Ayodhya News:विवाहिता को मारपीट कर भ्रूण हत्या के मामले में पति समेत आठ के खिलाफ 21 दिन बाद केस दर्ज::बहुजन प्रेस  – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Ayodhya News:विवाहिता को मारपीट कर भ्रूण हत्या के मामले में पति समेत आठ के खिलाफ 21 दिन बाद केस दर्ज::बहुजन प्रेस 

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संवाददाता :: अयोध्या::गोपीनाथ रावत  {C01} :: Published Dt.29.01.2023 :Time 11:30 PM:विवाहिता को मारपीट कर भ्रूण हत्या के मामले में पति समेत आठ के खिलाफ 21 दिन बाद केस दर्ज::बहुजन प्रेस 


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संवाददाता : गोपीनाथ रावत

बहुजन प्रेरणा ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) व बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ (डिजिटल मीडिया)


Ayodhya News ।  ब्यूरो रिपोर्ट :गोपीनाथ रावत । विवाहिता को मारपीट कर भ्रूण हत्या के मामले में पति समेत आठ के खिलाफ 21 दिन बाद केस दर्ज।
मिल्कीपुरअयोध्या:जिले के इनायतनगर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी विवाहिता के ससुरारी जनों द्वारा विवाहिता को जमकर मारे पीटे जाने के दौरान गर्भपात हो जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की फटकार के बाद इनायत नगर पुलिस ने आखिरकार पीड़ित विवाहिता की तहरीर पर पति सहित आठ लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक इनायत नगर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी विवाहिता की शादी रौनाही थाना क्षेत्र अंतर्गत चिर्रा गांव स्थित मक्का मस्जिद निवासी रहीम शाह के साथ हुई थी। पीड़ित विवाहिता ने पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में उसकी शादी रहीम शाह के साथ मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद ही रहीम शाह, सास शहजादी, करीम शाह अब्दुल रजा एवं हिना, निशवा एवं गुलाब शाह उसे प्रताड़ित करने लगे थे और आरोप लगा रहे थे कि तुम्हारे गर्भ में पल रही संतान नाजायज है, जिसे अबॉर्शन करा दो। विवाहिता के मना करने पर उक्त लोगों द्वारा उसे जमकर मारा पीटा गया। जिसके चलते विवाहिता को रक्तस्राव होने लगा और उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण का गर्भपात हो गया। युवती का आरोप है कि घटना के बाद उसने बीते 2 जनवरी को 112 नंबर डायल कर पुलिस को सूचित किया था। लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने के बाद वह बीते 10 जनवरी को प्राथमिक स्वास्थ्य मिल्कीपुर जाकर अपनी चोटों का डॉक्टरी परीक्षण कराते हुए दवा इलाज कराया था। यही नहीं विवाहिता का यह भी आरोप है कि उसने इनायतनगर पुलिस को भी मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने हेतु तहरीर दी, किंतु आरोपियों के प्रभाव के आगे उसकी सुनी नहीं गई।
पुलिसिया कार्यवाही न होने से नाराज होने के उपरांत थकी हारी युवती वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची। जहां उसने एसएसपी को आपबीती बताया। जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज जी ने इनायत नगर पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए मामले में तत्काल प्राथमिकी कायम किए जाने के निर्देश दिए।
एसएसपी की फटकार के बाद आखिरकार इनायत नगर थाने के प्रभारी निरीक्षक ने पीड़ित महिला की तहरीर पर पति समेत उसके सास-ससुर, देवर और ननद सहित आठ लोगों के खिलाफ मारपीट व भ्रूण हत्या सहित अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि पुलिस अभी मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
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गोपी नाथ रावत ब्यूरो रिपोर्ट अयोध्या



stikar kabir ki vani

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।


Stikar Aaj ka suvichar” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”


आईपीसी की  धारा 504 में विधि का  क्या प्राविधान है

Kanooni salah

Mukesh Bharti
Adv. Mukesh Bharti

IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई  शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।  जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023

अथवा 

जो कोई किसी व्यक्ति को साशय अपमानित करेगा या गाली गलौज करेगा और तद्द्वारा उस व्यक्ति कोइस आशय से  या यह सम्भाव्य जानते हुए, प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

 

अपमानित /लोक शान्ति भंग से आशय ; जो कोई किसी व्यक्ति को प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा ह, वह अपमानित करता है। यह कहा जाता है।

विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023


नोट : दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार : यह जमानतीय और असंज्ञेय अपराध है जमानत कोई जुडिसियल मजिस्ट्रेट दे सकता है।


जलियांवाला बाग हत्याकांड:

आज़ादी के आंदोलन में हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे : 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर बिना बताये ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। इस कांड में मारे गए लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। इस हत्या काण्ड का बदला लेने के लिए वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022

Virendra kuamr Usmani Degree College Lakhimpur Kheri
Virendra Kumar Usmani Degree College

Stikar Samany Gyan 2023
क्या है रॉलेट एक्ट 1919 को जाने :
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
जलियांवाला बाग हत्या काण्ड की पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ। 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया। इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई। घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।इस बड़ी भीड़ को तितर बितर करने के लिए ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा। सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दी दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।Genral Knowledge
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया। वीरेंद्र कुमार : प्रवक्ता – उस्मानी डिग्री कॉलेज लखीमपुर खीरी (यूजीसी नेट-इतिहास ) Dt. 19-12-2022


 

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