चमार जाति के महान योद्धा शासक -शंकर वर्मन जिसने कश्मीर से लेकर अफगानिस्तान तक अपने राज्य का किया विस्तार – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

चमार जाति के महान योद्धा शासक -शंकर वर्मन जिसने कश्मीर से लेकर अफगानिस्तान तक अपने राज्य का किया विस्तार

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चमार जाति के महान योद्धा शासक -शंकर वर्मन जिसने कश्मीर से लेकर अफगानिस्तान तक अपने राज्य का किया विस्तार


कर्कोटा राजवंश ने 7वीं और 8वीं शताब्दी में कश्मीर घाटी और भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ उत्तरी भागों पर शासन किया था. इस राजवंश की स्थापना 625 ईस्वी में दुर्लभ वर्धन ने की थी. कर्कोटा शासक हिंदू थे जबकि इनका राजधर्म बौद्ध धर्म था और उन्होंने परिहासपुर (राजधानी) में कई शानदार हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया. साथ ही, उन्होंने बौद्ध धर्म को भी संरक्षण दिया। कई बौद्ध विहारों का निर्माण करवाया। कर्कोटा राजवंश के शासनकाल में कश्मीर का राजनीतिक विस्तार हुआ और आर्थिक समृद्धि भी बनी. कश्मीर संस्कृति और विद्वता का केंद्र भी बना। परिहासपुर वर्तमान में ,जिला बारामूला, कश्मीर में स्थित है जिसको उल्लास का नगर के नाम से जाना जाता है।


कर्कोटा राजवंश – कर्कोटा राजवंश (लगभग 625 – 855 ई.) ने 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान कश्मीर घाटी और भारतीय उपमहादीप में ललितादित्य मुक्तापीड़ा, मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया ।
कर्कोटा राजवंश ने कश्मीर में अपनी सत्ता स्थापित की (7 वीं शताब्दी के प्रारंभ में) और यह मध्य एशिया का सबसे शक्तिशाली राजवंश था
कर्कोटा राजवंश ने 7वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कश्मीर घाटी पर कब्ज़ा किया था। कर्कोटा राजवंश की स्थापना 625 ई. में दुर्लभ वर्धन ने की थी जो चमार समुदाय से तालुकात रखते थे। जिसको कुछ इतिहासकार कायस्थ क्षत्रिय की संज्ञा से उपमा देते है जबकि दुर्लभ वर्धन एक राज्य अधिकारी की हैसियत से गोन्दडिया वंश के अंतिम राजा बालादित्य के राज्य में कार्यरत थे।
कर्कोटा राजवंश के कुछ और प्रमुख बिंदु: कर्कोटा राजवंश के शासकों ने कई शहरों की भी स्थापना की, जिनमें परिहासपुरा, उत्पलपुर, पद्मपुरा, धर्मस्वामी, कल्याणस्वामी, मामास्वामी आदि शामिल हैं।
कर्कोटा राजवंश के शासकों ने धातु के सिक्के और कौड़ियों को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया. राज्य कई तरह के कर वसूलता था, जिनमें सीमा शुल्क, वेश्यावृत्ति कर, बाज़ार कर आदि शामिल थे.कर्कोटा राजवंश के शासकों ने लगातार युद्धों में हिस्सा लिया और अपने अनूठे सैन्य कौशल से कई जीत हासिल कीं. कई इतिहासकारों और लेखकों ने उन्हें “कश्मीरी इतिहास का सिकंदर” कहा है। कर्कोटा राजवंश के शासकों ने कला और वास्तुकला के क्षेत्र में भी योगदान दिया. जनरेटिव एआई की सुविधा फ़िलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर उपलब्ध है।
आजकल के शादीपुर के पास ही परिहासपुर नगर था। परिहासपुर श्रीनगर से 26 किलोमीटर की दूरी पर बारामूला के पास स्थित है इसका मतलब होता है परिहासपुर ( उल्लास का नगर)। ललितादित्य कर्कोटक वंश के राजा जिन का शासन 695 ईस्वी और 731 ईस्वी के बीच था ,उसने इस नगर को बसाया था।यहा कई मंदिर और बौद्ध विहार, चैत्य और स्तूप पाये गए है यहा की सबसे आमूल्य कृति थी मुक्तेश्वर शिव मंदिर की मुख्य प्रतिमा 84000 तोले स्वर्ण से निर्मित थी। यहाँ का प्रमुतम मंदिर विष्णु जी को समर्पित था। कल्हण ने अपनी पुस्तक राजतरंगिणी में उल्लेख किया है। राजतरंगिणी-कश्मीर के राजाओं का इतिहास के रूप में जाना जाता है।


उत्पल राजवंश: कर्कोटा राजवंश से संबंध रखने वाले अवन्ति वर्मन जो चमार समुदाय से तालुकात रखते थे ने उत्पल राजवंश की स्थापना किया जिसने कश्मीर पर 855 ईस्वी से 1003 ईस्वी तक शासन किया। जिसकी अंतिम शासिका दिद्दा थी जो बहुत ही साहसिक और वीर महिला थी। महमूद गजनवी को 2 बार युद्ध में खदेड़ा इसलिए आक्रांता भय के कारण कभी दुबारा हमला नहीं किया। आइन-ए-अकबरी के अनुसार इस राजवंश के शासक चमार समुदाय से थे।उत्पल राजवंश के सबसे शक्तिशाली राजा शंकर वर्मन थे। महारानी सुगंधा उत्पल राजवंश के सबसे शक्तिशाली महिला शासिका थी।


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