Mainpuri News:DM ने अध्यापकों और आंगनवाडी कार्यकत्री के साथ ’’हमारा आंगन-हमारे बच्चे‘‘ कायर्क्रम के अंतर्गत बैठक की – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Mainpuri News:DM ने अध्यापकों और आंगनवाडी कार्यकत्री के साथ ’’हमारा आंगन-हमारे बच्चे‘‘ कायर्क्रम के अंतर्गत बैठक की

1 min read
😊 Please Share This News 😊

संवाददाता :: मैनपुरी::वनीश कुमार  {C016} :: Published Dt.31.03.2023 :Time:6:50PM :DM ने अध्यापकों और आंगनवाडी कार्यकत्री के साथ ’’हमारा आंगन-हमारे बच्चे‘‘ कायर्क्रम के अंतर्गत बैठक की:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती  


ब्यूरो चीफ :अवनीश कुमार

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)

न्यूज़ और विज्ञापन के लिए संपर्क करें – सम्पर्क सूत्र :9336114041, 9161507983


Mainpuri News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :अवनीश कुमार। जिलाधिकारी ने अध्यापकों और आंगनवाडी कार्यकत्री के साथ ’’हमारा आंगन-हमारे बच्चे‘‘ कायर्क्रम के अंतर्गत बैठक की

मैनपुरी – जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक स्तर के अध्यापकों और आंगनवाडी कायर्कत्री की क्षमता संवधर्न एवं उन्मुखीकरण हेतु ’’हमारा आंगन-हमारे बच्चे‘‘ एक दिवसीय उत्सव कायर्क्रम को सम्बोधित करते हुये उपस्थित शिक्षकों, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आव्हान करते हुये कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में सी.बी.एस.ई., आई.सी.एस.ई., अन्य काॅन्वेट विद्यालय स्तर के मानक स्थापित कर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को हर क्षेत्र में पारगंत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन करें ताकि प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी इंग्लिश मीडियम के बच्चों की भांति परिषदीय विद्यालयों का नाम रोशन करें। उन्होने कहा कि यद्यपि यह एक चुनौती भरा कार्य है लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों में टेलेंट की कोई कमी नहीं है, सभी शिक्षक अपने-अपने विषयों में पारंगत हैं,

तमाम शिक्षक काफी अनुभवी है। यदि आप सब ठान लें तो प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में तेजी से सुधार ला सकते हैं। शासन द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं हेतु सभी मूल-भूत सुविधाओं की व्यवस्था कर दी गयी है, तमाम विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में भी सुधार हुआ है, लेकिन अभी और सुधार की गुजांइश है। उन्होने कहा कि हमारे देश में प्राथमिक विद्यालयों में कोई भी सम्पन्न, पढ़ा-लिखा व्यक्ति इन विद्यालयों में अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए नहीं भेजता है, गरीब व्यक्तियों के बच्चे ही बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में पढ़ने आते हैं। वहीं दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की योग्यता प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से कई गुना ज्यादा होती है, फिर भी जो शिक्षा का माहौल है, उसमें बुनियादी परिवतर्न का न आना चिन्ता का विषय बना हुआ है।
श्री सिंह ने कहा कि किसी भी स्वस्थ समाज, मजबूत राष्ट्र के निमार्ण के लिए बच्चों की बुनियादी शिक्षा में 03 बातों को समावेश होना बेहद जरूरी है, पहली प्रारम्भिक शिक्षा, दूसरी स्वास्थ्य, स्वास्थ्य में व्यायाम, साफ-सफाई, खान-पान, योग आदि को समावेषित करते हुये बच्चों के अंदर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का होना बेहद आवश्यक है, अच्छा स्वास्थ्य बेहतर मस्तिष्क के लिए आवश्यक है, स्वास्थ्य से बड़ा उपहार कुछ भी नहीं होता। उन्होने कहा कि स्वस्थ्य रहने के लिए किसी भी बच्चे के नाखून, बाल बड़े न हों, प्रतिदिन नहाने की आदत हो, सफाई से खान-पान किया जाये इसके विषय में भी हमारा योगदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के अन्दर स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता होनी चाहिये, तीसरा हमारी भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों की पहचान, हमारी संस्कृति कितनी समृद्व रही है, ऋषि-मुनियों का देश कितना समृद्व रहा है, हम उस धरती मां, भारतवर्ष की संतान है। जो परम्परागत रूप से पावन धरती रही है, जहां पर संस्कारों, मूल्यों की पुरानी परम्परा है। यह गौरव का भाव छोटे-छोटे बच्चों के मन में प्रारम्भ से ही आने चाहिये ताकि यह बडे होकर एक चरित्रवान नागरिक बन सकें।
जिलाध्यक्ष प्रदीप चैहान ने कहा कि कायर्क्रम स्थल पर लगाए गए स्टॉल का अवलोकन करने से जानकारी मिली कि शिक्षकों ने नौनिहालों को अक्षर ज्ञान, भाषा ज्ञान में कैसे निपुण करें, के संबंध में बेहतर प्रयास देखने को मिला, प्राइमरी शिक्षा से पहले बच्चों को विद्यालय में परिवार जैसा माहौल मिले इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किए, जहां उनके स्वास्थ्य, शिक्षण, खान-पान का ध्यान आंगनवाड़ी केंद्र की सहायिका, कायर्कत्रियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षो पूर्व की शिक्षा और आज की शिक्षा में काफी अंतर है, पहले विद्यालयों में सुविधाएं नहीं थी, लोगों के पास संसाधनों की कमी थी, लेकिन आज प्राथमिक विद्यालय प्रत्येक सुविधा से सुसज्जित है, ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी विद्यालयों में मूल-भूत सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। आज प्राथमिक विद्यालयों में देश की भावी पीढ़ी को ज्ञानवान के साथ-साथ संस्कारवान बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी चिकित्सक के गलत इलाज के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, किसी इंजीनियर की गलत नापतोल, कार्य की गुणवत्ता खराब होने के फलस्वरूप किसी इमारत को नुकसान हो सकता है, प्रशासनिक स्तर से लिए गए गलत निणर्य के कारण किसी एक व्यक्ति को हानि पहुंच सकती है लेकिन प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक के गलत निणर्य, गलत शिक्षण कायर् से देश के भविष्य बच्चों की जिंदगी बबार्द हो सकती है। इसलिए शिक्षकों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप सब बच्चों के भविष्य को संवारने, सुधारने की दिशा में कार्य करें, छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दें ताकि वह जीवन में किसी न किसी क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर सकें। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, प्रदेश के तपस्वी मुख्यमंत्री ने कोरोना कॉल में भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का कार्य किया, तमाम शिक्षकों ने अपने निजी वेतन से तैनाती वाले विद्यालयों में ढांचागत सुधार करने में योगदान किया है, ऐसे सभी शिक्षक बधाई के पात्र हैं।
जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह, मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, जिलाध्यक्ष प्रदीप चैहान ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक सतीश चंद्र, अभय प्रताप सिंह, मनोज कुमार, रीना गुप्ता, साधना अंबेश, रजनीश राठौर, नूतन श्रीवास्तव, पंकज कुमार, मेधा चैहान, प्रदीप कुमार वर्मा, मंजू यादव, सुजाता चैहान, प्रीति यादव, रेशू जैन, प्रदीप कुमार, नीरा यादव, अनूप श्रीवास्तव, संजीव कुमार, पुष्पेंद्र राजपूत, मुनेश कुमार, हेमंत कुमार यादव, अंजलि, सोनम, अमित कुमार सिंह, शशीकांत दिक्षित, प्रदीप कुमार, प्रवीन कुमार,  किरनबाला, प्रगति वर्मा, वीनेश कुमार तथा आंगनवाड़ी कायर्कत्री संध्या, रीता, पुष्पलता, शमीम बानो, नीरज, मनोरमा, गायत्री, आशा, शशि कला, नीतू, सीमा, आशा, विमलेश, नीरज, सीमा, सुषमा, अंजनी, मनोज, सुषमा, कल्पना को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, उप जिलाधिकारी सदर नवोदिता शर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका गुप्ता, प्र. जिला कायर्क्रम अधिकारी अरविन्द कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी किशनी, बेवर, सुल्तानगंज, बरनाहल, जागीर, मैनपुरी, नगर क्षेत्र सुनील कुमार दुबे, नीरजा चतुवेर्दी, उदय नारायण कटियार, कौशल कुमार, अनुपम शुक्ला आदि उपस्थित रहे, कायर्क्रम का संचालन राकेश कुमार ने किया।


संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:Guru ravidas ji

संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।

कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।

संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-

कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥

संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:

 


निम्न जाति की महिलाओं पर स्तन कर , महिलाओं का शादियों तक सहना पड़ा अपमान 

Published Date 28 January 2023: दुनिया में टैक्स की शुरुआत 14वीं शताब्दी से माना जाता है । हालांकि 5000 साल पहले मिस्त्र में टैक्स वसूली के सबूत भी मिले हैं। चलिए आपको कुछ अजीबो-गरीब ।
त्रावणकोर में ब्रेस्ट टैक्स-
स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।

नांगेली की ग्रामीण एक ऐसी महिला के बारे में है जो 19वीं सदी की शुरुआत में त्रावणकोर राज्य के चेरथला में रहती थी, और कथित तौर पर जाति-आधारित “स्तन कर” का विरोध करने के प्रयास में अपने स्तनों को काट देती थी।

भारत के केरल राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।

यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।

19वीं सदी की शुरुआत केरल के त्रावणकोर में महिलाओं से ब्रेस्ट टैक्स लिया जाता था ब्रेस्ट की साइज के मुताबिक अधिकारी टैक्स निर्धारित करते थे बताया जाता है कि नांगेली नाम की महिला ने इसके विरोध में अपने स्तन काट दिए थे इसके बाद इस टैक्स का विरोध होने लगा साल 1814 में त्रावणकोर के राजा ने ब्रेस्ट टैक्स को खत्म कर दिया।

मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा  : भारत के कर्नाटक राज्य में मुर्ख मार्थंड वर्मा नामक राजा के राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं। ऊंची जाति के महिलाओं पर टैक्स नहीं लगता था। जिससे जाति वादी मानशिकता साफ नज़र आती है। ये टैक्स अंग्रेजों या मुस्लिम शासकों द्वारा नहीं लगाया गया था बल्कि हिन्दू धर्म के भारतीय क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मण मंत्रियों की सलाह पर लगाया गया था। धीरे धीरे धार्मिक रूप देकर इसको भारतीय संस्कृत और सभ्यता बताने की कोशिश की गयी थी। इस घृणित कार्य में वेद पुराण धर्म शास्त्र के पढ़े लिखे के महारथियों का षड्यंत्र था जिससे उच्च जाति और निम्न जाति की महिलाओं में विभेद किया जा सके।जाति वर्ग व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। जितने दोषी उस राज्य के पण्डे पुजारी धर्मशास्त्री लोग थे उतना ही दोष उनकी महिलाओं का था जो इसका स्पोर्ट करती थी। इसको बनाये रखने के लिए नये नये तर्क गढ़े जाते थे और धर्म शास्त्र का सहारा लिया जाता था। और एक विशेष जाति की प्रथा बता कर किनारा कर लिया जाता था।
शोषित पीड़ित लोगों का अपमान और दमनकारी धार्मिक जाल:

Stikarशोषित पीड़ित लोगों के साथ ऐसा इस लिए किया जाता है क्यों कि वे लोग स्वाभिमान की जिंदगी न जी सके। उनकी मोरैलिटी सदैव डाउन रह सके। उनका सामाजिक स्तर नीचे गिर सके। अपने आप को हीन मान सके। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सके। पढ़ने लिखने वाली संस्थाओं में एंट्री न मिल सके। जाति व्यवस्था कायम रहे और इसको लोग भगवान का कोप मानकर सदियों तक झेलते रहे। जिससे उनपर शासन किया जा सके और कभी भी विद्रोह न कर सके। इसलिए ऐसे पाप कर्म को धार्मिक चोला पहना दिया जाता है। मूलाकरम या स्तन कर यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
निम्न जाति की महिलाओं को शादियों तक सहना पड़ा अपमान
1924 तक दलित महिलाओं को स्तन ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था, छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे ये कहानी महिलाओं के स्तन ढकने की लड़ाई के बारे में है। ये कहानी किसी दूसरे मुल्क की नहीं, बल्कि भारत की है। कब क्या हुआ? कैसे हुआ और कैसे चीजें सही हुईं ये सब बताते हैं।

एक क्रूर व मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा का उदय त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना:
1729, मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना हुई। राजा थे मार्थंड वर्मा। साम्राज्य बना तो नियम-कानून बने। टैक्स लेने का सिस्टम बनाया गया। जैसे आज हाउस टैक्स, सेल टैक्स और जीएसटी, लेकिन एक टैक्स और बनाया गया…ब्रेस्ट टैक्स मतलब स्तन कर। ये कर दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगाया गया।

जितना बड़ा स्तन उतना बड़ा टैक्स:
त्रावणकोर में निचली जाति की महिलाएं सिर्फ कमर तक कपड़ा पहन सकती थी। अफसरों और ऊंची जाति के लोगों के सामने वे जब भी गुजरती उन्हें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी। अगर महिलाएं छाती ढकना चाहें तो उन्हें इसके बदले ब्रेस्ट टैक्स देना होगा। इसमें भी दो नियम थे। जिसका ब्रेस्ट छोटा उसे कम टैक्स और जिसका बड़ा उसे ज्यादा टैक्स। टैक्स का नाम रखा था मूलाक्रम।
महिलाओं के साथ पुरुषों पर भी नियम लागू
यह फूहड़ रिवाज सिर्फ महिलाओं पर नहीं, बल्कि पुरुषों पर भी लागू था। उन्हें सिर ढकने की परमिशन नहीं थी। अगर वे कमर के ऊपर कपड़ा पहनना चाहें और सिर उठाकर चलना चाहें तो इसके लिए उसे अलग से टैक्स देना पड़ेगा। यह व्यवस्था ऊंची जाति को छोड़कर सभी पर लागू थी, लेकिन वर्ण व्यवस्था में सबसे नीचे होने के कारण निचली जाति की दलित महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

त्रावणकोर साम्राज्य के मुर्ख राजपुरोहित लोग होते थे महिलाओं की छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे।
नादर वर्ग की महिलाओं ने कपड़े से सीना ढका तो सूचना राजपुरोहित तक पहुंच जाती थी। पुरोहित एक लंबी लाठी लेकर चलता था जिसके सिरे पर एक चाकू बंधी होती थी। वह उसी से ब्लाउज खींचकर फाड़ देता था। उस कपड़े को वह पेड़ों पर टांग देता था। यह संदेश देने का एक तरीका था कि आगे कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। कई बार तो टैक्स न देने पर पीट पीट कर मार दिया जाता था। हैवानित का मंजर चलता रहा और देवी देवता सभी ख़ामोशी से देखते रहे।

Mukesh Bharti
Editor- Mukesh Bharti: Bahujan India 24 News

नादर वर्ग की स्वाभिमानी नांगेली ने दिखाया था दम किया विरोध
19वीं शताब्दी की शुरुआत में चेरथला में नांगेली नाम की एक महिला थी। स्वाभिमानी और क्रांतिकारी। उसने तय किया कि ब्रेस्ट भी ढकूंगी और टैक्स भी नहीं दूंगी। नांगेली का यह कदम सामंतवादी लोगों के मुंह पर तमाचा था। अधिकारी घर पहुंचे तो नांगेली के पति चिरकंडुन ने टैक्स देने से मना कर दिया। बात राजा तक पहुंच गई। राजा ने एक बड़े दल को नांगेली भेज दिया।

नांगेली ने स्तन टैक्स के लिए स्तन ही काट दिया
मुर्ख राजा के आदेश पर टैक्स लेने अफसर नांगेली के घर पहुंच गए। पूरा गांव इकट्ठा हो गया। अफसर बोले, “ब्रेस्ट टैक्स दो, किसी तरह की माफी नहीं मिलेगी।” नांगेली बोली, ‘रुकिए मैं लाती हूं टैक्स।’ नांगेली अपनी झोपड़ी में गई। बाहर आई तो लोग दंग रह गए। अफसरों की आंखे फटी की फटी रह गई। नांगेली केले के पत्ते पर अपना कटा स्तन लेकर खड़ी थी। अफसर भाग गए। लगातार ब्लीडिंग से नांगेली जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी न उठ सकी।

नांगेली की चिता में कूद गया पति
नांगेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन ने भी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के ‘सती’ होने की यह एकमात्र घटना है। इस घटना के बाद विद्रोह हो गया। हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं ने फुल कपड़े पहनना शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर राजा के महल में पहुंच गए। कहा, “हम हिंसा रोकने में असफल साबित हो रहे हैं कुछ करिए।” राजा बैकफुट पर चले गए। उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स के ऊपर कपड़े पहन सकती हैं।

महिला ने ही महिला को परेशान किया
नादर जाति कि महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत मिली तो एजवा, शेनार या शनारस और नादर वर्ग की महिलाओं ने भी विद्रोह किया। उनके विद्रोह को दबाने के लिए उच्च परिवार की स्त्रियां भी आगे आ गई। ऐसे ही एक कहानी सामने आती है जिसमें रानी ‘अन्तिंगल’ ने एक दलित महिला का स्तन कटवा दिया था।bheem rao ambedkar

गरीब जनता राजा से इतना परेशान हो गए कि श्रीलंका भाग गए और धर्म परिवर्तन कर लिया।
इस कुप्रथा के खिलाफ विद्रोह करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से श्रीलंका चले गए। वहां की चाय बगानों में काम करने लगे। इसी दौरान त्रावणकोर में अंग्रेजों का दखल बढ़ा। 1829 में त्रावणकोर के दीवान मुनरो ने कहा, “अगर महिलाएं ईसाई बन जाएं तो उन पर हिन्दुओं का ये नियम नहीं लागू होगा। वे स्तन ढक सकेंगी।”

जल-भुन गए ऊंची जाति के लोग:मुनरो के इस आदेश से ऊंची जाति के लोगों में गुस्सा भर गया, लेकिन अंग्रेज फैसले पर टिके रहे। 1859 में अंग्रेजी गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने त्रावणकोर में इस नियम को रद्द कर दिया। अब हिंसा करने वाले बदल गए। ऊंची जाति के लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी। नादर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके अनाज जला दिए। इस दौरान नादर जाति कि दो महिलाओं को सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे से महिलाओं को मिली राहत-अंग्रेजी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस कुप्रथा का जिक्र करते हुए लिखा, “संघर्ष लंबा चला। 1965 में प्रजा जीत गई और सभी को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार के बावजूद कई हिस्सों में दलितों को कपड़े न पहनने देने की कुप्रथा चलती रही। 1924 में यह कलंक पूरी तरफ से खत्म हो गया, क्योंकि उस वक्त पूरा देश आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा था।”

काले कानून को छिपाने की कोशिश इतिहास से मिटाने की कोशिश
NCRT ने 2019 में क्लास 9 के इतिहास की बुक से तीन अध्याय हटा दिए। इसमें एक अध्याय त्रावणकोर में निचली जातियों के संघर्ष से जुड़ा था। हंगामा हुआ। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “यह विषय हटाना संघ परिवार के एजेंडे को दिखाता है।” इसके पहले CBSE ने भी 2017 में 9वीं के सोशल साइंस से ये वाला चैप्टर हटा दिया था। मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने कहा, “2017 की परीक्षाओं में चैप्टर, कास्ट, कन्फ्लिक्ट एंड ड्रेस चेंज से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।”

नांगेली को इतिहास बहादुरी की मिशाल
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकोलॉजी और दलित स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शीबा केएम कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था।” नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू कहते हैं कि मुझे नांगेली के परिवार की संतान होने पर गर्व है। उन्होंने ये फैसला अपने लिए नहीं, बल्कि सारी औरतों के लिए किया था। उनके त्याग से ही राजा को ये कर वापस लेना पड़ा था।

महिला नांगेली ने अपने प्राण त्याग से क्रांति रची। उन्होंने एक शर्मनाक टैक्स को खत्म करने के लिए अपनी जान दे दी। केरल के मुलच्छीपुरम में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है।


“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 504 में विधि का  क्या प्राविधान है

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई  शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।  जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!