Azamgarh News:पुलिस लाइन में शान से लहराया गया तिरंगा, गूंजे देशभक्ति के तराने, मा0 राज्यमंत्री डा. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ जी ने ली परेड की सलामी:बहुजन प्रेस  – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Azamgarh News:पुलिस लाइन में शान से लहराया गया तिरंगा, गूंजे देशभक्ति के तराने, मा0 राज्यमंत्री डा. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ जी ने ली परेड की सलामी:बहुजन प्रेस 

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संवाददाता ::आजमगढ़ ::गंगा प्रकाश त्यागी {C011} :: Published Dt.26.01.2023 ::Time-8:55PM:: पुलिस लाइन में शान से लहराया गया तिरंगा, गूंजे देशभक्ति के तराने, मा0 राज्यमंत्री डा. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ जी ने ली परेड की सलामी:बहुजन प्रेस 


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ब्यूरो रिपोर्ट : गंगा प्रकाश त्यागी

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Azamgarh News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :गंगा प्रकाश त्यागी । 

पुलिस लाइन में शान से लहराया गया तिरंगा, गूंजे देशभक्ति के तराने, मा0 राज्यमंत्री डा. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ जी ने ली परेड की सलामी…!!!! आज़मगढ़: 74वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर पुलिस लाइन, आजमगढ़ के प्रांगण में दिनांक-26.01.2023 को भव्य परेड का आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि मा0 राज्यमंत्री डा. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ जी द्वारा ध्वजारोहण कर परेड का मान-प्रणाम स्वीकार करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक, आजमगढ़ परिक्षेत्र, आजमगढ़ श्री अखिलेश कुमार, जिलाधिकारी आजमगढ़ श्री विशाल भारद्वाज व अन्य अधिकारी गण भी मौजूद रहें । अतिथि गण का स्वागत पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ अनुराग आर्य, अपर पुलिस अधीक्षक नगर शैलेन्द्र लाल, अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्री राहुल रूसिया व अन्य अधीनस्थ अधिकारी /कर्मचारीगण द्वारा किया गया।
तदोपरांत मुख्य अतिथि व पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ द्वारा भव्य परेड का निरीक्षण किया गया। परेड में सम्मलित आठ टोलियों का नेतृत्व प्रथम परेड कमाण्डर शक्ति मोहन अवस्थी (स0पु0अ0), द्वितीय परेड कमाण्डर गौरव शर्मा (क्षेत्राधिकारी नगर)

तृतीय परेड कमाण्डर एस0आई0ए0पी0 विजय कुमार सिंह द्वारा किया गया ।

इन टोलियों में पु0का0, नागरिक पुलिस, सीईआर, एईआर, महिला पीएसी, होमगार्डस, सीटीएस के कर्मियों ने प्रतिभाग किया है। पुलिस विभाग के अन्य दस्ता जैसे मोटर साईकिल स्क्वायड, वायरलेस, फिल्ड यूनिट, डाग स्क्वायड, डायल 112 मोटर साइकिल, डायल 112 इनोवा, डायल 112 बोलेरो, इगल मोबाइल मो0 साइकलि एन्टी रोमियो, सर्विलांस, क्यूआरटी दस्ता/स्वाट टीम (वज्र), कैम्मो फ्लाइज वाहन (आधुनिक दस्ता) फायर सर्विस सहित अन्य दस्ता द्वारा प्रतिभाग किया गया । मुख्य अतिथि द्वारा सभी पुलिस कर्मियों को शुभकामनायें दी गयी।
इस अवसर पर पुलिस लाइन परेड ग्राउंड मे 05 सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 1. नारी सशक्तिकरण सामुहिक डान्स (राहुल चिल्ड्रेन एकेडमी) 2. देशभक्ति गीत सामुहिक डान्स (राकीय बालिका इण्टर कालेज), 3. देश भक्ति गीत सामुहिक डान्स (सर्वोदय पब्लिक स्कूल) 4. देश भक्ति गीत- शिव सहारे व 5. म0का0 अनामिका शुक्ला के द्वारा प्रतिभाग लिया गया ।
मुख्य अतिथि द्वारा मुख्यालय स्तर से श्री शक्ति मोहन अवस्थी, सहायक पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़, को पुलिस महानिदेशक प्रशंसा चिन्ह रजत से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि द्वारा मुख्यालय स्तर से (गृह मंत्रालय भारत सरकार का अति उत्कृष्ट/उत्कृष्ठ सेवा पदक तथा सराहनीय सेवा पदक कुल 52 पदक) निरीक्षक शमशेर यादव (बरदह), निरीरक्षक सूर्यवंश यादव (मेंहनाजपुर), उ0नि0 राकेश चन्द्र त्रिपाठी (सीओ सदर कार्या0) उ0नि0 जय प्रकाश पाण्डेय (फूलपुर), मु0आ0 बासुदेव यादव, मु0आ0सतीश कुमार सिंह, मु0आ0 हरवंश सिंह, मु0आ0 महेश प्रसाद, मु0आ0अनिल कुमार सिंह, मु0आ0 रामगोपाल सिंह, मु0आ0 श्रीमती निर्मला, मु0आ0 त्रिभुवन नारायण सिंह, मु0आ0 अरविन्द कुमार सिंह, मु0आ0 संतोष कुमार सिंह, मु0आ0 काशी नाथ यादव, मु0आ0 जयप्रकाश यादव, मु0आ0 अनिल कुमार सिंह, मु0आ0 ओम प्रकाश यादव, मु0आ0 रामलखन राम सोनकर, मु0आ0 वीरेन्द्र कुमार पाठक, मु0आ0 धनजी सिंह, मु0आ0 सुभाष प्रसाद, मु0आ0 राजेश यादव, मु0आ0 जय प्रकाश, मु0आ0 रामकेवल यादव, मु0आ0 जितेन्द्र कुमार अवस्थी, मु0आ0 रामभवन राम, मु0आ0 अच्छे कुमार यादव, मु0आ0 पप्पू राम, मु0आ0 मनोज कुमार यादव, मु0आ0 जितेन्द्र कुमार तिवारी, मु0आ0 रविन्द्र यादव, मु0आ0 भैयालाल यादव, मु0आ0 दिनेश कुमार मिश्र, मु0आ0 अशोक कुमार पाण्डेय, मु0आ0 राजेश कुमार पाठक, मु0आ0 शिव कुमार पाण्डेय, मु0आ0 राजेश कुमार पाण्डेय, मु0आ0 राकेश कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक अति उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

निरीक्षक मंजय सिंह, निरीक्षक शशिचन्द्र चौधरी, उ0नि0 कौशल पाठक, उ0नि0 विनय कुमार सिंह, मु0आ0 सुभाष चन्द्र यादव, मु0आ0 शिवमंगल यादव, मु0आ0 मो0 मुर्तजा अली, मु0आ0 नन्द जी यादव, मु0आ0 चन्द्रशेखर कुमार राम व मु0आ0 राम भरोसे पुलिस महानिदेशक उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
मु0आ0 जितेन्द्र कुमार पाण्डेय, को सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
मुख्यालय यूपी 112 लखनऊ, द्वारा जनपद आजमगढ़ में पीआरबी वाहन पर ड्यूटी करने वाले कर्मियों को सराहनीय कार्यों के लिए कुल 12 प्रशस्ति पत्र व सम्मान चिन्ह प्रदान किया गया है, जिनका विवरण निम्नवत है-
मु0आ0 पंकज कुमार सिंह, जय प्रकाश नारायण, मु0आ0 संतोष कुमार यादव, आरक्षी हरिशंकर सिंह, आरक्षी संजय कुमार, आरक्षी दीपू सिंह, हो0गा0 पंकज कुमार, हो0गा0 आशीष तिवारी, हो0गा0 वीरेन्द्र कुमार, हो0गा0 सत्य नारायण मिश्रा, कालर श्री सोनू प्रजापति (एक्सीडेन्ट की सूचना देने पर) है।
इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी को भी मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया ।




stikar kabir ki vani

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


Stikar Aaj ka suvichar” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 323 में विधि का  क्या प्राविधान है

Kanooni salah

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 323 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है  तो वह व्यक्ति धारा 323 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022

अथवा 

स्वेच्छया उपहति/चोट कारित करने के लिए दण्ड। उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 334 में उपबंध है ,जो कोई स्वेच्छया उपहति करीत करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवश्य एक वर्ष तक की हो सकरगि , या जुर्माने से जो 1000 रूपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा।

उपहति /चोट से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा , रोग या अंग -शैथिल्य कारित करता है, वह उपहति करता है। यह कहा जाता है।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022


नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड:

आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

Virendra kuamr Usmani Degree College Lakhimpur Kheri
Virendra Kumar Usmani Degree College

Stikar Samany Gyan 2023
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।Genral Knowledge
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022


महान दार्शनिक रजनीश ओशो

प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


Dt.7 January 2023। Mukesh Bhartiआधुनिक युग के महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने जीवन जीने की नई ऊर्जा दी। संभोग में समाधि नामक अपने दर्शन की किताब में इस नये आयाम दिया मनुष्य अपने जीवन को नर्क बना देता है जीवन भर सेक्स के पीछे भागता रहता है जबकि जीवन का लक्ष्य कुछ और ही है।

“जो उस मूलस्रोत को देख लेता है…”।

यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैंने, ” संभोग से समाधि की ओर ” कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य की — स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है? — या आभास होता है कम से कम। फिर “एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। “एक तो रति है – दूसरे से मिलने की। और एक रति है – अपने से मिलने की। ” जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। ” संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।” ओशो

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम क्या है? कामवासना का मूलस्रोत क्या है? यौन-ऊर्जा का रूपांतरण कैसे संभव? क्या संभावनाएं हैं मनुष्य की?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक अनुक्रम
1: संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा 2: संभोग : अहं-शून्यता की झलक 3: संभोग : समय-शून्यता की झलक 4: समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव 5: समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन 6: यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम  7: युवक और यौन  8: प्रेम और विवाह 9: जनसंख्या विस्फोट  10: विद्रोह क्या है  11: युवक कौन  12: युवा चित्त का जन्म 13: नारी और क्रांति  14: नारी—एक और आयाम  15: सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति 16: भीड़ से, समाज से—दूसरों से मुक्ति  17: दमन से मु‍क्ति  18: न भोग, न दमन—वरन जागरण
विवरण: जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा ‍दिए गए 18 प्रवचनों का संकलन।

उद्धरण : संभोग से समाधि की ओर – पहला प्रवचन – संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा

“जिस आदमी का ‘मैं’ जितना मजबूत है, उतनी ही उस आदमी की सामर्थ्य दूसरे से संयुक्त हो जाने की कम हो जाती है। क्योंकि ‘मैं’ एक दीवाल है, एक घोषणा है कि मैं हूं। मैं की घोषणा कह देती है: तुम ‘तुम’ हो, मैं ‘मैं’ हूं। दोनों के बीच फासला है। फिर मैं कितना ही प्रेम करूं और आपको अपनी छाती से लगा लूं, लेकिन फिर भी हम दो हैं। छातियां कितनी ही निकट आ जाएं, फिर भी बीच में फासला है–मैं ‘मैं’ हूं, तुम ‘तुम’ हो। इसीलिए निकटतम अनुभव भी निकट नहीं ला पाते। शरीर पास बैठ जाते हैं, आदमी दूर-दूर बने रह जाते हैं। जब तक भीतर ‘मैं’ बैठा हुआ है, तब तक दूसरे का भाव नष्ट नहीं होता।

सार्त्र ने कहीं एक अदभुत वचन कहा है। कहा है कि दि अदर इज़ हेल। वह जो दूसरा है, वही नरक है। लेकिन सार्त्र ने यह नहीं कहा कि व्हाय दि अदर इज़ अदर? वह दूसरा ‘दूसरा’ क्यों है? वह दूसरा ‘दूसरा’ इसलिए है कि मैं ‘मैं’ हूं। और जब तक मैं ‘मैं’ हूं, तब तक दुनिया में हर चीज दूसरी है, अन्य है, भिन्न है। और जब तक भिन्नता है, तब तक प्रेम का अनुभव नहीं हो सकता।

प्रेम है एकात्म का अनुभव। प्रेम है इस बात का अनुभव कि गिर गई दीवाल और दो ऊर्जाएं मिल गईं और संयुक्त हो गईं। प्रेम है इस बात का अनुभव कि एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति की सारी दीवालें गिर गईं और प्राण संयुक्त हुए, मिले और एक हो गए। जब यही अनुभव एक व्यक्ति और समस्त के बीच फलित होता है, तो उस अनुभव को मैं कहता हूं–परमात्मा। और जब दो व्यक्तियों के बीच फलित होता है, तो उसे मैं कहता हूं–प्रेम।

अगर मेरे और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच यह अनुभव फलित हो जाए कि हमारी दीवालें गिर जाएं, हम किसी भीतर के तल पर एक हो जाएं, एक संगीत, एक धारा, एक प्राण, तो यह अनुभव है प्रेम। और अगर ऐसा ही अनुभव मेरे और समस्त के बीच घटित हो जाए कि मैं विलीन हो जाऊं और सब और मैं एक हो जाऊं, तो यह अनुभव है परमात्मा।


इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो


 

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