मथुरा *:* 22 जुलाई– राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्मदिन – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

मथुरा *:* 22 जुलाई– राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्मदिन

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
मथुरा *:* ( महेश प्रसाद भारती – ब्यूरो रिपोर्ट )


मथुरा *:* 22 जुलाई– राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्मदिन
22 जुलाई– राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का जन्मदिन हमारे देश की शान है तिरंगा झंडा। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक तिरंगे की कहानी में कई रोचक मोड़ आए। पहले उसका स्वरूप कुछ और था और आज कुछ और है। आज हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडे का जन्मदिन है, लेकिन बहुत ही कम लोगों को अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में पूरी जानकारी है। आइए जानते हैं हमारे देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 में वर्तमान तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया। जिसमें तीन रंग थे। ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंगा। सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग से बना था अशोक चक्र जिसमें चौबीस तीलियां थीं जो धर्म और कानून का प्रतिनिधित्व करती थीं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का वही स्वरूप आज भी मौजूद है। सन्‌ 1921 में गांधी जी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के लिए इस झंडे की पेशकश की गई।सबसे पहले देश के राष्ट्रीय ध्वज की पेशकश 1921 में महात्मा गांधी ने की थी। जिसमें बापू ने दो रंग के झंडे को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की बात कही थी। इस झंडे को मछलीपट्टनम के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। दो रंगों में लाल रंग हिन्दू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का तिनिधित्व करता था। बीच में गांधी जी का चरखा था, जो इस बात का प्रमाण था कि भारत का झंडा अपने देश में बने कपड़े से बना। सन्‌ 1931 में कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के लिए पारित स्वराज झंडा। इसके बाद स्वतंत्रता के आंदोलन के अंतर्गत खिलाफत आंदोलन में तीन रंगों के स्वराज झंडे का प्रयोग किया गया। खिलाफत आंदोलन में मोतीलाल नेहरू ने इस झंडे को थामा और बाद में कांग्रेस ने 1931 में स्वराज झंडे को ही राष्ट्रीय ध्वज की स्वीकृति दी। स्वराज झंडे पर आधारित तिरंगे झंडे के नियम-कानून फ्लैग कोड ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए। जिसमें निर्धारित था कि झंडे का प्रयोग केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही किया जाएगा। जिसमें ऊपर केसरिया बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था। साथ ही बीच में नीले रंग से चरखा बना हुआ था। सन्‌ 1947 से वर्तमान तिरंगा ध्वज को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया। इसके बाद 2002 में नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जिसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिए कि अन्य दिनों में भी झंडे का प्रयोग नियंत्रित रूप में हो सकता है। इसके बाद 2005 में जो सुधार हुआ, उसके अंतर्गत कुछ परिधानों में भी तिरंगे झंडे का प्रयोग किया जा सकता है। भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधान के अनुरूप नागरिकों एवं बच्चों से शासन की अपील है कि वे केवल कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज का ही उपयोग करें। साथ ही कागज के झंडों को समारोह संपन्न होने के बाद न विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप ही किया जाना चाहिए।


महेश प्रसाद भारती
बहुजन इंडिया 24 न्यूज़
तहसील रिपोर्टर उतरौला बलरामपुर

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