Bareilly News:घर में झगड़ा होने पर पत्नी के लिए फायदेमंद होंगे ये पांच कानून: Bahujan News
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संवाददाता :: बदायूं::प्रशांत सिंह यादव {C016} :: Published Dt.04.08.2023 :Time:8:50PM : घर में झगड़ा होने पर पत्नी के लिए फायदेमंद होंगे ये पांच कानून:बहुजन प्रेस -संपादक : मुकेश भारती :www. bahujan india 24 news.com
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Badaun News । ब्यूरो रिपोर्ट : प्रशांत सिंह यादव । Date : 04 August (Month August 2023- Badaun News Serial: Weak -01)::( From 01Days to 07Days):(Month August News No-8) (Year 2023 News No:19)
Bareilly News:घर में झगड़ा होने पर पत्नी के लिए फायदेमंद होंगे ये पांच कानून
पति-पत्नी के झगड़े में पत्नी के लिए ऐसे कौन से कानून साबित हो सकते हैं जो उसके हक में हों?
हमारे देश में लड़ाईयां बहुत ही कॉमन हैं। मां-बेटे की लड़ाई, भाई-बहन की लड़ाई, पड़ोसियों की लड़ाई, लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा प्रचलित है पति-पत्नी की लड़ाई। लोगों को लगता है कि ये घरेलू मामला है, लेकिन कई मामलों में घरेलू मामला कुछ ऐसा हो जाता है कि पत्नी के अधिकारों पर बात आ जाती है।
अगर झगड़ा बहुत ज्यादा बढ़ रहा है और पत्नी के अधिकारों का हनन हो रहा है तो हम आपको बताते हैं ऐसे पांच अधिकार जो कानूनन आपको मिलने चाहिए।
1. घर का अधिकार
ऐसे कितने की मामले होते हैं जहां हमने सुना है कि पत्नी को आधी रात घर से निकाल दिया या फिर उसे ससुराल से मायके भेज दिया। ऐसा नहीं हो सकता है। भले ही पति की मौत ही क्यों ना हो गई हो, भले ही ससुराल वाला घर पति के नाम ही क्यों ना हो या वो घर किराए का ही क्यों ना हो, लेकिन कोई भी पत्नी को ससुराल से निकाल नहीं सकता है।
अगर पति-पत्नी अलग हो रहे हैं तो कानूनन पत्नी के पास ये अधिकार होता है कि वो अपने पति से अलग घर की मांग करे। Hindu Marriage Act (HMA) 1955 का नियम कहता है कि फोर्स से पत्नी अपने माता-पिता के घर नहीं रह सकती, हां अगर वो खुद चाहे तो ऐसा कर सकती है।
2. स्त्रीधन का अधिकार
स्त्रीधन का मतलब है वो सारे गिफ्ट, कैश और जेवर आदि जो शादी के पहले, शादी के दौरान, प्रेग्नेंसी के दौरान और शादी के बाद उसे मिले होते हैं। कानूनन इसपर पूरी तरह से पत्नी का ही अधिकार होता है। ये कुछ भी हो सकता है और इसमें चल-अचल सभी तरह ही संपत्ति आती है। फाइनेंशियल सिक्योरिटी से लेकर पति और ससुराल द्वारा दिए गए गिफ्ट्स पर भी पत्नी का हक होता है।
👆 ये कानून सेक्शन 14 Hindu Succession Act, 1956 के तहत लागू होता है।
3. घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून
Domestic Violence Act (D.V. Act), 2005 के तहत एक महिला किसी भी हालत में घरेलू हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट कर सकती है। इसमें फिजिकल हिंसा, इमोशनल हिंसा, सेक्शुअल हिंसा, आर्थिक हिंसा जहां जबरन उससे प्रॉपर्टी, पैसे और जेवर आदि छीने जा रहे हों या किसी भी अन्य तरह का खराब ट्रीटमेंट हो रहा हो उस हर चीज़ के बारे में रिपोर्ट की जा सकती है।
इस अधिकार के तहत वो प्रोटेक्शन, मेंटेनेंस, बच्चों की कस्टडी, पैसे और उसी घर में सुरक्षित तरह से रहने के अधिकार मांग सकती है जिस घर में उसका पति रह रहा हो।
4. तलाक देने का अधिकार
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 का सेक्शन 13 कहता है कि एक महिला का पूरा अधिकार है कि वो अपने पति से तलाक ले सके। भले ही उसके पति की मर्जी हो या ना हो। तलाक बेवफाई, हिंसा, अलगाव, ससुराल से निकाले जाने, मानसिक तनाव देने आदि किसी भी कारण से फाइल किया जा सकता है।
5. दहेज और हैरेसमेंट का कानून
Dowry Prohibition Act 1961 पूरी तरह से दहेज प्रथा को खत्म करने की बात करता है। पत्नी पर अगर शादी के पहले या बाद में भी दहेज को लेकर किसी भी तरह की प्रताड़ना दी जा रही है तो उसे पूरा हक है कि वो अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत कर दे। अगर उसके सास-ससुर या ननंद-देवर उसे प्रताड़ित कर रहे हैं तो भी उसे पूरा हक है कि वो उनके खिलाफ केस करे।
इस सेक्शन के तहत पत्नी को किसी भी तरह का ट्रॉमा देना, फिजिकल, इमोशनल या सेक्शुअल हैरेसमेंट करना या उसे सुसाइड के लिए उकसाना सब कुछ इस कानून के अंदर आता है। वैसे मैरिटल रेप को कानून गुनाह नहीं माना गया है, लेकिन फोर्स सेक्स को घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के तहत रिपोर्ट किया जा सकता है।
ऐसे ही कई कानून पत्नियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, लेकिन अगर कोई इनका गलत इस्तेमाल करता है तो उसे भी कानूनन सजा मिलेगी। प्रावधान यही है कि कानून सुरक्षा के लिए हैं ना कि किसी को एक्सप्लाइट करने के लिए।
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