Lakhimpur News ::लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी रेहरिया के जंगल से हाथियों के झुंड
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संवाददाता : :लखीमपुर खीरी : : महताब अंसारी :: Date ::14 ::12 :: .2022 : मोहम्मदी रेहरिया के जंगल से हाथियों के झुंड
लखीमपुर खीरी मोहम्मदी रेहरिया के जंगल से हाथियों के झुंड का सनसनीखेज वीडियो आया सामने करीब 40 से 50 की संख्या में झुंड में मौजूद हैं हाथी हाथियों के कई बच्चे भी हैं मौजूद दो तीन ग्रामीणों द्वारा छिप कर बनाया गया है वीडियो .यही हाथी रात में गांवों में मचा रहे है तांडव इन जंगलों में पानी के भरपूर स्रोत और खाने-पीने की प्रचुर सामग्री होने के चलते हाथियों ने पिछले 2 महीनों से यही जमा रखा है डेरा जोकि यही हाथियों का झुंड का डेरा एकड़ो फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जनता को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं अभी अभी हाल ही में पिछले रविवार को दो बुजुर्गो किसानों के ऊपर हमला कर दिया था जिससे दोनों किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
संघर्ष का दूसरा नाम डॉ अम्बेडकर ,कलम की ताकत से दिलाई दलितों को हक़ और अधिकार।
आज के दिन 15 दिसम्बर 1925 में रॉयल कमीशन में भारतीय मुद्रा के बारे में वक्तव्य दिया था और आज ही के दिन 15 दिसम्बर 1952 अलफंस्टन कॉलेज मुंबई में भाषण दिया था। दलितों के मसीहा डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के मऊ जिले में 14 अप्रैल सन 1891में महार जाति में हुआ था डॉक्टर अंबेडकर के पिता श्री राम जी राव सतपाल थे जो ब्रिटिश सेना में सूबेदार के पद पर थे। डॉक्टर अंबेडकर की माता का नाम रमा बाई था उनका स्वभाव अत्यंत सरल और गंभीरता के बनावटी जीवन से कोसों दूर था। बचपन से डॉक्टर अंबेडकर बहुत ही लगन शील प्रवत्ति के व्यक्ति थे पढ़ाई की अपेक्षा खेलकूद में अधिक रुचिनहीं थी।
Dr Bheem Rao Ambedkar
प्रारम्भिक स्कूल में अपने चारों और समानता और छुआछूत का जो वातावरण में जो कुछ देखा और सहन किया उसने उन्हें और अधिक कठोर और निडर बना दिया उस समय के विषाक्त वातावरण के व्यवहार का सामना अंबेडकर जी को भी करना पड़ा। समाज में छुआछात अपना विकराल रूप धारण किये हुआ था। मनुस्मृति का बोल बाला था दलित और महारो को सवर्ण के बर्तन से पानी पीने की मनहाई थी। उस समय अछूतों के साथ बड़ा मानवीय दुसव्यवहार किया जाता था। डॉ भीमराव अंबेडकर ने मैट्रिक की परीक्षा के उपरांत स्नातक की उपाधि प्राप्त किया और बाद में बड़ौदा रियासत की ओर से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र दल के सदस्य के रूप में विदेश पढ़ने गए। वहां से उन्होंने और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। और पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन छात्रवृत्ति का समय समाप्त होने के कारण भारत लौट आये और बड़ौदा रियासत के नरेश को दिए गए वचन के अनुसार 1917 में सचिव पद पर नियुक्त कार्य करने लगे। कर्मचारियों के दुर्व्यवहार और छुआछात के कारण नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। वर्ष 1928 में डॉक्टर अंबेडकर मुंबई अर्थशास्त्र अध्यापक में आरंभ किया। भीमराव अंबेडकर का एकमात्र अपराजिता का और दलितों का उद्धार करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने सब कुछ त्याग दिया। वे संघर्ष की राह पर निकल पड़े और जाति प्रथा का अंत करने के लिए सबकुछ दाव पर लगा दिया। दलितों के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में आज जाने जाते है संविधान लेखन में भारतीय संविधान समिति का अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना गया। डॉ भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है।
बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (सम्पादक- मुकेश भारती ) किसी भी शिकायत के लिए सम्पर्क करे – 9336114041
लखीमपुर खीरी मोहम्मदी रेहरिया के जंगल से हाथियों के झुंड का सनसनीखेज वीडियो आया सामने करीब 40 से 50 की संख्या में झुंड में मौजूद हैं हाथी हाथियों के कई बच्चे भी हैं मौजूद दो तीन ग्रामीणों द्वारा छिप कर बनाया गया है वीडियो .यही हाथी रात में गांवों में मचा रहे है तांडव इन जंगलों में पानी के भरपूर स्रोत और खाने-पीने की प्रचुर सामग्री होने के चलते हाथियों ने पिछले 2 महीनों से यही जमा रखा है डेरा जोकि यही हाथियों का झुंड का डेरा एकड़ो फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जनता को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं अभी अभी हाल ही में पिछले रविवार को दो बुजुर्गो किसानों के ऊपर हमला कर दिया था जिससे दोनों किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
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