Mainpuri News:DM ने संचारी रोग नियत्रंण अभियान के तहत द्वितीय बैठक की:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती
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संवाददाता :: मैनपुरी::अवनीश कुमार {C016} :: Published Dt.31.03.2023 :Time:6:50PM :DM ने संचारी रोग नियत्रंण अभियान के तहत द्वितीय बैठक की:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती

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Mainpuri News । ब्यूरो रिपोर्ट :अवनीश कुमार। जिलाधिकारी ने संचारी रोग नियत्रंण अभियान के तहत द्वितीय बैठक की
जिलाधिकारी ने आंगनवाड़ी कायर्कत्री, आशाओ को संचारी रोगों की रोकधाम, लक्षण व बचाव के लिए जागरूक करने के दिये दिशानिर्देश
मैनपुरी – आंगनवाड़ी कायर्कत्री, आशा दस्तक अभियान के दौरान घर-घर भ्रमण के समय लोगों को घर, घर के आस-पास पानी जमा न होने देने, जल पात्रों को साप्ताहिक रूप से साफ करने, मच्छरों से बचाव हेतु पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने, मच्छरदानी का प्रयोग करने के लिए जागरूक करें, बुखार से पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल सरकारी चिकित्सालय में जाकर जांच कराने, प्रशिक्षित चिकित्सकों से इलाज कराने के लिए जागरूक करें, गत वर्षो में जिन ग्रामों में वेक्टर जनित बीमारियों से अधिक संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। उन ग्रामों में उप जिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, पंचायत राज, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों, कमर्चारियों के साथ स्थलीय भ्रमण कर समय से पूर्व फॉगिंग, एंटी लार्वा का छिड़काव कराएं, उन ग्रामों में इस वर्ष बीमारी न फैले, इसके मुकम्मल इंतजाम किए जाएं, कहीं भी जलभराव न हो, नियमित रूप से सफाई- फागिंग की व्यवस्था रहे, नालियों की नियमित सफाई हो, उनमें एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जाए, ग्राम पंचायतों में फागिंग, एंटी लार्वा छिड़काव की मशीन उपलब्ध रहे, जिन ग्राम पंचायतों में मशीनें नहीं है। तत्काल ग्राम स्वास्थ्य समिति में उपलब्ध धनराशि से क्रय की जाए, सभी विद्यालयों में एक-एक शिक्षक को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात कर उसकी सूची उपलब्ध कराई जाए, नोडल शिक्षक प्रतिदिन बच्चों को स्वच्छता के साथ वेक्टर जनित बीमारियों से बचाव हेतु बरतने वाली सावधानियों के बारे में जागरूक किया जाए, 31 मार्च को समस्त विकास खंड स्तर पर नोडल के रूप में तैनात शिक्षकों, ग्राम प्रधानों, सचिवों की कायर्शाला आयोजित कर संचारी रोग अभियान के दौरान उनके दायित्वों के बारे में भली-भांति जागरूक किया जाए।
उक्त निर्देश जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने विशेष संचारी रोग नियत्रंण अभियान एवं दस्तक अभियान केे तहत अन्तविर्भागीय समन्वय समिति की द्वितीय बैठक में देते हुये कहा कि सभी सम्बन्धित अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर जनपदवासियों को वेक्टर, मच्छर जनित बीमारियों से बचाने की दिशा में प्रभावी कायर्वाही करें, प्रस्तुत माइक्रो प्लान के अनुसार सभी कायर्वाही निधार्रित समयसीमा में पूर्ण की जायें, शहर से लेकर गांव तक कहीं भी आवादी के आस-पास स्वच्छ पानी जमा न हो, झाड़ियों का कटान प्राथमिकता पर कराया जाये, सूकर पालकों से सूकर को निधार्रित बाड़े में रखने के लिए नोटिस उपलब्ध करायें जायें, सूकर बाड़े यथा संभव आवादी क्षेत्र से दूर रहें, पशु बांधने वाले स्थान की नियमित रूप सफाई के लिए पशुपालकों को जागरूक किया जाये, चूहे, छछूदंर की रोकथाम के लिए कृषि विभाग प्रभावी कायर्वाही करे। उन्होने जिला पंचायत राज अधिकारी, अधिशाषी अधिकारी नगर निकाय को निदेर्शित करते हुये कहा कि सफाई व्यवस्था को सुदृण किया जाये, नियमित रूप से फाॅगिंग, एंटी लार्वा का छिड़काव शहरी क्षेत्र में नगर निकाय एवं ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत राज विभाग कराना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान कहा कि गत वर्षो में जनपद के 101 ग्रामों में वेक्टर, मच्छर जनित बीमारियों से काफी लोग प्रभावित हुये जिसमें विकास खंड मैनपुरी के अंतगर्त सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कुचेला के 20 गांव जिनमें करीमगंज, अंजनी, उददेतपुर अभई, सिकंदरपुर, देवामई, गणेशपुर, उझईया, जिगना, कसौली, परौंख, मधाऊ, राधा नगर, ओडेन्य पड़रिया, कुचेला, दन्नाहार, पुसैना, ग्वालटोली, टिंडौली, लोघीपुर, ब्लाॅक घिरोर के 11 ग्राम- औछां, घिरोर, रतवा, शाहजहांपुर, नगला आशा, नियुरी, कोसमा, मोहम्मदपुर, नगला हार, ब्लाॅक कुरावली के 07 ग्राम-ज्योति खुड़िया, खिचैली, धमर्पाल, बिशुनपुर, महादेवा, होलूपुरा, स्वास्थ्य केन्द्र सुल्तानगंज के 14 गांव जिसमें ललूपुर, आलीपुर खेड़ा, जरामई, नगला मुंशी, उसमानपुर, गोविंदपुर, भोगांव, अकबेलपुर, ब्योति खुदर्, सुल्तानगंज, इटौरा, बिछवां, ब्लॉक बेवर के 08 ग्राम कल्याणपुर, नवीगंज, मचावर, कटरा, उत्तमपुर, करपिया, अरमसराय, रामपुर, ब्लाॅक किशनी के 11 ग्राम-विटारा, फरेंजी, कटरा, उत्तमपुर, चितायन, विक्रमपुर, निन्तपुर, जगतपुर, नगला दुले, किशनी, लेखराजपुर, ब्लॉक जागीर के 06 ग्राम अजीतगंज, जागीर, कछपुरा, हविलिया, हरचंद्रपुर, द्वारिकापुर, ब्लॉक करहल के 18 ग्राम नगला मोती, मुखिया, निनौली, पतारा, सिंहपुर, नगला बाघ, नगला अती, कुर्रा, टिकौना, कंचनपुर, अमाबाई, अतीकुल्लापुर, अहलादपुर, अनूपनगर, नगला धरम, तखरऊ, सहन, नगला अतिराम, चक, ब्लॉक बरनाहल के 17 ग्राम नगला मूंज, भदौलपुर, गढ़िया जैन, कुम्हेरी, फूलापुर, नवाटेढ़ा, दिहुली, बरहैया, चंदीकरा, बरनाहल, सराय, मुगलपुर, मीठेपुर, नगला देवी, पैरारसाहपुर, गोटपुर, नगला जंगी, नगला दयाल के लोग काफी प्रभावित हुये हैं, इन गांवों में इस वर्ष विशेष सतकर्ता बरती जाये।
इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी राम जी मिश्र, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पी.पी.सिंह, उप जिलाधिकारी सदर, भोगांव, करहल, किशनी, कुरावली, घिरोर, नवोदिता शर्मा, अंजली सिंह, गोपाल शर्मा, आर.एन. वर्मा, युगन्तर त्रिपाठी, शिव नारायण, राजस्व अधिकारी नरेंद्र कुमार, डिप्टी कलेक्टर वीरेन्द्र कुमार मित्तल, नितिन कुमार, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संजीव राव बहादुर, डा. राजीव राय, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार वर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका गुप्ता, जिला पंचायत राज अधिकारी अविनाश चन्द, जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह, अधिशाषी अधिकारी नगर निकाय, जिला मलेरिया अधिकारी एस.एन. सिंह स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी रविन्द्र गौर, डी.एम.सी. यूनिसेफ एस.एम.ओ., समस्त खंड विकास अधिकारी, प्र. चिकित्साधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:
संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।
कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।
संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥
संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:
निम्न जाति की महिलाओं पर स्तन कर , महिलाओं का शादियों तक सहना पड़ा अपमान
Published Date 28 January 2023: दुनिया में टैक्स की शुरुआत 14वीं शताब्दी से माना जाता है । हालांकि 5000 साल पहले मिस्त्र में टैक्स वसूली के सबूत भी मिले हैं। चलिए आपको कुछ अजीबो-गरीब ।
त्रावणकोर में ब्रेस्ट टैक्स-
स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
नांगेली की ग्रामीण एक ऐसी महिला के बारे में है जो 19वीं सदी की शुरुआत में त्रावणकोर राज्य के चेरथला में रहती थी, और कथित तौर पर जाति-आधारित “स्तन कर” का विरोध करने के प्रयास में अपने स्तनों को काट देती थी।
भारत के केरल राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
19वीं सदी की शुरुआत केरल के त्रावणकोर में महिलाओं से ब्रेस्ट टैक्स लिया जाता था ब्रेस्ट की साइज के मुताबिक अधिकारी टैक्स निर्धारित करते थे बताया जाता है कि नांगेली नाम की महिला ने इसके विरोध में अपने स्तन काट दिए थे इसके बाद इस टैक्स का विरोध होने लगा साल 1814 में त्रावणकोर के राजा ने ब्रेस्ट टैक्स को खत्म कर दिया।
मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा : भारत के कर्नाटक राज्य में मुर्ख मार्थंड वर्मा नामक राजा के राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं। ऊंची जाति के महिलाओं पर टैक्स नहीं लगता था। जिससे जाति वादी मानशिकता साफ नज़र आती है। ये टैक्स अंग्रेजों या मुस्लिम शासकों द्वारा नहीं लगाया गया था बल्कि हिन्दू धर्म के भारतीय क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मण मंत्रियों की सलाह पर लगाया गया था। धीरे धीरे धार्मिक रूप देकर इसको भारतीय संस्कृत और सभ्यता बताने की कोशिश की गयी थी। इस घृणित कार्य में वेद पुराण धर्म शास्त्र के पढ़े लिखे के महारथियों का षड्यंत्र था जिससे उच्च जाति और निम्न जाति की महिलाओं में विभेद किया जा सके।जाति वर्ग व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। जितने दोषी उस राज्य के पण्डे पुजारी धर्मशास्त्री लोग थे उतना ही दोष उनकी महिलाओं का था जो इसका स्पोर्ट करती थी। इसको बनाये रखने के लिए नये नये तर्क गढ़े जाते थे और धर्म शास्त्र का सहारा लिया जाता था। और एक विशेष जाति की प्रथा बता कर किनारा कर लिया जाता था।
शोषित पीड़ित लोगों का अपमान और दमनकारी धार्मिक जाल:
शोषित पीड़ित लोगों के साथ ऐसा इस लिए किया जाता है क्यों कि वे लोग स्वाभिमान की जिंदगी न जी सके। उनकी मोरैलिटी सदैव डाउन रह सके। उनका सामाजिक स्तर नीचे गिर सके। अपने आप को हीन मान सके। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सके। पढ़ने लिखने वाली संस्थाओं में एंट्री न मिल सके। जाति व्यवस्था कायम रहे और इसको लोग भगवान का कोप मानकर सदियों तक झेलते रहे। जिससे उनपर शासन किया जा सके और कभी भी विद्रोह न कर सके। इसलिए ऐसे पाप कर्म को धार्मिक चोला पहना दिया जाता है। मूलाकरम या स्तन कर यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
निम्न जाति की महिलाओं को शादियों तक सहना पड़ा अपमान
1924 तक दलित महिलाओं को स्तन ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था, छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे ये कहानी महिलाओं के स्तन ढकने की लड़ाई के बारे में है। ये कहानी किसी दूसरे मुल्क की नहीं, बल्कि भारत की है। कब क्या हुआ? कैसे हुआ और कैसे चीजें सही हुईं ये सब बताते हैं।
एक क्रूर व मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा का उदय त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना:
1729, मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना हुई। राजा थे मार्थंड वर्मा। साम्राज्य बना तो नियम-कानून बने। टैक्स लेने का सिस्टम बनाया गया। जैसे आज हाउस टैक्स, सेल टैक्स और जीएसटी, लेकिन एक टैक्स और बनाया गया…ब्रेस्ट टैक्स मतलब स्तन कर। ये कर दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगाया गया।
जितना बड़ा स्तन उतना बड़ा टैक्स:
त्रावणकोर में निचली जाति की महिलाएं सिर्फ कमर तक कपड़ा पहन सकती थी। अफसरों और ऊंची जाति के लोगों के सामने वे जब भी गुजरती उन्हें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी। अगर महिलाएं छाती ढकना चाहें तो उन्हें इसके बदले ब्रेस्ट टैक्स देना होगा। इसमें भी दो नियम थे। जिसका ब्रेस्ट छोटा उसे कम टैक्स और जिसका बड़ा उसे ज्यादा टैक्स। टैक्स का नाम रखा था मूलाक्रम।
महिलाओं के साथ पुरुषों पर भी नियम लागू
यह फूहड़ रिवाज सिर्फ महिलाओं पर नहीं, बल्कि पुरुषों पर भी लागू था। उन्हें सिर ढकने की परमिशन नहीं थी। अगर वे कमर के ऊपर कपड़ा पहनना चाहें और सिर उठाकर चलना चाहें तो इसके लिए उसे अलग से टैक्स देना पड़ेगा। यह व्यवस्था ऊंची जाति को छोड़कर सभी पर लागू थी, लेकिन वर्ण व्यवस्था में सबसे नीचे होने के कारण निचली जाति की दलित महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
त्रावणकोर साम्राज्य के मुर्ख राजपुरोहित लोग होते थे महिलाओं की छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे।
नादर वर्ग की महिलाओं ने कपड़े से सीना ढका तो सूचना राजपुरोहित तक पहुंच जाती थी। पुरोहित एक लंबी लाठी लेकर चलता था जिसके सिरे पर एक चाकू बंधी होती थी। वह उसी से ब्लाउज खींचकर फाड़ देता था। उस कपड़े को वह पेड़ों पर टांग देता था। यह संदेश देने का एक तरीका था कि आगे कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। कई बार तो टैक्स न देने पर पीट पीट कर मार दिया जाता था। हैवानित का मंजर चलता रहा और देवी देवता सभी ख़ामोशी से देखते रहे।

नादर वर्ग की स्वाभिमानी नांगेली ने दिखाया था दम किया विरोध
19वीं शताब्दी की शुरुआत में चेरथला में नांगेली नाम की एक महिला थी। स्वाभिमानी और क्रांतिकारी। उसने तय किया कि ब्रेस्ट भी ढकूंगी और टैक्स भी नहीं दूंगी। नांगेली का यह कदम सामंतवादी लोगों के मुंह पर तमाचा था। अधिकारी घर पहुंचे तो नांगेली के पति चिरकंडुन ने टैक्स देने से मना कर दिया। बात राजा तक पहुंच गई। राजा ने एक बड़े दल को नांगेली भेज दिया।
नांगेली ने स्तन टैक्स के लिए स्तन ही काट दिया
मुर्ख राजा के आदेश पर टैक्स लेने अफसर नांगेली के घर पहुंच गए। पूरा गांव इकट्ठा हो गया। अफसर बोले, “ब्रेस्ट टैक्स दो, किसी तरह की माफी नहीं मिलेगी।” नांगेली बोली, ‘रुकिए मैं लाती हूं टैक्स।’ नांगेली अपनी झोपड़ी में गई। बाहर आई तो लोग दंग रह गए। अफसरों की आंखे फटी की फटी रह गई। नांगेली केले के पत्ते पर अपना कटा स्तन लेकर खड़ी थी। अफसर भाग गए। लगातार ब्लीडिंग से नांगेली जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी न उठ सकी।
नांगेली की चिता में कूद गया पति
नांगेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन ने भी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के ‘सती’ होने की यह एकमात्र घटना है। इस घटना के बाद विद्रोह हो गया। हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं ने फुल कपड़े पहनना शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर राजा के महल में पहुंच गए। कहा, “हम हिंसा रोकने में असफल साबित हो रहे हैं कुछ करिए।” राजा बैकफुट पर चले गए। उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स के ऊपर कपड़े पहन सकती हैं।
महिला ने ही महिला को परेशान किया
नादर जाति कि महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत मिली तो एजवा, शेनार या शनारस और नादर वर्ग की महिलाओं ने भी विद्रोह किया। उनके विद्रोह को दबाने के लिए उच्च परिवार की स्त्रियां भी आगे आ गई। ऐसे ही एक कहानी सामने आती है जिसमें रानी ‘अन्तिंगल’ ने एक दलित महिला का स्तन कटवा दिया था।
गरीब जनता राजा से इतना परेशान हो गए कि श्रीलंका भाग गए और धर्म परिवर्तन कर लिया।
इस कुप्रथा के खिलाफ विद्रोह करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से श्रीलंका चले गए। वहां की चाय बगानों में काम करने लगे। इसी दौरान त्रावणकोर में अंग्रेजों का दखल बढ़ा। 1829 में त्रावणकोर के दीवान मुनरो ने कहा, “अगर महिलाएं ईसाई बन जाएं तो उन पर हिन्दुओं का ये नियम नहीं लागू होगा। वे स्तन ढक सकेंगी।”
जल-भुन गए ऊंची जाति के लोग:मुनरो के इस आदेश से ऊंची जाति के लोगों में गुस्सा भर गया, लेकिन अंग्रेज फैसले पर टिके रहे। 1859 में अंग्रेजी गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने त्रावणकोर में इस नियम को रद्द कर दिया। अब हिंसा करने वाले बदल गए। ऊंची जाति के लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी। नादर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके अनाज जला दिए। इस दौरान नादर जाति कि दो महिलाओं को सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे से महिलाओं को मिली राहत-अंग्रेजी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस कुप्रथा का जिक्र करते हुए लिखा, “संघर्ष लंबा चला। 1965 में प्रजा जीत गई और सभी को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार के बावजूद कई हिस्सों में दलितों को कपड़े न पहनने देने की कुप्रथा चलती रही। 1924 में यह कलंक पूरी तरफ से खत्म हो गया, क्योंकि उस वक्त पूरा देश आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा था।”
काले कानून को छिपाने की कोशिश इतिहास से मिटाने की कोशिश
NCRT ने 2019 में क्लास 9 के इतिहास की बुक से तीन अध्याय हटा दिए। इसमें एक अध्याय त्रावणकोर में निचली जातियों के संघर्ष से जुड़ा था। हंगामा हुआ। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “यह विषय हटाना संघ परिवार के एजेंडे को दिखाता है।” इसके पहले CBSE ने भी 2017 में 9वीं के सोशल साइंस से ये वाला चैप्टर हटा दिया था। मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने कहा, “2017 की परीक्षाओं में चैप्टर, कास्ट, कन्फ्लिक्ट एंड ड्रेस चेंज से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।”
नांगेली को इतिहास बहादुरी की मिशाल
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकोलॉजी और दलित स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शीबा केएम कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था।” नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू कहते हैं कि मुझे नांगेली के परिवार की संतान होने पर गर्व है। उन्होंने ये फैसला अपने लिए नहीं, बल्कि सारी औरतों के लिए किया था। उनके त्याग से ही राजा को ये कर वापस लेना पड़ा था।
महिला नांगेली ने अपने प्राण त्याग से क्रांति रची। उन्होंने एक शर्मनाक टैक्स को खत्म करने के लिए अपनी जान दे दी। केरल के मुलच्छीपुरम में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है।
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।
” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”
आईपीसी की धारा 504 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है। जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023
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