Azamgarh News:आजमगढ़ दुकान की बिजली बिल की आरसी वापस करने के लिये 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने वाला अभियुक्त गिरफ्तार:बहुजन प्रेस
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संवाददाता ::आजमगढ़ ::गंगा प्रकाश त्यागी {C011} :: Published Dt.26.01.2023 ::Time-8:55PM:: आजमगढ़ दुकान की बिजली बिल की आरसी वापस करने के लिये 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने वाला अभियुक्त गिरफ्तार:बहुजन प्रेस

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)
Azamgarh News । ब्यूरो रिपोर्ट :गंगा प्रकाश त्यागी । थाना सिधारी,आजमगढ़ दुकान की बिजली बिल की आरसी वापस करने के लिये 20 हजार रुपये की रिश्वत लेने वाला अभियुक्त गिरफ्तार
पूर्व की घटना – श्री महबूब आलम S/O स्व0 मकबूल आलम R/0 मो0 बाज बहादुर थाना कोतवाली जनपद आजमगढ़ के द्वारा दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र दिनांकित 23.01.23 जो थाना प्रभारी एण्टी करप्सन आजमगढ़ को सम्बोधित जो कार्यालय भ्र0नि0सं0 आजमगढ़ पर उपस्थित होकर प्रस्तुत किया गया । इनके द्वारा यह आरोप लगाया गया कि न्यू नाइस टेलरिंग की दुकान जो मेरे भाई चलाते है दुकान बन्द करके ग्राम दाउदपुर जीयनपुर चले गये । मै अपने जीविकोपार्जन हेतु दुकान मालिक से मिलकर किराये पर लेकर न्यू नाइस टेलरिंग की दुकान चलाने लगा । एक दिन अमीन प्रेमप्रकाश मिश्रा ने जरिये दूरभाष अवगत कराया कि दुकान की बिजली बिल रू0 222000/- बकाया है जिसकी आर.सी. कटी है तत्काल पैसा जमा कर दे ।इसके पहले मुझे बिजली बिल बकाया होने की बात की जानकारी नही थी जानकारी होने पर मै बिजली विभाग में सम्पर्क किया तथा पूरी बात बताया तो वहा मुझे बताया गया कि आर.सी. वापस करा दीजिये । उपभोक्ता पैसा जमा करने को तैयार है । इसके बाद अमीन प्रेमप्रकाश मिश्र से मिला और आर सी वापस करने हेतु निवेदन किया तो अमीन साहब ने कहा कि आरसी वापस करने के लिये रू0 22000/- मुझे व 7000/- अतिरिक्त खर्च की मांग की गयी । मेरे द्वारा काफी अनुनय विनय करने पर अमीन प्रेमप्रकाश मिश्र ने बीस हजार रूपये में आर0सी0 वापस करने हेतु तैयार हो गये साहब मै मजबूर होकर अमीन प्रेम कुमार मिश्रा को बीस हजार रूपये देने की हामी भर लिया साहब मै अमीन प्रेम कुमार मिश्र को बीस हजार रूपये देना नही चाहता हूं । बल्कि बीस हजार रूपये लेते हुये अमीन को पकड़वाना चाहता है ।
गिरफ्तारी का विवरण- दिनांक 25.01.2023 को समय 08.00 बजे टीम प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार यादव व टीम के निरीक्षत श्री अशोक कुमार सिंह निरी0 श्री उपेन्द्र सिंह यादव व कार्यालय भ्र0नि0सं0 वाराणसी प्रस्थान किया गया तथा आरक्षी अमित सिंह भ्र0नि0सं0 आजमगढ़ ईकाई को बताया गया कि पहलवान मूर्ति चौराहा आजमगढ़ पर मिले । रास्ते में आरक्षी अमित सिंह को साथ लेकर जिलाधिकारी आजमगढ़ के आवास पर समय 10.00 बजे पहुंचा गया निर्देशानुसार शिकायतकर्ता महबूब आलम वही मिले जिनसे बात चीत की गयी तत्पश्चात जिलाधिकारी आजमगढ़ महोदय से मिलकर भ्र0नि0सं0 आजमगढ़ ईकाई द्वारा तैयार पत्र के माध्यम दो लोक सेवक साक्षीगण को नामित कर उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध पत्र दिया गया जिस पर जिलाधिकारी महोदय ने 1. श्रीराम बचन स्टेनो AD Basic 2.श्री सुशील श्रीवास्तव ad/d लिपिक कलेक्ट्रेट को नामित कर उपलब्ध कराये तत्पश्चात कैम्प कार्यालय से दोनो लोक सेवक साक्षीगण को बाहर लाकर शिकायत कर्ता व ट्रैप टीम के समक्ष नाम पता पूछा गया तो एक ने अपना नाम श्री रामबचन यादव s/o स्व0 भगवान यादव r/o चक सैदुल्ला थाना रानी की सराय आजमगढ़ सम्प्रति वैयक्तिक सहायक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पकवा ईनार बलिया सम्बन्ध सहायक शिक्षा निदेशक ( बेशिक ) मण्डल आजमगढ़ मो0नं0 9453360812 व दूसरे ने अपना नाम श्री सुशील कुमार श्रीवास्तव s/o जगरनाथ लाल श्रीवास्तव r/o ग्राम रानीपुर रजमो थाना गम्भीरपुर जनपद आजमगढ़ सम्प्रति प्रशासनिक अधिकारी कलेक्ट्रेट तहसील फूलपुर आजमगढ़ मो0नं0 9450030448 बताये। कैम्प कार्यालय से समय 10.30 बजे प्रस्थान कर मै टीम प्रभारी मय टीम के सदस्यों शिकायतकर्ता व लोक सेवक साक्षीगण के साथ सरकारी वाहन व अन्य साधन से समय 10.45 बजे पुलिस लाइन स्थित थाना एण्टी करप्सन आजमगढ़ मण्डल आजमगढ़ पर पहुंच गये । वादी ने अपने हाथों से अभियुक्तको पैसा दे दिया । वह व्यक्ति नोटो को अपने हाथों में लेकर गिनने लगा था रिश्वत के लेन देन का पूर्ण विश्वास होने पर निरीक्षक द्वारा उस व्यक्ति का हाथ जिसमें नोटो के साथ समय 12.25 बजे पकड़ कर लोक सेवक साक्षीगण व ट्रैप टीम के समक्ष बरामद कर लिया गया । बरामद नोटो को देखा गया तो वही दो दो हजार रूपये के 02 नोट तथा पांच पांच सौ रूपये के 32 नोट जो फर्द ट्रीट ट्रैप के नोटो से हुबहू पाये गये जिस पर फिनाफ्थलीन पाउडर लगाकर शिकायतकर्ता को रिश्वत में देने के लिए दिया गया था और जिसके नम्बर ट्रीट टैप फर्द में अंकित किये गये है । अन्य अग्रिम कार्यवाही की जा रही है।
गिफ्तार अभियुक्त
प्रेम कुमार मिश्र पुत्र देवी प्रसाद मिश्र निवासी पुष्प नगर थाना दीदारगंज जनपद आजमगढ़ सम्प्रति क्षेत्रिय अमीन सिधारी जनपद आजमगढ़ उम्र करीब 54 वर्ष ।
पंजीकृत अभियोग –
1- मु0अ0सं0 46/23 धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधि0 थाना सिधारी आजमगढ़ ।
बरामदगी
बीस हजार रुपये भारतीय करेंसी ( दो हजार की 2 नोट, तथा पाँच सौ के 32 नोट कुल बीस हजार रुपये)
गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम का विवरण
1. निरीक्षक श्री विनोद कुमार यादव प्रभारी टीम भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी
2. निरी0 उपेन्द्र सिंह यादव भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी
3. निरी0 अशोक कुमार सिंह भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी
4. हे0का0 पुनीत भ्रष्टाचार निवारण संगठन ईकाई आजमगढ़
5. हे0का0 विशाल भ्रष्टाचार निवारण संगठन ईकाई आजमगढ़
6. का0 सुधीर भ्रष्टाचार निवारण संगठन ईकाई आजमगढ़
7. का0 अमित कुमार भ्रष्टाचार निवारण संगठन ईकाई आजमगढ़
8. हे0का0चा0 अश्वनी पाण्डेय भ्रष्टाचार निवारण संगठन ईकाई आजमगढ़
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।
” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”
आईपीसी की धारा 323 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 323 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है तो वह व्यक्ति धारा 323 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022
अथवा
स्वेच्छया उपहति/चोट कारित करने के लिए दण्ड। उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 334 में उपबंध है ,जो कोई स्वेच्छया उपहति करीत करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवश्य एक वर्ष तक की हो सकरगि , या जुर्माने से जो 1000 रूपये तक का हो सकेगा , या दोनों से , दण्डित किया जायेगा।
उपहति /चोट से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा , रोग या अंग -शैथिल्य कारित करता है, वह उपहति करता है। यह कहा जाता है।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.19-12-2022
नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड:
आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022
महान दार्शनिक रजनीश ओशो
प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो
Dt.7 January 2023। Mukesh Bharti ।आधुनिक युग के महान दार्शनिक रजनीश ओशो ने जीवन जीने की नई ऊर्जा दी। संभोग में समाधि नामक अपने दर्शन की किताब में इस नये आयाम दिया मनुष्य अपने जीवन को नर्क बना देता है जीवन भर सेक्स के पीछे भागता रहता है जबकि जीवन का लक्ष्य कुछ और ही है।
“जो उस मूलस्रोत को देख लेता है…”।
यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है : वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता है। वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है।
जिसको मैंने, ” संभोग से समाधि की ओर ” कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं | एक तो रति है मनुष्य की — स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है? — या आभास होता है कम से कम। फिर “एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। “एक तो रति है – दूसरे से मिलने की। और एक रति है – अपने से मिलने की। ” जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। ” संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है।” ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम क्या है? कामवासना का मूलस्रोत क्या है? यौन-ऊर्जा का रूपांतरण कैसे संभव? क्या संभावनाएं हैं मनुष्य की?
सामग्री तालिका
अध्याय शीर्षक अनुक्रम
1: संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा 2: संभोग : अहं-शून्यता की झलक 3: संभोग : समय-शून्यता की झलक 4: समाधि : अहं-शून्यता, समय-शून्यता का अनुभव 5: समाधि : संभोग-ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन 6: यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम 7: युवक और यौन 8: प्रेम और विवाह 9: जनसंख्या विस्फोट 10: विद्रोह क्या है 11: युवक कौन 12: युवा चित्त का जन्म 13: नारी और क्रांति 14: नारी—एक और आयाम 15: सिद्धांत, शास्त्र और वाद से मुक्ति 16: भीड़ से, समाज से—दूसरों से मुक्ति 17: दमन से मुक्ति 18: न भोग, न दमन—वरन जागरण
विवरण: जीवन-ऊर्जा रूपांतरण के विज्ञान पर ओशो द्वारा दिए गए 18 प्रवचनों का संकलन।
उद्धरण : संभोग से समाधि की ओर – पहला प्रवचन – संभोग : परमात्मा की सृजन-ऊर्जा
“जिस आदमी का ‘मैं’ जितना मजबूत है, उतनी ही उस आदमी की सामर्थ्य दूसरे से संयुक्त हो जाने की कम हो जाती है। क्योंकि ‘मैं’ एक दीवाल है, एक घोषणा है कि मैं हूं। मैं की घोषणा कह देती है: तुम ‘तुम’ हो, मैं ‘मैं’ हूं। दोनों के बीच फासला है। फिर मैं कितना ही प्रेम करूं और आपको अपनी छाती से लगा लूं, लेकिन फिर भी हम दो हैं। छातियां कितनी ही निकट आ जाएं, फिर भी बीच में फासला है–मैं ‘मैं’ हूं, तुम ‘तुम’ हो। इसीलिए निकटतम अनुभव भी निकट नहीं ला पाते। शरीर पास बैठ जाते हैं, आदमी दूर-दूर बने रह जाते हैं। जब तक भीतर ‘मैं’ बैठा हुआ है, तब तक दूसरे का भाव नष्ट नहीं होता।
सार्त्र ने कहीं एक अदभुत वचन कहा है। कहा है कि दि अदर इज़ हेल। वह जो दूसरा है, वही नरक है। लेकिन सार्त्र ने यह नहीं कहा कि व्हाय दि अदर इज़ अदर? वह दूसरा ‘दूसरा’ क्यों है? वह दूसरा ‘दूसरा’ इसलिए है कि मैं ‘मैं’ हूं। और जब तक मैं ‘मैं’ हूं, तब तक दुनिया में हर चीज दूसरी है, अन्य है, भिन्न है। और जब तक भिन्नता है, तब तक प्रेम का अनुभव नहीं हो सकता।
प्रेम है एकात्म का अनुभव। प्रेम है इस बात का अनुभव कि गिर गई दीवाल और दो ऊर्जाएं मिल गईं और संयुक्त हो गईं। प्रेम है इस बात का अनुभव कि एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति की सारी दीवालें गिर गईं और प्राण संयुक्त हुए, मिले और एक हो गए। जब यही अनुभव एक व्यक्ति और समस्त के बीच फलित होता है, तो उस अनुभव को मैं कहता हूं–परमात्मा। और जब दो व्यक्तियों के बीच फलित होता है, तो उसे मैं कहता हूं–प्रेम।
अगर मेरे और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच यह अनुभव फलित हो जाए कि हमारी दीवालें गिर जाएं, हम किसी भीतर के तल पर एक हो जाएं, एक संगीत, एक धारा, एक प्राण, तो यह अनुभव है प्रेम। और अगर ऐसा ही अनुभव मेरे और समस्त के बीच घटित हो जाए कि मैं विलीन हो जाऊं और सब और मैं एक हो जाऊं, तो यह अनुभव है परमात्मा।
इसलिए मैं कहता हूं: प्रेम है सीढ़ी और परमात्मा है उस यात्रा की अंतिम मंजिल।”—ओशो
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