राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ती को हटाने के लिए वकील का कानूनी नोटिस – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ती को हटाने के लिए वकील का कानूनी नोटिस

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बहुजन इंडिया 24न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983

मथुरा :(विजय कुमार – ब्यूरो रिपोर्ट )


राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ती को हटाने के लिए वकील का कानूनी नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के वकील , ऐडवोकेट चेतन बैरवा ने राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ती को हटाने के लिए 31 दिसम्बर 2020 को वाल्मीकि उत्थान मंच राजस्थान जयपुर व डॉक्टर अम्बेडकर विचार मंच ( समिति ) राजस्थान जयपुर की तरफ से , राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल जयपुर को , राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव व भारत सरकार के गृह सचिव नई दिल्ली को एक क़ानूनी नोटिस भेजकर मांग की है कि वह हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ती को नोटिस प्राप्ति के पन्द्रह दिनों के अंदर अंदर हटाये वरना इस बाबत वह पिटीशनर संस्थावो की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ( दिल्ली ) में एक जन हित याचिका दायर करेगे । अपने नोटिस में ऐडवोकेट बैरवा ने कहा कि हाई कोर्ट जयपुर के प्रांगण में मनु की मूर्ती का लगा होना भारतीय संविधान के आर्टिकल 17 का खुला उल्लंघन है जिसमें यह स्पस्ट लिखा है कि छुआछूत न केवल असंवैधानिक कार्य है बल्कि वह क्रिमिनल ला के तहत एक दण्डनीय अपराध भी है । अपने नोटिस में ऐडवोकेट बैरवा ने कहा है कि मनु ने मनु स्मृति के जरिये वर्ण व्यवस्था चलाकर न केवल हिन्दू समाज मे नफरत व जहर फैलाने का काम किया है बल्कि देश को कमजोर करने का काम भी किया है । मनु स्मृति के जहर के कारण ही देश कालांतर में कमजोर होकर अफगानिस्तान , पाकिस्तान व बंगला देश के रूप में विभाजित हुआ है । भारत देश विदेशी ताकतों का गुलाम भी बना है । ऐडवोकेट बैरवा ने कहा है कि हाई कोर्ट जयपुर में मनु की मूर्ति का लगा होना आज भी समाज मे नफरत व जहर फैलाने का संदेश दे रहा है जिससे आगे चलकर देश के फिर से विभाजित होने के आसार है । देश मे धर्मांतरण भी मनु के कारण ही हो रहे है और संविधान में अनुसुचित जाति, जन जाति तथा ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रावधान भी मनु के द्वारा फैलाई नफरतों के कारण ही करने पड़े है । नोटिस में मनु व उसकी मनुस्मृति को न केवल अनु. जाति, जन जाति तथा ओबीसी के विरुद्ध बताया है बल्कि महिलाओं , क्षत्रियो व वैश्यों के विरुद्ध भी बताया है । नोटिस में मनु को व उसकी लिखी मनु स्मृति को भारत के विभाजन का जिम्मेदार बताया है जिसके कारण , अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बंगला देश जैसे देश असितत्व में आये है । नोटिस में कहा गया है कि मनु स्मृति न होती तो न समाज मे ऊंच नीच व नफरत फैलती और न अफगानिस्तान , पाकिस्तान व बंगला देश नए देश के रूप में विश्व नक्शे पर आए होते । मनु की मनु स्मृति का साफ कहना है कि अनु जाती जन जाती ओबीसी के लोगो ( शुद्रो ) का काम बिना वेतन मांगे सेवा करने व रुखा सूखा खाकर जीवन बिताने का है , इससे ज्यादा कुछ नही । समाज मे नफरत व जहर फैलाने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा । मनु स्मृति महिलावो की सभी प्रकार की स्वतंत्रता के खिलाफ भी है । मनु स्मृति यह भी कहती है कि सो साल के क्षत्रिय को दस साल के ब्राह्मण को अपने बाप के बराबर मानना चाहिए तथा वैश्यों व शुद्रो को राज काज के नजदीक नही आने देना चाहिए वरना समाज मे अराजकता फेल जाती है ।

चेतन बैरवा
ऐडवोकेट सुप्रीम कोर्ट

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