगा मजदूरों की हाजिरी लेने का विरोध किया है।
अखिल भारतीय प्रधान संगठन ब्लॉक मसौधा के प्रधानगण अपने संगठन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार यादव के नेतृत्व में नारेबाजी करते हुए विकासखंड मुख्यालय मसौधा पहुंचे वहां उपस्थित संयुक्त खंड विकास अधिकारी बद्री प्रसाद वर्मा को प्रधानमंत्री को संबोधित 6 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।


प्रधानमंत्री को संबोधित इस ज्ञापन में प्रधान संगठन ने मांग की है कि मनरेगा योजना में एन एम एम एस ऐप के माध्यम से श्रमिकों की हाजिरी ली जा रही है जबकि अधिकांश गांव में नेटवर्क न रहने से एन एम एम एस ऐप में श्रमिकों की उपस्थिति अंकित नहीं हो पा रही है जिससे श्रमिकों के श्रम करने के बाद भी मस्टरोल शून्य हो जा रहा है , श्रमिक मजदूरी नहीं पा रहे हैं। ज्ञापन के माध्यम से प्रधानों ने एम एम एस ऐप से मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी लेने पर रोक लगाने की मांग किया है। प्रधानों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन में बताया है कि मनरेगा श्रमिक ₹ 213 प्रतिदिन पर काम करने को तैयार नहीं है इसे बढ़ाकर कम से कम ₹ 400 प्रतिदिन किए जाने की मांग की गई है। ज्ञापन में प्रधानों ने राज्य वित्त आयोग और प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू करने की मांग किया है। प्रधानों ने क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों एवम प्रधानों की सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस प्राथमिकता के आधार पर जारी किए जाने की मांग भी की है। सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर ,शौचालय केयरटेकर एवं प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करने का वादा माननीय मुख्यमंत्री ने किया था जिसे अमल में लाने की थी ज्ञापन के माध्यम से अपील की है ।
प्रधान संगठन ने अपने ज्ञापन में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल में अगल – बगल की ग्राम सभाओं से धनिराशि भेजने संबंधी आदेश को लागू करने संबंधी निर्देश को तत्काल कड़ाई से लागू करने की भी मांग किया है।
खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन देते समय प्रधान संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष प्रदीप यादव के साथ मुख्य रूप से आनंद चौधरी,रवि प्रकाश वर्मा, जितेंद्र यादव, काशीराम, राधिका वर्मा, मो0 नईम, सुनील शंकर , उमेश कुमार, सोनू यादव, बदरुद्दीन, शंकर जीत यादव, कुलसुमबानो, उदय राज सहित दर्जनों प्रधान उपस्थित रहे

ब्यूरो चीफ फूलचन्द्र अयोध्या


संवाददाता ::हिमाचल::मुकेश भारती  {HP} :: Published Dt.15.01.2023 :Time 10:50 PM: बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्म दिवस पर हिमाचल प्रदेश के कार्यकर्ताओ ने प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में धूमधाम से मनाया :बहुजन प्रेस 


Mukesh Bharti
Editor- Mukesh Bharti: Bahujan India 24 News

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Himchal News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :मुकेश भारती  । बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्म दिवस पर हिमाचल प्रदेश के कार्यकर्ताओ ने प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में धूमधाम से मनाया
15 जनवरी 2023 बहुजन समाज पार्टी हिमाचल प्रदेश ने बसपा सुप्रीमो मायावती के 67वे जन्म दिवस पर प्रदेश स्तरीय जनकल्याणकारी दिवस कार्यक्रम, कमल ताज होटल हमीरपुर शहर, जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश में आयोजित किया
जिसमे विपुल कुमार प्रदेश प्रभारी मुख्य अतिथि और नरेश जाटव प्रदेश प्रभारी विशिष्ट अतिथि के तौर पर भाग लिया इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नारायण आजाद प्रदेश अध्यक्ष बसपा हिमाचल प्रदेश के द्वारा की गई
इस कार्यक्रम में विपुल कुमार प्रदेश प्रभारी ने कहा की मायावती ने अपना पूरा जीवन देश और समाज की भलाई के लिए लगा दिया है उनके जीवन संघर्ष से सीख लेकर कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने का कार्य करे जिससे 2024 के लोकसभा चुनावो में पार्टी को भारत देश के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया जा सकता है
नरेश जाटव प्रदेश प्रभारी ने कहा की बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के लिखित संविधान से ही सर्व समाज की माताओं बहनों और बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिला है और बाबा साहब के संविधान से ही बहन कुमारी मायावती को 4 बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, सांसद और पार्टी में विभिन्न पदों पर काम करने का मौका मिला है
नारायण आजाद प्रदेश अध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश के कोने-कोने से आए सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया उन्होंने दुर्गम क्षेत्रों से आए कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ाया क्योंकि सर्दियों के मौसम में दुर्गम क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच में से आकर कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को सफल बनाने में भरपूर योगदान दिया
विजय कुमार वाहड़ी प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि मंडल कमीशन के माध्यम से 27 परसेंट आरक्षण को ओबीसी समाज को देने के लिए बसपा संस्थापक साहब कांशीराम और बहन मायावती का अहम योगदान है ओबीसी समाज उनके जन्मदिवस पर हृदय से दीर्घायु की कामना करके आभार व्यक्त प्रकट कर रहा है
इस अवसर पर कांशीराम प्रदेश वरिष्ठ कार्यकर्ता, डॉक्टर धर्म सिंह भाटिया प्रदेश महासचिव, प्रोफेसर प्रेम कुमार हवाल प्रदेश महासचिव, अधिवक्ता नरेंद्र कुमार प्रदेश सचिव, प्रवीण कौशल प्रभारी हमीरपुर लोक सभा, अजय रांटा प्रभारी शिमला लोकसभा, लेखराज कतनोरिया प्रभारी जिला ऊना, कामेश्वर अध्यक्ष जिला शिमला, रतन चंद अध्यक्ष जिला हमीरपुर, सूबेदार हरवंश सिंह उपाध्यक्ष जिला कांगड़ा, प्रेमलाल बंगा अध्यक्ष जिला बिलासपुर, अजीत कुमार महासचिव जिला हमीरपुर, विधानसभा स्तरीय पदाधिकारी और भारी संख्या में कार्यकर्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे है



बहन मायावती जी का 67 वां जन्मदिन 15 जनवरी 2023 को जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया: बहुजन प्रेस

BSP Supremo Mayawati :tawang sector:: तवांग सेक्टर
BSP Supremo Mayawati : Happy Birthday

Bsp News: मायावती जी का 67 वां जन्मदिन 15 जनवरी 2023 को जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया गया इस अवसर पर भारतीय सिनेमा के गायक कैलाश खेर ने गीत प्रस्तुत किया। 15 जनवरी 1956 को एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाली महिला ने भारतीय राजनीति में दलित शब्द के मायने ही बदल कर रख दिया। असंभव को संभव बनाने की कला की माहिर बहन जी ने भारत के सबसे बड़ी आवादी वाली राज्य की 4 बार मुख्य मंत्री अपने बलबूते बनी।बीजेपी और कांग्रेस भी बहन जी की राजनीतिक चाल को नहीं पकड़ पाते है। अपने प्रशासनिक और शासन करने के तरीके के बल पर करोड़ो बहुजन समाज पर राज करती है। भारतीय राजनीति में महिलाएं पुरुषों के समान ही सक्रिय भूमिका में हैं। इस समय देश के सर्वोच्च पद पर यानी भारत की राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं।

Mayawati Birthday 2023: वहीं कई राजनीतिक दलों में पार्टी अध्यक्ष से लेकर राज्य की भूमिका और राज्यपाल तक महिलाएं हैं। इन्हीं दमदार महिला राजनीतिज्ञों में से एक बड़ा नाम मायावती जी का है। बसपा का दूसरा नाम मायावती ही है और उत्तर प्रदेश की राजनीति का दमदार चेहरा भी है। मायावती उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वहीं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। मायावती एक ऐसी दमदार व्यक्तित्व की राजनीतिज्ञ महिला हैं, जिसने राज्य के मुखिया के दायित्वों का निर्वहन बखूबी किया और एक राजनीतिक दल का नेतृत्व भी करती आ रही हैं। यूपी में जातिगत राजनीति का जिक्र जब भी होता है, मायावती का नाम जरूर याद आता है। लेकिन मायावती का शुरू से ही राजनीति में आना चाहती थीं? मायावती के परिवार में कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि का नहीं था लेकिन एक किशोरी जो एक शिक्षिका बन सकती थी, अचानक ही राजनीति की ओर मुड़ गई, कैसे? आज उत्तर प्रदेश की राजनीति की दमदार महिला मायावती का जन्मदिन है। मान्यवर कांशीराम की जो सोच थी उसको हकीकत में हू बहू हू शासन करके दिखाया। यूपी में बहन जी की वजह से राजनीति में कई चेहरे आये और राजनीति में नाम कमाया लेकिन मिशन कांशीराम मिशन महापुरुषों के खिलाफ कार्य करने वाले नेताओं को कभीनहीं बक्सा पार्टी से चलता किया आज उनकी राजनीति पहचान ख़त्म हो चुकी है जैसे बाबू सिंह कुशवाहा ,दददू प्रसाद आदि।


संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:Guru ravidas ji

संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।

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कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।

संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-stikar

कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥

संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:

 


साहित्यकार मुंशी प्रेम चन्द

Dt.15 January 2023। Mukesh Bhartiहिंदी के महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चन्द का नाम किसने नहीं सुना और पढ़ा नहीं है लेकिन अधिकांश लोग उनके बारे में नहीं जानते है। मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, मुंशी प्रेम चन्द का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था और अंतिम साँस 8 अक्टूबर 1936 को लेकर इस दुनिया से विदाई ली। अपने कहानी और उपन्यास के माध्यम अपनी पहचान स्थापित किया और लोगो के दिलों में लम्बे समय तक राज किया। आज भी मुंशी प्रेम चन्द जी के साहित्य के बिना साहित्य की पढ़ाई अधूरी है।
मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव जी हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। गबन, कर्मभूमि, गोदान ने तो खूब धमाल मचाया। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा।
मुंशी प्रेम चन्द उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव ने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में चली गयी और प्रेस बन्द करना पड़ा। अंतिम दिनों में प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को ‘प्रेमचंद युग’ या ‘प्रेमचन्द युग’ कहा जाता है।


stikar kabir ki vani

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


Stikar Aaj ka suvichar” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 323 में विधि का  क्या प्राविधान है

Kanooni salah

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 323 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है  तो वह व्यक्ति धारा 323 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022

अथवा 

स्वेच्छया उपहति/चोट कारित करने के लिए दण्ड। उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 334 में उपबंध है ,जो कोई स्वेच्छया उपहति करीत करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवश्य एक वर्ष तक की हो सकरगि , या जुर्माने से जो 1000 रूपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा।

उपहति /चोट से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा , रोग या अंग -शैथिल्य कारित करता है, वह उपहति करता है। यह कहा जाता है।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022


नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड:

आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

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Stikar Samany Gyan 2023
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।Genral Knowledge
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022


महान दार्शनिक रजनीश ओशो

प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


Dt.7 January 2023। Mukesh Bhartiआधुनिक युग के महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने जीवन जीने की नई ऊर्जा दी। संभोग में समाधि नामक अपने दर्शन की किताब में इस नये आयाम दिया मनुष्य अपने जीवन को नर्क बना देता है जीवन भर सेक्स के पीछे भागता रहता है जबकि जीवन का लक्ष्य कुछ और ही है।

“जो उस मूलस्रोत को देख लेता है…”।

यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैंने, ” संभोग से समाधि की ओर ” कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य की — स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है? — या आभास होता है कम से कम। फिर “एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। “एक तो रति है – दूसरे से मिलने की। और एक रति है – अपने से मिलने की। ” जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। ” संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।” ओशो

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम क्या है? कामवासना का मूलस्रोत क्या है? यौन-ऊर्जा का रूपांतरण कैसे संभव? क्या संभावनाएं हैं मनुष्य की?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक अनुक्रम
1: संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा 2: संभोग : अहं-शून्यता की झलक 3: संभोग : समय-शून्यता की झलक 4: समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव 5: समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन 6: यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम  7: युवक और यौन  8: प्रेम और विवाह 9: जनसंख्या विस्फोट  10: विद्रोह क्या है  11: युवक कौन  12: युवा चित्त का जन्म 13: नारी और क्रांति  14: नारी—एक और आयाम  15: सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति 16: भीड़ से, समाज से—दूसरों से मुक्ति  17: दमन से मु‍क्ति  18: न भोग, न दमन—वरन जागरण
विवरण: जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा ‍दिए गए 18 प्रवचनों का संकलन।

उद्धरण : संभोग से समाधि की ओर – पहला प्रवचन – संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा

“जिस आदमी का ‘मैं’ जितना मजबूत है, उतनी ही उस आदमी की सामर्थ्य दूसरे से संयुक्त हो जाने की कम हो जाती है। क्योंकि ‘मैं’ एक दीवाल है, एक घोषणा है कि मैं हूं। मैं की घोषणा कह देती है: तुम ‘तुम’ हो, मैं ‘मैं’ हूं। दोनों के बीच फासला है। फिर मैं कितना ही प्रेम करूं और आपको अपनी छाती से लगा लूं, लेकिन फिर भी हम दो हैं। छातियां कितनी ही निकट आ जाएं, फिर भी बीच में फासला है–मैं ‘मैं’ हूं, तुम ‘तुम’ हो। इसीलिए निकटतम अनुभव भी निकट नहीं ला पाते। शरीर पास बैठ जाते हैं, आदमी दूर-दूर बने रह जाते हैं। जब तक भीतर ‘मैं’ बैठा हुआ है, तब तक दूसरे का भाव नष्ट नहीं होता।

सार्त्र ने कहीं एक अदभुत वचन कहा है। कहा है कि दि अदर इज़ हेल। वह जो दूसरा है, वही नरक है। लेकिन सार्त्र ने यह नहीं कहा कि व्हाय दि अदर इज़ अदर? वह दूसरा ‘दूसरा’ क्यों है? वह दूसरा ‘दूसरा’ इसलिए है कि मैं ‘मैं’ हूं। और जब तक मैं ‘मैं’ हूं, तब तक दुनिया में हर चीज दूसरी है, अन्य है, भिन्न है। और जब तक भिन्नता है, तब तक प्रेम का अनुभव नहीं हो सकता।

प्रेम है एकात्म का अनुभव। प्रेम है इस बात का अनुभव कि गिर गई दीवाल और दो ऊर्जाएं मिल गईं और संयुक्त हो गईं। प्रेम है इस बात का अनुभव कि एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति की सारी दीवालें गिर गईं और प्राण संयुक्त हुए, मिले और एक हो गए। जब यही अनुभव एक व्यक्ति और समस्त के बीच फलित होता है, तो उस अनुभव को मैं कहता हूं–परमात्मा। और जब दो व्यक्तियों के बीच फलित होता है, तो उसे मैं कहता हूं–प्रेम।

अगर मेरे और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच यह अनुभव फलित हो जाए कि हमारी दीवालें गिर जाएं, हम किसी भीतर के तल पर एक हो जाएं, एक संगीत, एक धारा, एक प्राण, तो यह अनुभव है प्रेम। और अगर ऐसा ही अनुभव मेरे और समस्त के बीच घटित हो जाए कि मैं विलीन हो जाऊं और सब और मैं एक हो जाऊं, तो यह अनुभव है परमात्मा।


इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


 

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