मैनपुरी : स्लग-मैनपुरी के आवास विकास में दो दिन से अपने ही दरवाजे पर अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा है रिटायर्ड कर्मचारी का शव
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
मैनपुरी : ( सुजाउददीन – ब्यूरो रिपोर्ट )
मैनपुरी : स्लग-मैनपुरी के आवास विकास में दो दिन से अपने ही दरवाजे पर अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा है रिटायर्ड कर्मचारी का शव
वीओ-मामला ऐसा कि सुनने के बाद आपको भी शर्म आ जाये और चुल्लू भर पानी मे डूबने का मन कर जाए,मैनपुरी के आवास विकास के मकान नम्बर 346/2 में रहने वाले रामौतार प्रजापति ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि जिस मकान को उन्होंने अपनी मेहनत और गाढ़ी कमाई से बनाया है,मेरे मरने के बाद मेरी लाश को उसी मकान के दरवाजे पर रखकर मेरे अपने ही मेरी लाश को साक्षी मानकर आपस मे समझौता करेंगें दरअसल मामला पिता के गुजरने के बाद दो भाइयों में सम्पत्ति के बंटवारे को लेकर है,म्रतक रामौतार प्रजापति का छोटा बेटा मनमोहन अपने बड़े भाई सुरेंद्र पर आरोप लगा रहा है कि उसने 5 दिन पूर्व पिता से वसीयत अपने नाम करवा ली और दो दिन पूर्व 17 जून की रात 1 बजे पिता की गला दबाकर हत्या कर दी,जिसका मनमोहन ने अपनी दिमागी तौर पर विक्षिप्त मां के साथ पिता के शव के सामने रिपीट टेलीकास्ट भी करके दिखाया,और जब यह पूरा तमाशा चल रहा था तो वो भीड़ वो रिश्तेदार जो इंसानियत को ना जाने कौन से बाजार में नीलाम करके तमाशबीन बने देख रहे थे,एक महाशय तो जब तमाशा देख कर थक गए तो उन्होंने दरवाजे पर रखे शव से ही टेक ले ली मानो जिस अंदाज से शव से टेक लिए खड़े हैं,साक्षात भगवान के दर्शन देने को आतुर हों,डर था कहीं ज्यादा थकने पर शव के ऊपर ही ना लेट जाएं,हालांकि सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया था जिसमें मौत की वजह स्वांस नली में इंफेक्शन होना बताया गया,जिसके बाद पुलिस ने अपनी हिरासत से बड़े पुत्र सुरेंद्र को छोड़ दिया,वहीं परिवार के अन्य सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सुरेंद्र एलआईसी में एजेन्ट है और एक माह पूर्व उसने अपने पिता का म्रत्यु के बाद 50 लाख रुपये मिलने वाला बीमा कराया था,जिसमे वह खुद नॉमिनी है,5 दिन पूर्व कराई गई वसीयत में मुख्य सम्पत्ति में वह खुद बारिश है,व अन्य सम्पत्ति में बराबर का हकदार है,जिसे परिवार दबाव में की गयी वसीयत बता रहा है,और म्रतक रामौतार प्रजापति के पुनः पोस्टमार्टम कराने के लिए जिलाधिकारी से मिलने की बात कह रहा है,लेकिन इस लालची और कमज़र्फ दुनिया से जाने पहले रामौतार ने कभी नही सोचा होगा कि उनके अपने ही उनकी लाश की ऐसी छीछालेदर करेंगें,इस भीषण विपदा कोरोना काल मे हर तीसरे व्यक्ति ने किसी अपने को खोया है,एग्रीकल्चर विभाग में सरकारी कर्मचारी रहे रामौतार प्रजापति की आत्मा अगर यह सब देख रही होगी तो निश्चय ही सोच रही होगी अगर असमय मृत्यु होनी ही थी तो कोरोना काल मे ही हो जाती कम से कम परिवार को दिए बिना शव का अंतिम संस्कार तो प्रसाशन कर ही देता,लालच और बदनीयती से लबरेज उनकी औलाद उनके शव को दरवाजे और सड़क पर रखकर तमाशा तो ना बना पाती।
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