योगी आदित्यनाथ जन्मदिन विशेष : 26 की उम्र में सांसद और 45 साल के सीएम, कुछ ऐसा है सियासी सफर –
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
लखीमपुर खीरी (अमरेन्द्र सिंह स्टेट हेड- ब्यूरो रिपोर्ट )
योगी आदित्यनाथ जन्मदिन विशेष : 26 की उम्र में सांसद और 45 साल के सीएम, कुछ ऐसा है सियासी सफर –
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शनिवार को 49 वर्ष के हो गए हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को अजय सिंह बिष्ट के रूप में जन्म हुआ था। लेकिन वह गोरखपुर पहुंचकर योगी आदित्यनाथ बन गए। वह आज देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर योगी विराजमान हैं, जहां से होकर रास्ता दिल्ली जाता है। वह महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचे। 45 साल के योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए। आज यूपी की नहीं बल्कि देश की सियासत में उन्हें हिंदुत्व के शक्तिशाली चेहरे के तौर पर जाना जाता है।योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के सामान्य राजपूत परिवार में हुआ था। पिता आनंद सिंह बिष्ट और माता सावित्री देवी हैं। योगी ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की थी। 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की। जब वह स्नातक कर रहे थे, तभी राम मंदिर आंदोलन शुरू हो गया और वह छात्र जीवन में ही वह राममंदिर आंदोलन से जुड़ गए।छात्र जीवन में ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़ गए 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान ही योगी आदित्यनाथ की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम हुई थी। इसके कुछ दिनों बाद योगी अपने माता-पिता को बिना बताए गोरखपुर जा पहुंच है। उन्होंने संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु दीक्षा ले ली। महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के रहने वाले थे। उन्होंने अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बना दिया।अवैद्यनाथ ने अजय सिंह को आदित्यनाथ बनाया गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया। गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे। उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे। वह गोरखपुर से लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे।
संसद में भी सख्त हिंदूवादी चेहरे के रूप में उभरे
सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरकर सामने आई। उन्होंने सांसद रहते गोरखपुर जिले को अपने नियम अनुसार चलाने और त्वरित फैसलों से सबको चकित किया। इसी के चलते योगी के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह का समाजवाद भेद पाया और न ही मायावती की सोशल इंजीनियरिंग काम कर पाई। गोरखपुर में हमेशा योगी का हिंदुत्व कार्ड ही हावी रहा।योगी ने खड़ी की हिंदू युवा वाहिनी बनाई योगी आदित्यनाथ ने अपना संगठन हिंदू युवा वाहिनी खड़ी की। यह संगठन गौ सेवा करने और हिंदू विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया था। हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया, जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका। एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि योगी आदित्यनाथ ने बना ली थी।जनता से सीधा संवाद रखते हैं सीधा योगी योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी योगी के हाथ लगी। योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया। हालांकि, प्रदेश में हुए एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उंगलियां भी उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका खास प्रभाव नहीं हुआ। कोरोना संकट में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नजर आए हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ है।
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