Raebareli  Newsबड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई संत शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Raebareli  Newsबड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई संत शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती

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संवाददाता ::रायबरेली ::रामलखन गौतम {C06} :: Published Dt.05.02.2023 ::बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई संत शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती

 


Ramlakhan Rai Bareli
ब्यूरो रिपोर्ट : राम लखन गौतम -रायबरेली

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Raebareli  News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :रामलखन गौतम

बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई संत शिरोमणि संत रविदास जी की जयंतीरायबरेली ….. परमज्ञानी संत शिरोमणि, सामाजिक परिवर्तन के महानायक संत सतगुरु रविदास महाराज की जयंती समारोह हरचंदपुर कार्यालय में बड़े धूमधाम से मनाया गया सभी साथियों के कार्य को देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा, भीम आर्मी द्वारा हरचंदपुर कार्यालय में 5 फरवरी 2023 को परमज्ञानी संत शिरोमणि संत रविदास जयंती मनाई गई * जिला संगठन मंत्री रवी अम्बेडकर जी* की अगुवाई में और माननीय जिला संयोजक स्वामी दयाल जी के आदेशानुसार जिला संगठन मंत्री रवी अम्बेडकर जी, हरचंदपुर ब्लॉक संयोजक हंस बहादुर, हरचंदपुर ब्लॉक संगठन सचिव दुर्गेश जी, जिला संगठन सचिव अनूप अंबेडकर हरचंदपुर ब्लॉक मीडिया प्रभारी संजीव जी , जी, हरचंदपुर ब्लॉक प्रवक्ता अंजनी मौर्या जी, हरचंदपुर ब्लॉक सोशल मीडिया अजय नास्तिक , खीरों ब्लॉक आशीष सोशल मीडिया प्रभारी, अरुण यादव जी, बालेंद्र यादव जी, आलोक यादव जी, संतोष जी, शिवम जी, सतगुरु जी कुलदीप जी , लवकुश जी,विजय जी आदि भीम आर्मी के अनेकों साथियों ने मिलकर इस दिन को बनाया यादगार I मा. चंद्रशेखर आज़ाद जी का संदेश, और भीम आर्मी में जुड़कर बहुजन समाज को अपने हक और अधिकारों को जानने, व समाज को मजबूत करने, अन्याय से लड़ने, तथा स्वाभिमान से जीने एवं बहुजन समाज को मजबूत करने का मंत्र I साथियों ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाया I इस औसर पर भीम आर्मी हरचंदपुर विधानसभा के सभी साथियों ने संगठित होकर बहुजन समाज को संगठित रहने का संदेश दिया।


नांगेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन ने भी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के ‘सती’ होने की यह एकमात्र घटना है। इस घटना के बाद विद्रोह हो गया। हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं ने फुल कपड़े पहनना शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर राजा के महल में पहुंच गए। कहा, “हम हिंसा रोकने में असफल साबित हो रहे हैं कुछ करिए।” राजा बैकफुट पर चले गए। उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स के ऊपर कपड़े पहन सकती हैं।

महिला ने ही महिला को परेशान किया
नादर जाति कि महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत मिली तो एजवा, शेनार या शनारस और नादर वर्ग की महिलाओं ने भी विद्रोह किया। उनके विद्रोह को दबाने के लिए उच्च परिवार की स्त्रियां भी आगे आ गई। ऐसे ही एक कहानी सामने आती है जिसमें रानी ‘अन्तिंगल’ ने एक दलित महिला का स्तन कटवा दिया था।bheem rao ambedkar

गरीब जनता राजा से इतना परेशान हो गए कि श्रीलंका भाग गए और धर्म परिवर्तन कर लिया।
इस कुप्रथा के खिलाफ विद्रोह करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से श्रीलंका चले गए। वहां की चाय बगानों में काम करने लगे। इसी दौरान त्रावणकोर में अंग्रेजों का दखल बढ़ा। 1829 में त्रावणकोर के दीवान मुनरो ने कहा, “अगर महिलाएं ईसाई बन जाएं तो उन पर हिन्दुओं का ये नियम नहीं लागू होगा। वे स्तन ढक सकेंगी।”

जल-भुन गए ऊंची जाति के लोग:मुनरो के इस आदेश से ऊंची जाति के लोगों में गुस्सा भर गया, लेकिन अंग्रेज फैसले पर टिके रहे। 1859 में अंग्रेजी गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने त्रावणकोर में इस नियम को रद्द कर दिया। अब हिंसा करने वाले बदल गए। ऊंची जाति के लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी। नादर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके अनाज जला दिए। इस दौरान नादर जाति कि दो महिलाओं को सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे से महिलाओं को मिली राहत-अंग्रेजी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस कुप्रथा का जिक्र करते हुए लिखा, “संघर्ष लंबा चला। 1965 में प्रजा जीत गई और सभी को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार के बावजूद कई हिस्सों में दलितों को कपड़े न पहनने देने की कुप्रथा चलती रही। 1924 में यह कलंक पूरी तरफ से खत्म हो गया, क्योंकि उस वक्त पूरा देश आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा था।”

काले कानून को छिपाने की कोशिश इतिहास से मिटाने की कोशिश
NCRT ने 2019 में क्लास 9 के इतिहास की बुक से तीन अध्याय हटा दिए। इसमें एक अध्याय त्रावणकोर में निचली जातियों के संघर्ष से जुड़ा था। हंगामा हुआ। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “यह विषय हटाना संघ परिवार के एजेंडे को दिखाता है।” इसके पहले CBSE ने भी 2017 में 9वीं के सोशल साइंस से ये वाला चैप्टर हटा दिया था। मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने कहा, “2017 की परीक्षाओं में चैप्टर, कास्ट, कन्फ्लिक्ट एंड ड्रेस चेंज से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।”

नांगेली को इतिहास बहादुरी की मिशाल
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकोलॉजी और दलित स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शीबा केएम कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था।” नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू कहते हैं कि मुझे नांगेली के परिवार की संतान होने पर गर्व है। उन्होंने ये फैसला अपने लिए नहीं, बल्कि सारी औरतों के लिए किया था। उनके त्याग से ही राजा को ये कर वापस लेना पड़ा था।

महिला नांगेली ने अपने प्राण त्याग से क्रांति रची। उन्होंने एक शर्मनाक टैक्स को खत्म करने के लिए अपनी जान दे दी। केरल के मुलच्छीपुरम में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है।


stikar kabir ki vani

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


Stikar Aaj ka suvichar” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 504 में विधि का  क्या प्राविधान है

Kanooni salah

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई  शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।  जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023

अथवा 

जो कोई किसी व्यक्ति को साशय अपमानित करेगा या गाली गलौज करेगा और तद्द्वारा उस व्यक्ति कोइस आशय से  या यह सम्भाव्य जानते हुए, प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

 

अपमानित /लोक शान्ति भंग से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा ह, वह अपमानित करता है। यह कहा जाता है।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023


नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड:

आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

Virendra kuamr Usmani Degree College Lakhimpur Kheri
Virendra Kumar Usmani Degree College

Stikar Samany Gyan 2023
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।Genral Knowledge
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022


संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:Guru ravidas ji

संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को

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