Mainpuri News:संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील घिरोर में जिलाधिकारी ने सुनी जन शिकायतें:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती
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संवाददाता :: मैनपुरी::अवनीश कुमार {C016} :: Published Dt.01.04.2023 :Time:6:50PM :संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील घिरोर में जिलाधिकारी ने सुनी जन शिकायतें:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती

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Mainpuri News । ब्यूरो रिपोर्ट :अवनीश कुमार। संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील घिरोर में जिलाधिकारी ने सुनी जन शिकायतें
मैनपुरी – जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील घिरोर में जन सुनवाई के दौरान अनुपस्थित उपायुक्त मनरेगा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड विकास अधिकारी बरनाहल को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुये कहा कि सभी सम्बन्धित अधिकारी संपूर्ण समाधान दिवस पर समय से उपस्थित रहकर जन समस्याओं का निराकरण करने में रूचि लें, बिना पूर्व अनुमति के कोई भी अधिकारी संपूर्ण समाधान दिवस से नदारद रहा तो उसके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही होगी। उन्होने कहा कि अधिकारी जन शिकायतों के प्रति संवेदनशील रहकर उनका निराकरण करें, अधीनस्थों पर किसी भी दशा में निर्भर न रहें बल्कि स्वयं शिकायतकर्ता से बात कर समस्या का समाधान करायें, यथा संभव मौके पर जाकर स्थिति को देखने के उपरांत ही निराकरण कर निस्तारण आख्या भेजें। आज जन शिकायतें सुनने के दौरान जब गोदना नि. मीरा देवी, इस्माइलपुर नि. रामबेटी, मीरा देवी ने अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से बताया कि पात्र होने के बावजूद भी उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभान्वित नहीं किया जा रहा है, जांच में बार-बार उन्हें अपात्र कर दिया जाता है, जबकि वह कच्चे मकान में निवास कर रही हैं, जिस पर उन्होंने खंड विकास अधिकारी घिरोर को निर्देशित करते हुए कहा कि आवास योजना का लाभ पूरी पारदर्शिता, निष्पक्षता के साथ पात्रों को उपलब्ध कराया जाए चयन प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरती जाए. कोई भी अपात्र व्यक्ति आवास योजना का लाभ न पा सकें, कोई भी पात्र व्यक्ति योजना का लाभ पाने से वंचित न रहे, विकास खंड के साथ ग्राम पंचायतों में भी आवास पात्रता सूची सर्वदृश्य स्थान पर प्रदर्शित रहे ताकि जिन लोगों के नाम सूची में शामिल है उन्हें लाभ पाने के लिए भटकना न पड़े। भगवन्तपुर नि. गंधर्व सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से बताया कि उसे 05 बीघा का पट्टा आवंटित हुआ था, जिसमें से काफी लंबे समय से 04 बीघा भूमि पर काबिज है और फसल कर रहा है लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल जियाउद्दीन ने गलत ढंग से फसल कटवा दी है, जिस पर उन्होंने तहसीलदार घिरोर को निर्देशित करते हुए कहा कि मौके पर जाकर प्रकरण की जांच करें यदि जांच में लेखपाल दोषी पाया जाए तो उसके विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही की जाए।श्री सिंह ने कहा कि क्षेत्र में अभियान चलाकर सरकारी भूमि से अनाधिकृत कब्जे हटवाए जाएं, तहसील की कार्य संस्कृति में बदलाव दिखे, भूमि संबंधी विवाद प्राथमिकता पर निबटाएं जाएं, मौके पर राजस्व पुलिस की टीम संयुक्त रूप से जाकर भूमि विवादों का निपटारा करें, एक बार अनाधिकृत कब्जा हटवाने, पैमाइश करने के उपरांत यदि किसी के द्वारा पुनः कब्जा किया जाए तो उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराकर भू-माफिया में चिन्हित किया जाए। उन्होंने अधिशासी अभियंता नलकूप नहर को निर्देशित करते हुए कहा कि क्षेत्र के सभी सरकारी ट्यूबवेल चालू दशा में रहे, सभी रजवाहा माइनर में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए ताकि किसानों को गर्मी के मौसम में सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता के लिए परेशान न होना पड़े। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से कहा कि जनपद में किसी भी सड़क, मुख्य स्थानों पर निराश्रित गोवंश दिखाई न दें, सड़कों पर जो भी निराश्रित गोवंश हैं, उन्हें तत्काल गौशाला में संरक्षित किया जाए। उन्होंने खंड विकास अधिकारी घिरोर को हिदायत देते हुए कहा कि विकासखंड क्षेत्र में अभी तक अस्थाई गौशालाओं का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है, जिस कारण क्षेत्र में निराश्रित गौवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि आगामी 01 सप्ताह में ग्राम पंचायतों में अस्थाई आश्रय स्थल का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर उनमें निराश्रित गोवंश को संरक्षित किया जाए।आज आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर तहसील घिरोर के दूर-दराज ग्रामीण अंचल से आए 26 फरियादियों ने अपने शिकायती प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत किए, जिसमें से 04 शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण कर पर फरियादियों को तत्काल राहत प्रदान की, चापरी मुसलमीन नि धनीराम सिंह ने कुसियारी रजवाह की सफाई का कार्य पूर्ण कराए जाने, ग्राम नबेरी नि. राम अवतार यादव ने भू-माफियाओं द्वारा अनाधिकृत रूप से सरकारी सम्पत्ति, भूमि पर अवैध रूप से किये गये कब्जे को हटवाने, बमरौली नि प्रीति ने ग्राम बमरौली के रास्ते पर डामरीकरण कराये जाने, ग्राम गोधना नि. ओम प्रकाश ने ग्राम समाज की भूमि को अनाधिकृत कब्जे से मुक्त कराने की मांग अपने शिकायती प्रार्थना पत्रों के माध्यम से की, जिस पर उन्होने सम्बन्धित अधिकारियों को पृष्ठाकिंत कर निर्धारित समयसीमा में निस्तारण हेतु उपलब्ध कराया।पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने पुलिस से संबंधित शिकायतों को सुना और अधीनस्थों को प्रभावी कार्यवाही के निर्देश दिए। इस दौरान उप जिलाधिकारी घिरोर नितिन कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पी.पी. सिंह, परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. सतेन्द्र सिंह, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी एस.एन. मौर्य, उप निदेशक कृषि डी.वी. सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार वर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल सिंह, जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी कयामुद्दीन अंसारी, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी नेहा पांडेय, जिला पंचायत राज अधिकारी अविनाश चंद्र, तहसीलदार घिरोर राकेश कुमार जयंत सहित अन्य संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे।जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक ने कृषि बीज अनुदान योजना के अन्तर्गत घिरोर क्षेत्र के 20 कृषकों हरीकिशोर, सुरेश चंद्र, बालक राम, राजू, कपूर श्री, देशराज, सुखबीर, विमलेश, जगदेव, जसवंत सिंह, मदन गोपाल, भगवान सिंह, धर्मेंद्र कुमार, जनवेद, निहाल, सुमन प्रकाश, अमर पाल, मुकेश कुमार, मनोज कुमार, इंद्रपाल सिंह, सुघर सिंह, लालाराम, पवन कुमार को एन.एफ.एस.एम. योजनान्तर्गत दलहन, उर्द, मूंग की मिनी किट निशुल्कको उर्द, मूंग बीज किट, निःशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना के तहत उच्च प्राथमिक विद्यालय घिरोर की कामिनी, विशाखा, नगला बाग के आर्यन, अनामिका, लपगवां की रजनी, ऋषभ को पुस्तकें उपलब्ध करायी ।
संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:
संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।
कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।
संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥
संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:
निम्न जाति की महिलाओं पर स्तन कर , महिलाओं का शादियों तक सहना पड़ा अपमान
Published Date 28 January 2023: दुनिया में टैक्स की शुरुआत 14वीं शताब्दी से माना जाता है । हालांकि 5000 साल पहले मिस्त्र में टैक्स वसूली के सबूत भी मिले हैं। चलिए आपको कुछ अजीबो-गरीब ।
त्रावणकोर में ब्रेस्ट टैक्स-
स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
नांगेली की ग्रामीण एक ऐसी महिला के बारे में है जो 19वीं सदी की शुरुआत में त्रावणकोर राज्य के चेरथला में रहती थी, और कथित तौर पर जाति-आधारित “स्तन कर” का विरोध करने के प्रयास में अपने स्तनों को काट देती थी।
भारत के केरल राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
19वीं सदी की शुरुआत केरल के त्रावणकोर में महिलाओं से ब्रेस्ट टैक्स लिया जाता था ब्रेस्ट की साइज के मुताबिक अधिकारी टैक्स निर्धारित करते थे बताया जाता है कि नांगेली नाम की महिला ने इसके विरोध में अपने स्तन काट दिए थे इसके बाद इस टैक्स का विरोध होने लगा साल 1814 में त्रावणकोर के राजा ने ब्रेस्ट टैक्स को खत्म कर दिया।
मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा : भारत के कर्नाटक राज्य में मुर्ख मार्थंड वर्मा नामक राजा के राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं। ऊंची जाति के महिलाओं पर टैक्स नहीं लगता था। जिससे जाति वादी मानशिकता साफ नज़र आती है। ये टैक्स अंग्रेजों या मुस्लिम शासकों द्वारा नहीं लगाया गया था बल्कि हिन्दू धर्म के भारतीय क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मण मंत्रियों की सलाह पर लगाया गया था। धीरे धीरे धार्मिक रूप देकर इसको भारतीय संस्कृत और सभ्यता बताने की कोशिश की गयी थी। इस घृणित कार्य में वेद पुराण धर्म शास्त्र के पढ़े लिखे के महारथियों का षड्यंत्र था जिससे उच्च जाति और निम्न जाति की महिलाओं में विभेद किया जा सके।जाति वर्ग व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। जितने दोषी उस राज्य के पण्डे पुजारी धर्मशास्त्री लोग थे उतना ही दोष उनकी महिलाओं का था जो इसका स्पोर्ट करती थी। इसको बनाये रखने के लिए नये नये तर्क गढ़े जाते थे और धर्म शास्त्र का सहारा लिया जाता था। और एक विशेष जाति की प्रथा बता कर किनारा कर लिया जाता था।
शोषित पीड़ित लोगों का अपमान और दमनकारी धार्मिक जाल:
शोषित पीड़ित लोगों के साथ ऐसा इस लिए किया जाता है क्यों कि वे लोग स्वाभिमान की जिंदगी न जी सके। उनकी मोरैलिटी सदैव डाउन रह सके। उनका सामाजिक स्तर नीचे गिर सके। अपने आप को हीन मान सके। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सके। पढ़ने लिखने वाली संस्थाओं में एंट्री न मिल सके। जाति व्यवस्था कायम रहे और इसको लोग भगवान का कोप मानकर सदियों तक झेलते रहे। जिससे उनपर शासन किया जा सके और कभी भी विद्रोह न कर सके। इसलिए ऐसे पाप कर्म को धार्मिक चोला पहना दिया जाता है। मूलाकरम या स्तन कर यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
निम्न जाति की महिलाओं को शादियों तक सहना पड़ा अपमान
1924 तक दलित महिलाओं को स्तन ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था, छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे ये कहानी महिलाओं के स्तन ढकने की लड़ाई के बारे में है। ये कहानी किसी दूसरे मुल्क की नहीं, बल्कि भारत की है। कब क्या हुआ? कैसे हुआ और कैसे चीजें सही हुईं ये सब बताते हैं।
एक क्रूर व मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा का उदय त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना:
1729, मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना हुई। राजा थे मार्थंड वर्मा। साम्राज्य बना तो नियम-कानून बने। टैक्स लेने का सिस्टम बनाया गया। जैसे आज हाउस टैक्स, सेल टैक्स और जीएसटी, लेकिन एक टैक्स और बनाया गया…ब्रेस्ट टैक्स मतलब स्तन कर। ये कर दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगाया गया।
जितना बड़ा स्तन उतना बड़ा टैक्स:
त्रावणकोर में निचली जाति की महिलाएं सिर्फ कमर तक कपड़ा पहन सकती थी। अफसरों और ऊंची जाति के लोगों के सामने वे जब भी गुजरती उन्हें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी। अगर महिलाएं छाती ढकना चाहें तो उन्हें इसके बदले ब्रेस्ट टैक्स देना होगा। इसमें भी दो नियम थे। जिसका ब्रेस्ट छोटा उसे कम टैक्स और जिसका बड़ा उसे ज्यादा टैक्स। टैक्स का नाम रखा था मूलाक्रम।
महिलाओं के साथ पुरुषों पर भी नियम लागू
यह फूहड़ रिवाज सिर्फ महिलाओं पर नहीं, बल्कि पुरुषों पर भी लागू था। उन्हें सिर ढकने की परमिशन नहीं थी। अगर वे कमर के ऊपर कपड़ा पहनना चाहें और सिर उठाकर चलना चाहें तो इसके लिए उसे अलग से टैक्स देना पड़ेगा। यह व्यवस्था ऊंची जाति को छोड़कर सभी पर लागू थी, लेकिन वर्ण व्यवस्था में सबसे नीचे होने के कारण निचली जाति की दलित महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
त्रावणकोर साम्राज्य के मुर्ख राजपुरोहित लोग होते थे महिलाओं की छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे।
नादर वर्ग की महिलाओं ने कपड़े से सीना ढका तो सूचना राजपुरोहित तक पहुंच जाती थी। पुरोहित एक लंबी लाठी लेकर चलता था जिसके सिरे पर एक चाकू बंधी होती थी। वह उसी से ब्लाउज खींचकर फाड़ देता था। उस कपड़े को वह पेड़ों पर टांग देता था। यह संदेश देने का एक तरीका था कि आगे कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। कई बार तो टैक्स न देने पर पीट पीट कर मार दिया जाता था। हैवानित का मंजर चलता रहा और देवी देवता सभी ख़ामोशी से देखते रहे।

नादर वर्ग की स्वाभिमानी नांगेली ने दिखाया था दम किया विरोध
19वीं शताब्दी की शुरुआत में चेरथला में नांगेली नाम की एक महिला थी। स्वाभिमानी और क्रांतिकारी। उसने तय किया कि ब्रेस्ट भी ढकूंगी और टैक्स भी नहीं दूंगी। नांगेली का यह कदम सामंतवादी लोगों के मुंह पर तमाचा था। अधिकारी घर पहुंचे तो नांगेली के पति चिरकंडुन ने टैक्स देने से मना कर दिया। बात राजा तक पहुंच गई। राजा ने एक बड़े दल को नांगेली भेज दिया।
नांगेली ने स्तन टैक्स के लिए स्तन ही काट दिया
मुर्ख राजा के आदेश पर टैक्स लेने अफसर नांगेली के घर पहुंच गए। पूरा गांव इकट्ठा हो गया। अफसर बोले, “ब्रेस्ट टैक्स दो, किसी तरह की माफी नहीं मिलेगी।” नांगेली बोली, ‘रुकिए मैं लाती हूं टैक्स।’ नांगेली अपनी झोपड़ी में गई। बाहर आई तो लोग दंग रह गए। अफसरों की आंखे फटी की फटी रह गई। नांगेली केले के पत्ते पर अपना कटा स्तन लेकर खड़ी थी। अफसर भाग गए। लगातार ब्लीडिंग से नांगेली जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी न उठ सकी।
नांगेली की चिता में कूद गया पति
नांगेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन ने भी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के ‘सती’ होने की यह एकमात्र घटना है। इस घटना के बाद विद्रोह हो गया। हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं ने फुल कपड़े पहनना शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर राजा के महल में पहुंच गए। कहा, “हम हिंसा रोकने में असफल साबित हो रहे हैं कुछ करिए।” राजा बैकफुट पर चले गए। उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स के ऊपर कपड़े पहन सकती हैं।
महिला ने ही महिला को परेशान किया
नादर जाति कि महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत मिली तो एजवा, शेनार या शनारस और नादर वर्ग की महिलाओं ने भी विद्रोह किया। उनके विद्रोह को दबाने के लिए उच्च परिवार की स्त्रियां भी आगे आ गई। ऐसे ही एक कहानी सामने आती है जिसमें रानी ‘अन्तिंगल’ ने एक दलित महिला का स्तन कटवा दिया था।
गरीब जनता राजा से इतना परेशान हो गए कि श्रीलंका भाग गए और धर्म परिवर्तन कर लिया।
इस कुप्रथा के खिलाफ विद्रोह करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से श्रीलंका चले गए। वहां की चाय बगानों में काम करने लगे। इसी दौरान त्रावणकोर में अंग्रेजों का दखल बढ़ा। 1829 में त्रावणकोर के दीवान मुनरो ने कहा, “अगर महिलाएं ईसाई बन जाएं तो उन पर हिन्दुओं का ये नियम नहीं लागू होगा। वे स्तन ढक सकेंगी।”
जल-भुन गए ऊंची जाति के लोग:मुनरो के इस आदेश से ऊंची जाति के लोगों में गुस्सा भर गया, लेकिन अंग्रेज फैसले पर टिके रहे। 1859 में अंग्रेजी गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने त्रावणकोर में इस नियम को रद्द कर दिया। अब हिंसा करने वाले बदल गए। ऊंची जाति के लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी। नादर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके अनाज जला दिए। इस दौरान नादर जाति कि दो महिलाओं को सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे से महिलाओं को मिली राहत-अंग्रेजी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस कुप्रथा का जिक्र करते हुए लिखा, “संघर्ष लंबा चला। 1965 में प्रजा जीत गई और सभी को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार के बावजूद कई हिस्सों में दलितों को कपड़े न पहनने देने की कुप्रथा चलती रही। 1924 में यह कलंक पूरी तरफ से खत्म हो गया, क्योंकि उस वक्त पूरा देश आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा था।”
काले कानून को छिपाने की कोशिश इतिहास से मिटाने की कोशिश
NCRT ने 2019 में क्लास 9 के इतिहास की बुक से तीन अध्याय हटा दिए। इसमें एक अध्याय त्रावणकोर में निचली जातियों के संघर्ष से जुड़ा था। हंगामा हुआ। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “यह विषय हटाना संघ परिवार के एजेंडे को दिखाता है।” इसके पहले CBSE ने भी 2017 में 9वीं के सोशल साइंस से ये वाला चैप्टर हटा दिया था। मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने कहा, “2017 की परीक्षाओं में चैप्टर, कास्ट, कन्फ्लिक्ट एंड ड्रेस चेंज से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।”
नांगेली को इतिहास बहादुरी की मिशाल
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकोलॉजी और दलित स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शीबा केएम कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था।” नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू कहते हैं कि मुझे नांगेली के परिवार की संतान होने पर गर्व है। उन्होंने ये फैसला अपने लिए नहीं, बल्कि सारी औरतों के लिए किया था। उनके त्याग से ही राजा को ये कर वापस लेना पड़ा था।
महिला नांगेली ने अपने प्राण त्याग से क्रांति रची। उन्होंने एक शर्मनाक टैक्स को खत्म करने के लिए अपनी जान दे दी। केरल के मुलच्छीपुरम में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है।
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।
” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”
आईपीसी की धारा 504 में विधि का क्या प्राविधान है

IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है। जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023
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