बुद्ध पूर्णिमा एवं भगवान बुद्ध का जीवन परिचय – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

बुद्ध पूर्णिमा एवं भगवान बुद्ध का जीवन परिचय

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (संपादक मुकेश भारती -9161507983 )
औरैया  (क्राइम रिपोर्टर – जितेन्द्र कुमार बौद्ध)


बुद्ध पूर्णिमा एवं भगवान बुद्ध का जीवन परिचय
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बुद्ध पूर्णिमा को बैशाख पूर्णिमा भी कहते है क्योकि यह त्यौहार हिंदी माह बैशाख की पूर्णिमा को मनाया जाता है | यह गौतम बुद्ध जी की जयंती भी है और उनका निर्माण दिवस भी है | इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी | आज बौद्ध धर्म को मानने वालो की संख्या लगभग 50 करोड़ से अधिक है जिसे सारे विश्व में मनाया जाता है , विशेषकर चीन , जापान , नेपाल , तिब्बत और भारत |
गौतम बुद्ध जी का जन्म नेपाल की तराई में . स्थित कपिलवस्तु के लुम्बिनी ग्राम में शाक्य गौतम बुद्ध जी का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुम्बिनी ग्राम में शाक्य वंश
में 563 ई.पू.में हुआ था ।

इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था |

इनकी माता का नाम महामाया और पिता का नाम शुद्धोधन था |

इनके जन्म के सात दिन के बाद इनकी माता का देहांत हो गया था , इसलिए सिद्धार्थ का लालन – पोषण इनकी माता प्रजापति गौतमी ने किया था |

16 वर्ष की अवस्था में सिद्धार्थ का विवाह शाक्य कुल की कन्या यशोधरा से हुआ । यशोधरा का बौद्ध ग्रंथों में अन्य नाम बिम्ब , गोपा , भद्कच्छना भी मिलता है । सिद्धार्थ से यशोधरा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था ||
सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया । इस त्याग को बौद्ध धर्म में महाभि- निष्क्रमण कहा गया है ।

गृहत्याग के बाद सिद्धार्थ अनोमा नदी के तट पर अपने सिर को मुङवा कर भिक्षुओं का काषाय वस्त्र धारण किया । सात वर्ष तक सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में इधर उधर भटकते रहे सर्वप्रथम वैशाली के समीप अलार क़लाम ( सांख्य दर्शन के आचार्य ) नामक संयासी के आश्रम में आये । इसके बाद उन्होंने उरुवेला ( बोधगया ) के लिए प्रस्थान किया , जहाँ उन्हें कौडिन्य सहित 5 साधक मिले ।
6 वर्ष तक अथक प्रयास के बाद तथा घोर तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा की रात पीपल वृक्ष के नीचे निरंजना
( पुनपुन ) नदी के तट पर सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ । ज्ञान प्राप्ति के बाद ही सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुये | उरुवेला से बुद्ध सारनाथ ( ऋषि पत्तनम एवं मृगदाव ) आये यहाँ पर उन्होंने पाँच ब्राह्मण संन्यासियों को अपना प्रथम उपदेश दिया , जिसे बौद्ध ग्रन्थों में धर्म – चक्र प्रवर्तन नाम से जाना जाता है । बौद्ध संघ में प्रवेश सर्वप्रथम यहीं से प्रारंभ हुआ ।

महात्मा बुद्ध ने तपस्या एवं काल्लिक नामक दो शूद्रों को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी बनाया गया | बुद्ध ने अपने जीवन के सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिये ।
उन्होंने मगध को अपना प्रचार केन्द्र बनाया । बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी शासकों में बिम्बिसार , प्रसेनजित तथा उदयन थे । बुद्ध के प्रधान शिष्य उपालि व आनंद थे । सारनाथ में बौद्धसंघ की स्थापना हुई । महात्मा बुद्ध अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हिरण्यवती नदी के तट पर स्थित कुशीनारा पहुंचे ।

इसे बौद्ध परंपरा में महापरिनिर्वाण के नाम से भी जाता है । मृत्यु से पूर्व कुशीनारा के परिव्राजक सुभच्छ को उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था | महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अवशेषों को आठ भागों में विभाजित किया गया ।
🙏 बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏

✍🌹 जितेन्द्र कुमार बौद्ध🌹
🌹 मो.7830687037 🌹

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