सिद्धार्थनगर : गैस की बढ़ती कीमतों से ‘ठिकाने’ लगी उज्ज्वला योजना, शोपीस बने गैस सिलेंडर, धुएंदार चूल्हों की तरफ लौटे लोग – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

सिद्धार्थनगर : गैस की बढ़ती कीमतों से ‘ठिकाने’ लगी उज्ज्वला योजना, शोपीस बने गैस सिलेंडर, धुएंदार चूल्हों की तरफ लौटे लोग

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983

सिद्धार्थनगर : (मुकेश गौतम – ब्यूरो रिपोर्ट )


सिद्धार्थनगर : गैस की बढ़ती कीमतों से ‘ठिकाने’ लगी उज्ज्वला योजना, शोपीस बने गैस सिलेंडर, धुएंदार चूल्हों की तरफ लौटे लोग

रसोंई गैस की बढ़ती कीमतों से जिले में “ठिकाने” लग गयी है उज्ज्वला योजना।शो पीस बनकर रह गये गैस सिलेंडर।लोग अब धुंए दार चूल्हे पर लकड़ी से खाना पकाने की तरफ लौट रहे हैं।जिले में अब तक भारत पेट्रोलियम के 16हजार 281,हिन्दुस्तान पेट्रोलियम 77 हजार 830 इंडियन के 71 हजार 683 सहित कुल 1 लाख 65 हजार से अधिक उज्ज्वला योजना के लाभार्थी है।लेकिन हजारों की संख्या में लाभार्थियों ने रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमत देख चूल्हें पर ही खाना पका रहे है। गरीब परिवारों को चूल्हा फूंकने से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत निःशुल्क गैस कनेक्शन के तहत सिलेंडर और स्टोव दिया था लेकिन एलपीजी गैस की बढ़ती कीमतों से लोग सिलेंडर को रिफिल करने से कतरा रहे हैं।बीजेपी जब केंद्र में आई थी तो केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया गया था। इसके बाद योजना के तहत गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिया गया।जब उज्ज्वला योजना शुरू हुई थी तब घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 550 रुपये थी और लगभग 200 से 250 सब्सिडी आता था। अब रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 909 रुपये है और सब्सिडी 62 रुपए मिल रही है। ऐसे में गरीब परिवारों को रीफिल कराना मुश्किल हो गया है।क्या कह रहे हैं लाभार्थी।भनवापुर ब्लाक क्षेत्र के सेमरा बनकसिया गांव निवासी उर्मिला ने कहा कि जब सरकार ने गैसों सिलेंडर दिया था उस समय गैसों की कम कीमत थी तो मेहनत मजदूरी कर गैस का रिफिल करवा देते थे।करीब छ: माह से चूल्हे पर लकड़ी से खाना पका रही हूं।भनवापुर ब्लाक क्षेत्र के डिवलीडीहा मिश्र गांव निवासी सुनरपाती का कहना है कि वे रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं। रसोई गैस सिलेंडर का मूल्य बढ़ गया है, जिसे हम लोग रीफिल नहीं करा सकते। इससे अच्छा है कि चूल्हे पर ही खाना पकाकर खा लें।डिवलीडीहा मिश्र गांव निवासी झिनका देवी ने कहा कि हम मजदूर दार है।मेहनत मजदूरी के एवज में जो मिलता तो उससेे पहले दाल,नमक सब्ज़ी आदि का इंतजाम करें जिससे पेट भरना है।खानें की सामग्री है तो चूल्हे पर भी पका कर खा सकते है,महगाई के कारण गैसों का रिफिल नहींं करा पा रही।

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