“बुद्ध और उनका धम्म” – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

“बुद्ध और उनका धम्म”

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र (सम्पादक -मुकेश भारती ) 9161507983

लखीमपुर :(मुकेश भारती – ब्यूरो रिपोर्ट )


बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर

बात उस वक़्त की है जब बाबासाहब अपनी अंतिम पुस्तक “बुद्ध और उनका धम्म” लिख रहे थे। उस वक़्तवो बंगला न. 26, अलीपुर रोड, दिल्ली में रहते थे। एक शाम खाना खाने के बाद लगभग 8 बजे के आसपास वो अपने अध्धयन कक्ष में गए और लिखना शुरू कर दिया। उनके निजी सहयोगी ‘नानकचन्द रत्तू ‘ जरूरी काम निबटा कर उनकी कुर्सी के पास खड़े हो गए और उनके आदेश की प्रतीक्षा करने लगे। कुछ देर बाद बाबा साहब ने हल्की सी नज़रें ऊपर उठाई और रत्तू जी से कहा कि तुम जाकर सो जाओ, सुबह आ जाना। अपने साहब का आदेश पाकर वो चले गए। रोज़ाना की तरह सुबह लगभग 8 बजे ही रत्तू बाबासाहब के पास पहुँचे। उन्होंने देखा कि जिस अवस्था मे वो बाबा साहब को छोड़कर गए थे ठीक उसी अवस्था में बाबा साहब अपनी कुर्सी पर बैठकर लिख रहे थे। उन्हें लिखते लिखते लगभग 12 घण्टे हो चुके थे। रत्तू जी चुपचाप उनकी कुर्सी के बराबर में खड़े हो गए। उन्हें खड़े हुए बहुत देर ही गयी लेकिन बाबा साहब ने ऊपर नज़र उठाकर ही नही देखा। वो अपने लेखन में इतने व्यस्त थे कि उन्हें किसी बात का होश नही था। किसी साधक की साधना को भंग करना हर किसी के बस की बात नही होती। वो बाबा साहब की साधना ही थी। रत्तू जी, बाबा साहब का ध्यान अपनी तरफ लाने के लिए मेज पर रखी कुछ किताबो को उठाकर ठीक ढंग से रखने लगे। तब बाबासाहब ने हल्की सी नज़र उठाई और रत्तू जी से कहा – रत्तू तुम अभी गए नही। रत्तू जी उनके पैरोँ के पास बैठ गए और आँखों में आंसू भरकर कहने लगे – बाबासाहब सुबह के 8:30 बज चुके है। आपको 12 घण्टे हो चुके है। आखिर आप इतनी महनत क्यों कर रहे हो? बाबासाहब ने कहा – रत्तू, मेरा समाज अभी बहुत पीछे है। मेरे लोग अभी भी दिशाहीन है। मेरे मरने के बाद मेरी ये किताबे ही तो उनको राह दिखाएंगी। अब मै पूरे देश में, हर घर में तो नही जा सकता लेकिन मेरा साहित्य जरूर जायेगा। लोग मेरे विचारो को समझ पाएंगे। मेरे सिद्धांत, विचार, दर्शन और आदर्श मेरी किताबो में ही मिलेंगे। इसलिए मै इतनी मेहनत कर रहा हूँ।


सोशल मीडिया की लेखिका:- कामिनी गौतम

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