बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का भारत विकास में योगदान; Bahujan India 24 News
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बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का भारत विकास में योगदान
भारत को संविधान देने वाले, सिम्बल ऑफ नॉलेज,शोषितो ,दलितों ,पीड़ितों ,अछूतों और पिछड़ों को बराबरी का हक़ अधिकार दिलाने वाले परम पूज्य बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव मऊ की छावनी में हुआ था इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था अपने माता पिता की 14 वीं संतान थे जन्म से ही प्रतिभा संपन्न थे। बाबा साहेब के बचपन का नाम रामजी सकपाल था बाबा साहेब के पूर्वज लम्बे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे उनके पिता ब्रिटिश सेना की मऊ छावनी में कार्यरत थे बाबा साहेब के पिता जी अपने बच्चों को शिक्षा देने पर जोर देते थे।
Dt-06-12-2021
भारत को संविधान देने वाले, सिम्बल ऑफ नॉलेज,शोषितो ,दलितों ,पीड़ितों ,अछूतों और पिछड़ों को बराबरी का हक़ अधिकार दिलाने वाले परम पूज्य बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव मऊ की छावनी में हुआ था इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था अपने माता पिता की 14 वीं संतान थे जन्म से ही प्रतिभा संपन्न थे। बाबा साहेब के बचपन का नाम रामजी सकपाल था बाबा साहेब के पूर्वज लम्बे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे उनके पिता ब्रिटिश सेना की मऊ छावनी में कार्यरत थे बाबा साहेब के पिता जी अपने बच्चों को शिक्षा देने पर जोर देते थे। 1894 में बाबा साहेब के पिता जी ब्रिटिश सेना से रिटायर्ड हो गए और उसके दो साल बाद उनकी माँ का देहांत हो गया था। उनकी देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में की।राम जी मालो जी सकपाल के 14 संतानों में केवल तीन बेटे बलराम आनंद राव ,भीम राव और दो बेटियां मंजुला और तुलसा ही जीवित रह पायी थी। अपने
सभी भाई बहनो में केवल बाबा साहेब ही हाईस्कूल की परीक्षा पास कर पाए थे इसके बाद बड़े स्कूल में दाखिला लेने में सफल हो पाए थे। बाबा साहेब के जन्म महार जाती में हुआ था जो मनु स्मृति के हिसाब से अछूत और निचली जाती मानी जाती थी। उस समय महार जाती के साथ ब्राह्मणी व्यवस्था के अनुसार बहुत ही भेदभाव किया जाता था। बचपन में स्कूल के अंदर ब्राह्मण के बच्चे उनको पढ़ने के लिए नहीं बैठने देते थे तो बाबा साहेब स्कूल के पीछे बैठकर पढ़ते थे। उस समय अछूतों महारों को पड़ने लिखने का संविधानिक अधिकार नहीं था।ब्राह्मण लोग बहुत विरोध करते थे लेकिन अंग्रेजो ने उनको पढ़ने का अधिकार स्पेशल तौर पर सेना की तरफ से दिया गया था .उस समय अछूत लोग एक बर्तन से पानी नहीं पी सकते थे यही नहीं एक साथ बैठ भी नहीं सकते थे। एक गाड़ी में सवारी नहीं कर सकते थे। महार जाती का मुँह देखना ब्राह्मण जाती के लोग पाप समझते थे। बाबा साहेब अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मऊ छावनी में हुयी। विदेश से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब भारत वापस आये तो बड़ौदा के महाराज के पास नौकरी की उसके बाद 8 अगस्त 1930 को गोलमेज सम्मलेन में भाग लिया और और अपनी राजनैतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा हक़ अधिकार की मांग पूरजोर की गुलाम भारत में 1942 में कानून मंत्री बने और आजाद भारत में भी कानून मंत्री बने। अपने जीवन के अंतिम छड़ तक दलितों शोषितों और बंचितों के हक़ और अधिकार के लिए लड़ते लड़ते महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुये।
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान के अनुच्छेद के पालन और दिए गये भारत के नागरिको को संविधानिक अधिकारों को लेकर बड़ी चिन्ता थी उन्होंने संविधान बनाने में बड़ी ही निष्ठा के साथ काम किया था पूरी कोशिश की थी की भारत के प्रत्येक व्यक्ति को मनुष्यता का जीवन जीने में सभी मूल अधिकार मिल सके। संविधान के सभी 22 भागों को बड़ी ही तन्मयता के साथ और दूरदर्शिता के साथ बनाया था। उनको मालूम था की इस देश का शासक वर्ग भारत में निवास करने वेक नीचले तबके को हक़ अधिकार नहीं देता है उसको गुलाम बना कर रखता है ऐसी मानसिकता से ग्रषित लोगो को अपने सम्बोधनों में मनुवादी कहते थे। लोगो को जीने का हक़ अधिकार मिल सके और महिलाओं को भी समानता का अधिकार मिल सके इस लिए बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेकर ने भारतीय संविधान के प्रस्तावना के साथ साथ संविधान के भाग तीन में भारत लोगो को समानता का अधिकार ,समता का अधिकार ,शिक्षा का अधिकार , सम्पति रखने का अधिकार , अभिव्यक्ति का अधिकार ,धर्म और उपासना का अधिकार , भारत के अंदर किसी भूभाग पर बस जाने का अधिकार को मौलिक अधिकर मि श्रेणी में रखा। उनकी इसी सोच और हार्दिक इच्छा की बजह से भारत के अंदर रहने वाले दलित शोसित बंचित को हक़ और अधिकार मिल पाना संभव हो सका। समाज में समता स्थापित हो सके इस लिए उन्होंने विकास की मुख्या धारा में लाने के लिए गरीबों और मजलूमों को संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की। देश व समाज की सेवाओं में बहुत बड़ा योगदान दिया। देश में सभी पर कानून का राज हो इस पर बहुत बल दिया और देश की एकता और अखंडता पर कोई खतरा न हो ऐसा संविधान में प्रयोजन किया। देश में आर्थिक व्यवस्था सही ढंग से चल सके इस लिए भारत में रिज़र्व बैंक बनाने का सुझाव का भी श्रेय बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर को जाता है।अनेक कार्यों का अनेक आयाम है लेकिन संविधान निर्माण के वक्त उनकी प्रारूप समिति के अध्यक्ष के तौर पर निभाई गई जिस भूमिका ने उन्हें संविधान निर्माता बना दिया वह इस अर्थ में अनमोल है कि आज हम अपनी राजनीति में नियमों ,नीतियों, सिद्धांतों, नैतिकता और चरित्र के जिन निजी स्वार्थ के चककर में भूल गए की हैं उनकी सोच में दूरदर्शिता नहीं होती तो आज भी एक वर्ग अमीरों का गुलाम होता।
बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर ने संविधान को संविधान सभा में संविधान को बनाने के कार्य को पूर्ण करने के बाद संविधान को सौप[ते समय संविधान लागू होने के पहले और उसके बाद संविधान में प्रदत्त हक़ और अधिकारों को लागू करने को लेकर कई आशंकाएं जताई और आगाह किया था कि किसी देश का संविधान कितना ही अच्छा क्यों न हो अगर उसको लागु करने वाले बुरी मानसिकता के लोग होंगे तो अंततः संविधान गलत साबित होगा। और उस समय की राजनैतिक परिस्थिति में बदलाव को देखते हुये आशंका जताई थी की संकट ऐसे ही बढ़ते गए तो ना सिर्फ संविधान बल्कि आजाद आजादी को भी तहस-नहस बुरी मानशिकता के लोग कर सकते हैं दुख की बात है कि तब किसी ने उनकी आंख आशंकाओं पर गंभीरता नहीं दिखाई। उनकी बातों को नजर-अंदाज करने वालों से तो इसकी अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है की आज देश को किस गर्त में ले जा रहे है। बाबा साहेब के विचारों पर लोग न चलकर आज केवल उनको पूजने की प्रतिमा बना दिया है।
राष्ट्र के विकास में जिस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। अपनी राजनितिक रोटियां सेकने के चक्कर में संविधान को ही गलत ठहरा देते है और राजनितिक पार्टियां मूकदर्शक बनी रहती है। भारत के सारे देशवासियों में व्यक्त की गरिमा और राष्ट्र की एकता बनी रहे इस पर आज लोग विचार ही नहीं करते है जबकि बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर ने संविधान सभा में इसके लिए बहुत लड़ाई लड़े बाबा साहेब की ही परिकल्पना थी की भारत एक अखण्ड भारत हो। बाबा साहेब अपने इस सपने को पूरा करने के लिए संविधान में भारत के सम्पूर्ण भू-भाग पर एक जैसा कानून का शासन हो इसकी व्यवस्था संविधान में की।
भारत की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए उनके सुझाए रास्ते पर चलने की जहमत देश का शासक वर्ग ने नहीं उठाई इसलिए आज देश में विघटनकारी शक्तियां जन्म ले रही है और कई बार हमें इसका समाधान करने का रास्ता नहीं दिखता गौरतलब है कि संविधान के अधिनियम और इसमें निहित आत्मा को अंगीकृत होने से पहले 25 नवंबर 1949 को उन्होंने उसे अपने सपनों का अथवा तीन लोक से न्यारी मानने से इनकार करके उसकी सीमाएं रेखांकित कर दी थी विधि मंत्री के तौर पर आपने पहले ही साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि यह संविधान अच्छे लोगों के हाथ में रहेगा तो अच्छा सिद्ध होगा लेकिन बुरे हाथों में चला गया तो इस हद तक ना उम्मीद कर देगा कि किसी के लिए भी कुछ नहीं रह जायेगा उनके शब्दों में थे मैं महसूस करता हूं कि संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों ना हो कि यदि वे लोग जी ने संविधान को अमल में लाने का काम सौंपा जाए खराब निकले तो निश्चित तौर पर निश्चित रूप से संविधान बुरा साबित होगा और संविधान चाहे कितना भी खराब क्यों ना हो यदि वे लोग जिन्हें संविधान को अमल में लाने का काम सौंपा जाए अच्छा अच्छा तो अच्छा अच्छा हो तो संविधान अच्छा सिद्ध होगा।
उन्होंने चेताया था कि संविधान पर अमल केवल संविधान के स्वरूप पर निर्भर नहीं करता संविधान केवल विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे राज्यों के अंगो का प्रावधान कर सकता है उन अंगों का संचालन लोगों पर तथा उनके द्वारा उनकी आकांक्षाओं तथा उनकी राजनीति की पूर्ति के लिए बनाए जाने वाले राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है। सही मायने में सामाजिक,राजनैतिक , मानसिक , लोकतांत्रिक समता मूलक समाज की स्थापना की कल्पना किसी देश या राज्य में तभी की जा सकती है जब उस देश में निवास करने वाले व्यक्ति के सभी वर्गों को सामान शिक्षा मिल पायेगी। और जीवन जीने के सामान अवसर मिल सकेंगे यदि इसके विपरीत कार्य होगा तो देश में अकाल और भूखमरी और विषमता पैदा होगी उनके इसी दार्शनिक विचार ने आज बाबा साहेब इस दुनिया में नहीं है फिर भी करोड़ो लोगो के दिलो में जिन्दा है और उनके दिलों पर राज कर रहे है। आज देश के कोने कोने में जय भीम के नारे लगते है उसकी केवल एक ही वजह है की सभी को बराबरी का हक़ अधिकार दिया जिससे लोग पढ़ लिखकर आगे बढ़ रहे है।
जय भीम। जय भारत
लेखक : मुकेश भारती संपादक -बहुजन इंडिया 24 न्यूज़
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