Mainpuri News:प्रभारी मंत्री राज्यमंत्री राजस्व अनूप प्रधान मैनपुरी पहुंचे जहां कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता की:बहुजन प्रेस – मुकेश भारती
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संवाददाता :: मैनपुरी::अवनीश कुमार {C016} :: Published Dt.25.03.2023 :Time:8:50PM :प्रभारी मंत्री राज्यमंत्री राजस्व अनूप प्रधान मैनपुरी पहुंचे जहां कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता की:बहुजन प्रेस – मुकेश भारती
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Mainpuri News । ब्यूरो रिपोर्ट :अवनीश कुमार। जनपद के प्रभारी मंत्री राज्यमंत्री राजस्व अनूप प्रधान मैनपुरी पहुंचे जहां कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता की
गन्ना किसानों का भुगतान योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया
सरकार की मंशा है प्रत्येक जनपद में मेडिकल कॉलेज स्थापित हो और संचालित हो और और सरकारों की अपेक्षा हमारी सरकार औरों से बेहतर कार्य कर रही है
मैनपुरी – जनपद के प्रभारी मंत्री, राजस्व राज्य मंत्री अनूप प्रधान ने प्रदेश सरकार का सफलता पूर्वक 01 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर जनपद में कराये गये विकास कार्यक्रमों, – कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर आधारित विधान सभावार प्रकाशित “सुशासन जन- विकास रोजगार डबल इंजन की सरकार विकास पुस्तिका का विमोचन करते हुये कहा कि जन शिकायतों के त्वरित निस्तारण में जनपद सम्पूर्ण वर्ष प्रदेश में टॉप-10 में शामिल है, विकास कार्यो, जन-कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रदेश में माह फरवरी की रैकिंग के अनुसार प्रथम स्थान पर एवं वर्ष 2022-23 में टॉप 05 में शामिल रहा है, यह सब जनपद के अधिकारियों, कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है। उन्होने संचालित योजनाओं की विस्तार से जानकारी देते हुये कहा कि प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत प्रतिमाह जनपद के 03 लाख 24 हजार कार्ड धारकों के सापेक्ष 14 लाख परिवारों को माह में 02 बार निःशुल्क खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करायी, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान जनपद में उद्योगों की स्थापना हेतु 143 निवेशकों द्वारा 4270.01 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत जनपद के 03 लाख 67 हजार कृषकों के खातों में सीधे 700 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करायी । प्रभारी मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत 09 हजार 980 पात्र कन्याओं के अभिभावकों के खातों में 180.73 लाख की धनराशि हस्तान्तरित की गयी. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अन्तर्गत 813 व्यक्तियों को रोजगार सृजन हेतु 294.31 लाख की धनराशि बैंकों के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी. मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 59 इकाईयों को 445 लाख रु. की धनाशि उपलब्ध करायी गयी, एक जनपद एक उत्पाद योजना में 37 इकाईयों को 220 लाख रू. की धनराशि उपलब्ध करायी गयी, प्रधानमंत्री स्वनिधि के अन्तर्गत 1507 लाभार्थियों को लाभान्वित कर उनके खातों में 150.70 लाख की धनराशि बैंकों के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी, जनपद में संचालित 01 गौ संरक्षण केन्द्र, 06 कान्हा गौ आश्रय स्थल, 03 वृहद गौ संरक्षण एवं 29 अस्थाई गौ- आश्रय स्थलों में 5346 निराश्रित गौवंश संरक्षित कराये गये, माह फरवरी में अभियान चलाकर 916 एवं माह मार्च में 801 गौवंशों को संरक्षित कराया गया, रु. 1.20 करोड़ से खजुरारा इज्जतपुर में गौ संरक्षण केन्द्र, रु 1.39 करोड़ से थाना कुर्रा में 32 क्षमता के हास्टल बैरक एवं 01 विवेचना कक्ष का निर्माण, रु. 2.33 करोड़ से पुलिस लाइन में टाईप ए श्रेणी, 2 आवास एव टाईप-बी, श्रेणी के 4 आवासों का निर्माण, रु. 05. 45 करोड़ से पुलिस लाईन में 100 पुलिस कर्मियों हेतु बैरक (जी. +5 ) का निर्माण रु. 15.74 करोड़ से जनपद मैनपुरी में पुलिस लाईन में ट्रांजिस्ट हॉस्टल (जी+8) का निर्माण रु. 02.10 करोड़ की लागत से मढ़ेला, लहरा, रतनपुर बरा में राजकीय हाईस्कूल का निर्माण, जनपद के एतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के च्यवन ऋषि आश्रम औंछा के जीर्णोद्धार हेतु 491.45 लाख, मार्कण्डेय ऋषि आश्रम विधूना के सौन्दर्यीकरण हेतु 398.50 लाख, नगर क्षेत्र स्थित रामलीला मैदान के कायाकल्प हेतु 76.84 लाख, कुरावली स्थित रामलीला मैदान की बाउण्ड्रीवॉल, सौन्दर्यीकरण हेतु 195.63 लाख एवं बाबा लालपुरी आश्रम के पर्यटन विकास हेतु 100 लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी। राजस्व मंत्री ने बताया कि राजस्व न्यायालयों में 304 राजस्व बाद दर्ज कराये गये तथा 21 भू-माफियों के विरुद्ध संगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. कृषक दुर्घटना बीमा योजना अन्तर्गत 73 कृषकों को 03 करोड़ 66 लाख रु. की धनराशि उपलब्ध करायी गयी, जनपद में 7426 अविवादित वरासत दर्ज कर नकल खतौनी, स्वामित्व योजना के अन्तर्गत जनपद में 23 हजार 322 घरौनी वितरित की गयी। उन्होने वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022 डकैती के मामलों में 100 प्रतिशत, लूट में 55.81 प्रतिशत, हत्या में 47.83 प्रतिशत, आपसी विवाद में 69.23 प्रतिशत, बलात्कार में 65.71 प्रतिशत की कमी आयी, महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सेफ सिटी परियोजना लागू महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ छेड़-छाड़, घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु एन्टीरोमियो स्क्वायड का गठन, वर्ष 2022 में गैंगस्टर एक्ट के अन्तर्गत रु. 06करोड़ 82 लाख 39 हजार 117 की सम्पत्ति जब्तीकरण की कार्यवाही की गयी। इस दौरान पूर्व मंत्री, विधायक भोगांव राम नरेश अग्निहोत्री, जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आलोक गुप्ता, जिला पंचायत प्रतिनिधि गोविन्द भदौरिया के अलावा जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह, पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार, मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी राम जी मिश्र, उप जिलाधिकारी सदर नवोदिता शर्मा, राजस्व अधिकारी नरेन्द्र यादव, यता संबंधित अधिकारी थाति रहे।
संत रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और जातिपाति का घोर खंडन किया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।Bahujan Movement:
संत रैदास स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उनके शिष्य उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में जिस परमेश्वर राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि का गुणगान किया गया है।सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। एक ही अलौकिक शक्ति है और कोई दूजा नहीं है। सभी मनुष्य सामान है कोई ऊच नीच नहीं है।ऊच नीच जैसी सामाजिक बुराई सभी चालाक लोग अपने फायदे के लिए बनाये है। ईश्वर सभी को सामान दृष्टि से देखता है। मानव मानव में कोई भेद नहीं है।
कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥
चारो वेद के करे खंडौती । जन रैदास करे दंडौती।।
संत रविदास का विश्वास था कि ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार, परहित-भावना तथा सद्व्यवहार का पालन करना अत्यावश्यक है। अभिमान त्याग कर दूसरों के साथ व्यवहार करने और विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। अपने एक भजन में उन्होंने कहा है-
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै॥
संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है जैसे कि विशालकाय हाथी शक्कर के कणों को चुनने में असमर्थ रहता है जबकि लघु शरीर की पिपीलिका (चींटी) इन कणों को सरलतापूर्वक चुन लेती है। इसी प्रकार अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है Bahujan Movement:
निम्न जाति की महिलाओं पर स्तन कर , महिलाओं का शादियों तक सहना पड़ा अपमान
Published Date 28 January 2023: दुनिया में टैक्स की शुरुआत 14वीं शताब्दी से माना जाता है । हालांकि 5000 साल पहले मिस्त्र में टैक्स वसूली के सबूत भी मिले हैं। चलिए आपको कुछ अजीबो-गरीब ।
त्रावणकोर में ब्रेस्ट टैक्स-
स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
नांगेली की ग्रामीण एक ऐसी महिला के बारे में है जो 19वीं सदी की शुरुआत में त्रावणकोर राज्य के चेरथला में रहती थी, और कथित तौर पर जाति-आधारित “स्तन कर” का विरोध करने के प्रयास में अपने स्तनों को काट देती थी।
भारत के केरल राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं।
यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
19वीं सदी की शुरुआत केरल के त्रावणकोर में महिलाओं से ब्रेस्ट टैक्स लिया जाता था ब्रेस्ट की साइज के मुताबिक अधिकारी टैक्स निर्धारित करते थे बताया जाता है कि नांगेली नाम की महिला ने इसके विरोध में अपने स्तन काट दिए थे इसके बाद इस टैक्स का विरोध होने लगा साल 1814 में त्रावणकोर के राजा ने ब्रेस्ट टैक्स को खत्म कर दिया।
मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा : भारत के कर्नाटक राज्य में मुर्ख मार्थंड वर्मा नामक राजा के राज्य में स्तन कर त्रावणकोर साम्राज्य द्वारा नादारों, एझावारों और अन्य निम्न जाति समुदायों पर लगाया जाने वाला एक प्रमुख कर था। जो धर्म शास्त्रों में मूलाकरम के नाम से जाना जाता था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार निम्न वर्ग की महिलाओं पर स्तन कर लगाया जाता था यदि वे अपने स्तनों को ढकती थीं। ऊंची जाति के महिलाओं पर टैक्स नहीं लगता था। जिससे जाति वादी मानशिकता साफ नज़र आती है। ये टैक्स अंग्रेजों या मुस्लिम शासकों द्वारा नहीं लगाया गया था बल्कि हिन्दू धर्म के भारतीय क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मण मंत्रियों की सलाह पर लगाया गया था। धीरे धीरे धार्मिक रूप देकर इसको भारतीय संस्कृत और सभ्यता बताने की कोशिश की गयी थी। इस घृणित कार्य में वेद पुराण धर्म शास्त्र के पढ़े लिखे के महारथियों का षड्यंत्र था जिससे उच्च जाति और निम्न जाति की महिलाओं में विभेद किया जा सके।जाति वर्ग व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। जितने दोषी उस राज्य के पण्डे पुजारी धर्मशास्त्री लोग थे उतना ही दोष उनकी महिलाओं का था जो इसका स्पोर्ट करती थी। इसको बनाये रखने के लिए नये नये तर्क गढ़े जाते थे और धर्म शास्त्र का सहारा लिया जाता था। और एक विशेष जाति की प्रथा बता कर किनारा कर लिया जाता था।
शोषित पीड़ित लोगों का अपमान और दमनकारी धार्मिक जाल:
शोषित पीड़ित लोगों के साथ ऐसा इस लिए किया जाता है क्यों कि वे लोग स्वाभिमान की जिंदगी न जी सके। उनकी मोरैलिटी सदैव डाउन रह सके। उनका सामाजिक स्तर नीचे गिर सके। अपने आप को हीन मान सके। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सके। पढ़ने लिखने वाली संस्थाओं में एंट्री न मिल सके। जाति व्यवस्था कायम रहे और इसको लोग भगवान का कोप मानकर सदियों तक झेलते रहे। जिससे उनपर शासन किया जा सके और कभी भी विद्रोह न कर सके। इसलिए ऐसे पाप कर्म को धार्मिक चोला पहना दिया जाता है। मूलाकरम या स्तन कर यानी उन्हें अपना स्तन खुला ही रखना होता था। ये महिलाएं अर्धनग्न अवस्था में न रहकर यदि कपड़े से अपना स्तन ढकती थीं तो उन्हें ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax ) देना होता था। जी हां, ब्रेस्ट टैक्स, जिसे मूलाकरम (Mulakkaram) कहा जाता था।
निम्न जाति की महिलाओं को शादियों तक सहना पड़ा अपमान
1924 तक दलित महिलाओं को स्तन ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था, छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे ये कहानी महिलाओं के स्तन ढकने की लड़ाई के बारे में है। ये कहानी किसी दूसरे मुल्क की नहीं, बल्कि भारत की है। कब क्या हुआ? कैसे हुआ और कैसे चीजें सही हुईं ये सब बताते हैं।
एक क्रूर व मुर्ख राजा मार्थंड वर्मा का उदय त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना:
1729, मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना हुई। राजा थे मार्थंड वर्मा। साम्राज्य बना तो नियम-कानून बने। टैक्स लेने का सिस्टम बनाया गया। जैसे आज हाउस टैक्स, सेल टैक्स और जीएसटी, लेकिन एक टैक्स और बनाया गया…ब्रेस्ट टैक्स मतलब स्तन कर। ये कर दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगाया गया।
जितना बड़ा स्तन उतना बड़ा टैक्स:
त्रावणकोर में निचली जाति की महिलाएं सिर्फ कमर तक कपड़ा पहन सकती थी। अफसरों और ऊंची जाति के लोगों के सामने वे जब भी गुजरती उन्हें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी। अगर महिलाएं छाती ढकना चाहें तो उन्हें इसके बदले ब्रेस्ट टैक्स देना होगा। इसमें भी दो नियम थे। जिसका ब्रेस्ट छोटा उसे कम टैक्स और जिसका बड़ा उसे ज्यादा टैक्स। टैक्स का नाम रखा था मूलाक्रम।
महिलाओं के साथ पुरुषों पर भी नियम लागू
यह फूहड़ रिवाज सिर्फ महिलाओं पर नहीं, बल्कि पुरुषों पर भी लागू था। उन्हें सिर ढकने की परमिशन नहीं थी। अगर वे कमर के ऊपर कपड़ा पहनना चाहें और सिर उठाकर चलना चाहें तो इसके लिए उसे अलग से टैक्स देना पड़ेगा। यह व्यवस्था ऊंची जाति को छोड़कर सभी पर लागू थी, लेकिन वर्ण व्यवस्था में सबसे नीचे होने के कारण निचली जाति की दलित महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
त्रावणकोर साम्राज्य के मुर्ख राजपुरोहित लोग होते थे महिलाओं की छाती पर कपड़ा दिखा तो चाकू से फाड़ देते थे।
नादर वर्ग की महिलाओं ने कपड़े से सीना ढका तो सूचना राजपुरोहित तक पहुंच जाती थी। पुरोहित एक लंबी लाठी लेकर चलता था जिसके सिरे पर एक चाकू बंधी होती थी। वह उसी से ब्लाउज खींचकर फाड़ देता था। उस कपड़े को वह पेड़ों पर टांग देता था। यह संदेश देने का एक तरीका था कि आगे कोई ऐसी हिम्मत न कर सके। कई बार तो टैक्स न देने पर पीट पीट कर मार दिया जाता था। हैवानित का मंजर चलता रहा और देवी देवता सभी ख़ामोशी से देखते रहे।
नादर वर्ग की स्वाभिमानी नांगेली ने दिखाया था दम किया विरोध
19वीं शताब्दी की शुरुआत में चेरथला में नांगेली नाम की एक महिला थी। स्वाभिमानी और क्रांतिकारी। उसने तय किया कि ब्रेस्ट भी ढकूंगी और टैक्स भी नहीं दूंगी। नांगेली का यह कदम सामंतवादी लोगों के मुंह पर तमाचा था। अधिकारी घर पहुंचे तो नांगेली के पति चिरकंडुन ने टैक्स देने से मना कर दिया। बात राजा तक पहुंच गई। राजा ने एक बड़े दल को नांगेली भेज दिया।
नांगेली ने स्तन टैक्स के लिए स्तन ही काट दिया
मुर्ख राजा के आदेश पर टैक्स लेने अफसर नांगेली के घर पहुंच गए। पूरा गांव इकट्ठा हो गया। अफसर बोले, “ब्रेस्ट टैक्स दो, किसी तरह की माफी नहीं मिलेगी।” नांगेली बोली, ‘रुकिए मैं लाती हूं टैक्स।’ नांगेली अपनी झोपड़ी में गई। बाहर आई तो लोग दंग रह गए। अफसरों की आंखे फटी की फटी रह गई। नांगेली केले के पत्ते पर अपना कटा स्तन लेकर खड़ी थी। अफसर भाग गए। लगातार ब्लीडिंग से नांगेली जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी न उठ सकी।
नांगेली की चिता में कूद गया पति
नांगेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन ने भी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के ‘सती’ होने की यह एकमात्र घटना है। इस घटना के बाद विद्रोह हो गया। हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं ने फुल कपड़े पहनना शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर राजा के महल में पहुंच गए। कहा, “हम हिंसा रोकने में असफल साबित हो रहे हैं कुछ करिए।” राजा बैकफुट पर चले गए। उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स के ऊपर कपड़े पहन सकती हैं।
महिला ने ही महिला को परेशान किया
नादर जाति कि महिलाओं को स्तन ढकने की इजाजत मिली तो एजवा, शेनार या शनारस और नादर वर्ग की महिलाओं ने भी विद्रोह किया। उनके विद्रोह को दबाने के लिए उच्च परिवार की स्त्रियां भी आगे आ गई। ऐसे ही एक कहानी सामने आती है जिसमें रानी ‘अन्तिंगल’ ने एक दलित महिला का स्तन कटवा दिया था।
गरीब जनता राजा से इतना परेशान हो गए कि श्रीलंका भाग गए और धर्म परिवर्तन कर लिया।
इस कुप्रथा के खिलाफ विद्रोह करने वाले लोग पकड़े जाने के डर से श्रीलंका चले गए। वहां की चाय बगानों में काम करने लगे। इसी दौरान त्रावणकोर में अंग्रेजों का दखल बढ़ा। 1829 में त्रावणकोर के दीवान मुनरो ने कहा, “अगर महिलाएं ईसाई बन जाएं तो उन पर हिन्दुओं का ये नियम नहीं लागू होगा। वे स्तन ढक सकेंगी।”
जल-भुन गए ऊंची जाति के लोग:मुनरो के इस आदेश से ऊंची जाति के लोगों में गुस्सा भर गया, लेकिन अंग्रेज फैसले पर टिके रहे। 1859 में अंग्रेजी गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने त्रावणकोर में इस नियम को रद्द कर दिया। अब हिंसा करने वाले बदल गए। ऊंची जाति के लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी। नादर महिलाओं को निशाना बनाया और उनके अनाज जला दिए। इस दौरान नादर जाति कि दो महिलाओं को सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। अंग्रेजों के बढ़ते दबदबे से महिलाओं को मिली राहत-अंग्रेजी दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस कुप्रथा का जिक्र करते हुए लिखा, “संघर्ष लंबा चला। 1965 में प्रजा जीत गई और सभी को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार मिल गया। इस अधिकार के बावजूद कई हिस्सों में दलितों को कपड़े न पहनने देने की कुप्रथा चलती रही। 1924 में यह कलंक पूरी तरफ से खत्म हो गया, क्योंकि उस वक्त पूरा देश आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा था।”
काले कानून को छिपाने की कोशिश इतिहास से मिटाने की कोशिश
NCRT ने 2019 में क्लास 9 के इतिहास की बुक से तीन अध्याय हटा दिए। इसमें एक अध्याय त्रावणकोर में निचली जातियों के संघर्ष से जुड़ा था। हंगामा हुआ। केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “यह विषय हटाना संघ परिवार के एजेंडे को दिखाता है।” इसके पहले CBSE ने भी 2017 में 9वीं के सोशल साइंस से ये वाला चैप्टर हटा दिया था। मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने कहा, “2017 की परीक्षाओं में चैप्टर, कास्ट, कन्फ्लिक्ट एंड ड्रेस चेंज से कुछ भी नहीं पूछा जाएगा।”
नांगेली को इतिहास बहादुरी की मिशाल
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकोलॉजी और दलित स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शीबा केएम कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मकसद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था।” नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू कहते हैं कि मुझे नांगेली के परिवार की संतान होने पर गर्व है। उन्होंने ये फैसला अपने लिए नहीं, बल्कि सारी औरतों के लिए किया था। उनके त्याग से ही राजा को ये कर वापस लेना पड़ा था।
महिला नांगेली ने अपने प्राण त्याग से क्रांति रची। उन्होंने एक शर्मनाक टैक्स को खत्म करने के लिए अपनी जान दे दी। केरल के मुलच्छीपुरम में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है।
“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
अर्थ – कबीर दास जी के दोहे से समझ में आता है कि संसार की बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़कर कितने ही लोग मृत्यु के द्वार तक पहुंच गए, मगर वे सभी विद्वान नहीं हो सके थे। वे कहते हैं कि इतन पढ़ने के बजाय अगर कोई प्रेम या प्रेम के ढाई अक्षर ही पढ़ ले यानी कि प्रेम के वास्तविक रूप को पहचान ले तो वह सच्चा ज्ञानी माना जाएगा।
” जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही
हमारी जिदंगी की सफ़लता का बड़ा हिस्सा होता है।”
आईपीसी की धारा 504 में विधि का क्या प्राविधान है
IPC की धारा 504 का विवरण :जो कोई किसी अगर कोई शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या गाली गलौज करेगा , Intentional insult with intent to provoke breach of the peace ) यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित / अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है। जैसे अ ने ब को अपमानित करने के लिए माँ बहन की गालिया या किसी प्रकार की गालियां या गाली गलौज करेगा जिससे ब का मान मर्दन को ठेस पहुंचे या फिर उसको भड़काकर उकसाकर मारपीट किया जा सके या लोक शांति भंग किया जा सके।
विधिक सलाहकार -मुकेश भारती एड0।Dt.28-01-2023
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