बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया” का 9वीं राष्ट्रीय चार दिवसीय सत्र एवं बुद्ध धम्म दीक्षा समारोह सम्पन्न
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बुध्दगया बिहार : (मुकेश भारती – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक- 05 – नवंबर – 2021-शुक्रवार ।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया की कार्यवाही एक्शन रिपोर्ट
👉 बौध्दो से आग्रह है कि इस रिपोर्ट को पूरा पढ़ें एवं मनन करें कि बौद्धों को जमीनी स्तर पर क्या करना चाहिए?🌷🌷🌷🌷🌷
बुद्ध विहारा प्रबन्धन एक्ट एवं बुद्धिस्ट मैरिज एक्ट बनाये जाने को लेकर “9वींराष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद” में प्रस्ताव पारित🙏🙏🙏🙏🙏
बौद्धो की संवैधानिक एवं राष्ट्रीय समस्याओं को लेकर ” 9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया” का चार दिवसीय सत्र एवं बुद्ध धम्म दीक्षा समारोह सम्पन्न
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9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया-2021 का सत्र प्रारंभ होने से पहले 24 अक्टूबर 2021 की शाम 5:00 बजे “बुद्ध धम्म दीक्षा समारोह” का आयोजन पूज्य भिक्खु डां. यू. सन्दामुनि महाथेरो अध्यक्ष -इंटरनेशनल बुद्धिस्ट काउंसिल एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के सानिध्य में आयोजित किया गया।
बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9336114041 )
आज के इस ऐतिहासिक दिन के पावन अवसर पर भारतीय संविधान के अनुसार संवैधानिक एवं विधि सम्मत भारतीय बौद्धों के लिए प्रमाण-पत्रों को भारत में पहली बार “बौद्ध अल्पसंख्यक धम्म दीक्षा प्रमाण- पत्र” एवं “सर्टिफिकेट आफ बुद्धिस्ट मैरिज” तथा जन्म से बौद्ध परिवारों के बच्चों के लिए Buddhist by birth and belongs to a Minority Community in India के लिए Certificate of Buddhist Identification जारी किया गया।
आज के इस पावन अवसर पर बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के राष्ट्रीय सलाहकार आयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध ने बोधिसत्व बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रतिपादित 22 प्रतिज्ञाओं को पढ़कर 65 बुद्ध धम्म की दीक्षा लेने वाले दिक्षार्थियों को संकल्पित करवाया और सभी दिक्षार्थियों ने पूज्य भिक्खु डॉ.यू.सन्दामुनि महाथेरो जी से बुद्ध धम्म की दीक्षा, त्रिशरण, पंचशील ग्रहण किया। तत्पश्चात सभी दिक्षार्थियों को “बौद्ध अल्पसंख्यक धम्मदीक्षा प्रमाण- पत्र” प्रदान किया गया।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,भारत के मुख्यालय -महाबोधि मेडिटेशन सेंटर, बुध्दगया में पूज्य भिक्खु डां० यू.संदामुनि महाथेरो की अध्यक्षता में “9वी. राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया” का चार दिवसीय सत्र का सफल आयोजन किया गया।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद के मुख्य अतिथि विश्व शांति नायक, अभिध्वजा महारथागुरु, पूज्य भदन्त ए.बी.ज्ञानेश्वर महाथेरो, अध्यक्ष- कुशीनगर भिक्खु संघ के द्वारा दीप प्रज्वलित कर देश के कोने-कोने से आए बौद्ध प्रतिनिधियों को त्रिशरण -पंचशील देकर “9 वी राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद का शुभारंभ किया गया गया ।
पूज्य भदन्त ए.बी.ज्ञानेश्ववर महाथेरो जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि विश्व के सभी मनुष्यों को आपसी समन्वय, मैत्री, भाईचारा, प्रेम सदभावना, बनाये रखने से ही विश्व शांति कायम रहेगी। हमें विश्व शांति के लिए तथागत बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करना होगा।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,भारत के राष्ट्रीय सलाहकार आयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध ने “9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया” में पधारे मुख्य अतिथि विश्व शांति नायक, अभिध्वजा महारथागुरु पूज्य भदन्त ए .बी. ज्ञानेश्वर महाथेरो अध्यक्ष- कुशीनगर भिक्षु संघ का पंचशील बैच लगाकर सम्मानित किया।धम्म संसद के विशेष अतिथि पूज्य भिक्खु प्रज्ञादीप महाथेरो जी महासचिव- अखिल भारतीय भिक्खु संघ का पंचशील बैज लगाकर सम्मानित किया। ऑल इंडिया भिक्खु महासंघ के सदस्य भिक्खु सत्यानंद महाथेरो का भी पंचशील बैच लगाकर सम्मानित किया। अशोका बुद्ध विहार बुध्दगया के भिक्खु इंचार्ज- भिक्खु अशोक वंश का भी पंचशील बैच लगाकर सम्मानित किया,। धम्म संसद में पधारे सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत करते हुए आयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध ने स्वागत संबोधन किया।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया के पावन अवसर पर भारत में बुद्ध धम्म का प्रचार- प्रसार करने, विज्ञान ,कला, बुद्ध साहित्य में लेखन करने, बुद्ध विहार का निर्माण एवं संचालन करने, प्राचीन बौद्ध तीर्थ स्थलों, स्मारकों का सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने, रोगियों का उपचार करने, ध्यान केंद्र की स्थापना एम संचालन करने वाले भारत के पांच प्रतिभाओं को “प्रियदर्शी अशोक सम्मान- 2021” विश्व शांति नायक, अभिध्वजा महारथागुरु पूज्य भदन्त ए.बी. ज्ञानेश्वर महाथेरो, अध्यक्ष- कुशीनगर भिक्खु संघ एवं म्यांमार बुद्ध विहार कुशीनगर उत्तर प्रदेश के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया।
धम्म संसद के विशेष अतिथि भदन्त प्रज्ञादीप महाथेरो, महासचिव-आल इन्डिया भिक्खु संघ ने अपने संदेश में कहा कि भारत के सभी लोगों को एकजुट होकर “बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत” के साथ सहयोग करना चाहिए।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के राष्ट्रीय समन्वयक आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धों की राष्ट्रीय एकता, समन्वय एवं संवैधानिक समस्याओं के उन्मूलन को लेकर किये जा रहे धम्म कार्य अत्यंत सराहनीय है।9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया की सफलता के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई देता हूं, सभी के लिए मंगल कामना करता हूं,सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया में भाग लेने वाले विभिन्न बौद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों ने बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के साथ एकजुट होकर भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बुध्दगया के महाबोधि मेडिटेशन सेंटर के धम्मा हाल में आयोजित “9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद में “बुद्धगया घोषणा” को आज 25 अक्टूबर 2021 को अनुमोदन करते हुए स्वीकार किया।
बुद्धगया घोषणा की शपथ बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के राष्ट्रीय महासचिव आयुष्मान जे .एल. शक्ति राजन बौद्ध के द्वारा राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद के सभी सदस्यों को 10 सूत्रीय शपथ दिलाई गई।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद का प्रस्तावना सम्बोधन एवं 22 सूत्रीय एजेंडा कार्यवाही का संचालन “बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,भारत” के राष्ट्रीय समन्वयक एवं संगठक आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध ने किया।
अभय रत्न बौद्ध ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के 74 वर्षों में भारतीय बौद्धों के साथ निरंतर भेदभाव किया जा रहा है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (1) में “धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार” के तहत भारत के नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने,आचरण करने का अधिकार दिया गया है किंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के उपखंड (ख )के भाग- 2 की व्याख्या में सिक्खों, जैनियों एवं बौध्दो को हिंदू धर्म के साथ समावेश किया गया है । यही मिलावट एवं घालमेल बौद्धों की गुलामी का प्रतीक है और बौद्धों की स्वतंत्र संवैधानिक पहचान में बाधा है। जबकि 3 मार्च 2002 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री वेंकटचलैया जी की अध्यक्षता वाले “संविधान समीक्षा आयोग” ने संविधान के अनुच्छेद 25 के उपखंड (ख) भाग-2 से बौद्धों, सिक्खों एवं जैनियों को हटाने की सिफारिश की है।
भारत की सबसे पुरानी बुद्ध कालीन “पालि भाषा” को अभी तक संविधान की आठवीं सूची में शामिल नहीं किया गया और भारत सरकार ने एक साजिश के तहत पालि भाषा को ‘संघ लोक सेवा आयोग’ से विगत वर्षों में हटा दिया गया, जबकि पालि भाषा का पठन-पाठन देश भर के 55 विश्वविद्यालयों मे देशी- विदेशी शोधार्थियों द्वारा पालि भाषा में शोध कार्य किया जाता है।
बौद्धों के विवाह मान्यता कानून को लेकर 13 मार्च 1981 को तत्कालीन संसद राज्य सभा श्री एस.डब्लू ढाबे नागपुर के द्वारा “बुद्धिस्ट मैरिज बिल नंबर – 11आफ 1981” विधेयक के रुप में राज्यसभा में पेश किया गया था । जिस पर 17 अगस्त 1984 एवं 18 जनवरी 1985 को बहस के लिए संसद में लाया गया था। संसदीय बहस के जवाब में तत्कालीन कानून मंत्री श्री हंसराज भारद्वाज ने राज्यसभा में आश्वासन दिया था कि माननीय सांसद एस. डब्ल्यू. ढाबे उक्त बिल को वापस ले लें, तो! सरकार बौद्धों के लिए बौद्ध विवाह मान्यता कानून को संसद में लेकर आएगी, किन्तु भारत सरकार आज तक बौद्धों को धोखा देती आ रही है और “बौद्ध विवाह मान्यता कानून को अभी तक भारतीय संसद से पारित नहीं किया गया। बौद्धों को हिंदू मैरिज एक्ट -1955 में ही रखा गया है।जबकि भारत के सिक्खों का विवाह कानून “आनंद मैरिज एक्ट” को 7 जून 2012 में विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार ने कानूनी मान्यता दे दी है।
भारतीय संविधान निर्माता बोधिसत्व डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले, आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव जीतने वाले विधायकों एवं सांसदों ने, बौद्ध एवं अंबेडकरी संस्थाओं के मठाधीशों ने आज-तक भारत में रहने वाले बोधिसत्व डॉ.अम्बेडकर अनुयायियों एवं भारतीय बौद्धों की संवैधानिक समस्याओं का समाधान करने-कराने का प्रयास नहीं किया। सभी के सभी आसंवेदनशील बने हुए हैं। आपसी गुटबाजी, अहंकार के चलते “बौद्धों का विवाह मान्यता कानून-1981” से भारत की संसद में धूल चाट रहा है। बौद्ध शादियों को देश की न्यायपालिका ने गैरकानूनी करार दिया है।
Report of Maharashtra State law Commission-1978 के अनुसार दैनिक लोकमत मराठी समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ और Buddhist law Association president Mr.K.V. Umre Advocate के द्वारा दिनांक 12 फरवरी 1981 को तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत सरकार को दिये गये ज्ञापन पत्र में भी कहा गया कि *Buddhist rites & ceremonies and the children born out of such wedlock as the judgement pronounced in above referred criminal appeal No. 29 of 1970 between Shakuntala Versus Neelkanth the High Court of judicature at Bombay held that the marriage performed according to Buddhist rites and ceremonies is no valid message in eyes of law and the Maharashtra State law Commission Bombay in its 9th Report observed that “the Buddhists married women is not legal housewife.i.e. Dharampatni but she is a kept(Rakhel) and her progeny is illigitimate”
इसलिए “9 वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया में सर्वसम्मति से तय किया गया है कि यदि भारत सरकार ने बौद्धों के विवाह मान्यता कानून को भारतीय संसद से पारित कर बौद्धों के साथ किए जा रहे भेदभाव को समाप्त नहीं किया तो! बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत, “यूनियन ऑफ इंडिया” के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेगी।
भारत में गुरुद्वारों,चर्चो, मुस्लिम वक्फ संपत्तियों, हिन्दू मन्दिरों का अपना प्रबंधन कानून है किंतु बौद्धो के धम्म स्थलों “बुद्ध विहारों ” का कोई कानून भारत में नहीं है। भारत में बौद्धों के धर्मस्थल “बुद्ध विहार” को आज भी मंदिर एवं टेंपल कहा जाता है और और लिखा जाता है।
आजादी के 74 सालों में पूर्व राज्यसभा सांसद एस.डब्ल्यू. ढाबे को छोड़कर बोधिसत्व बाबा साहेब अंबेडकर का नाम लेने वाले एवं रिजर्व सीटों से चुनाव जीतने वाले किसी भी विधायक एवं सांसद ने अभी तक विधानसभा, राज्यसभा एवं लोकसभा में बौद्धों के संवैधानिक अधिकारों को लेकर आवाज नहीं उठाई है।
भारत में बुद्ध विहार बनाना आसान है किंतु दीर्घकाल तक बौद्ध धम्म विरोधी तत्वों से बचाना, संरक्षित करना असंभव है क्योंकि आपने इतिहास में पढ़ा और एवं सुना है कि भारत के चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान शक्तिशाली राजा थे। अशोक महान के द्वारा बनाए गए 84000 बुद्ध विहारों को अतिक्रमणकारियों से हमारे पूर्वज नहीं बचा पाए, उनमें से अधिकांश को नष्ट कर दिया गया और कुछ पर बलपूर्वक बौद्ध धम्म विरोधी तत्वों ने जबरन कब्जा कर लिया।
यदि भविष्य में दरगाह एक्ट एवं गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट की तर्ज पर “बुद्ध विहारा प्रबंधन एक्ट” बनाकर आने वाली पीढ़ी को हम नहीं दे पाए तो! आगे भी पुनः भारत में बुद्ध विहारों के ऊपर हमला एवं गैर कानूनी कब्जा एवं अतिक्रमण होने की पूरी संभावना रहेगी।
इसलिए बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत, की कार्यसमिति ने “9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया” में सर्वसम्मति तय किया गया है कि “गुरुद्वारा प्रबंधक एक्ट एवं दरगाह एक्ट” की तरह “बुद्ध विहारा मैनेजमेंट एक्ट” बनाकर भारत सरकार एवं लोकसभा व राज्यसभा की याचिका समिति में “बुद्ध विहारा मैनैजमेंट एक्ट” कानून बनाने के लिए “प्रारुप याचिका” भेजी जाए।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद के प्रमुख प्रवक्ताओं में भिक्खु बुद्धघोष बोधी,अध्यक्ष- बौद्ध समाज संरक्षण संवर्धन संघ रायपुर छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय सलाहकार रमेश बैंकर बौद्ध अहमदाबाद गुजरात, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट आर.आर.गौतम सेक्रेटरी जनरल नई दिल्ली,जे.एल.शक्तीराजन राष्ट्रीय महासचिव बस्ती उत्तर प्रदेश, प्रोफेसर सुमेधा धानी बौद्ध महाऋषि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक हरियाणा, रेखा भगत वर्धा महाराष्ट्र, इंजीनियर प्रज्ञामित्र बौद्ध जयपुर राजस्थान, डां.शैलेश कुमार बौद्ध नौगढ़ महाराज गंज उत्तर प्रदेश के अलावा अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ कार्य समिति के सदस्य भिक्खु सत्यानंद महाथेरो, एवं बुध्दगया से भिक्खु अशोक वंश, नेपाल से चेत बहादुर, एवं उपासिका डोंगोल शर्मीला, ट्रेगर मॉनेस्ट्री बुध्दगया से यशे लामा,उरुवेला प्रागबोधि गया से भिक्खु ज्ञान ज्योति महाथेरो,भिक्खु प्रज्ञानन्दा,भिक्खु कुशलान्दा, भिक्खु रठ्ठपाल, थाईलैन्ड से उपासिका कनोकुन, जम्मू एंड कश्मीर से शेटन पल्जोर, हिमाचल प्रदेश से गावंग गेलेक्क मुख्य रुप से शामिल थे।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया में भारत के प्रमुख राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, असम पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों से आए बौद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों, बौद्ध विद्वानों एवं पूज्य भिक्खु संघ ने हिस्सा लिया।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद में शामिल सदस्यों को अपनी राय रखने एवं प्रश्नोत्तर काल में सवाल उठाने का मौका दिया गया । सभी सदस्यों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धर्म संसद बुधदगया में बौद्धों के संवैधानिक अधिकारों एवं राष्ट्रीय समस्याओं के उन्मूलन तथा भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बुध्दगया, भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, उपदेश स्थली श्रावस्ती,अभिधम्मा उपदेश स्थली संकिसा फरुखाबाद, बाल्यकाल जीवन स्थली कपिलवस्तु एवं तपोस्थली उरुवेला प्रागबोधि गया, दीक्षाभूमि नागपुर, बोधिसत्व डॉ अंबेडकर की जन्मस्थली महू स्मारक इंदौर, बुद्ध भूमि सिरपुर महासमुंद छत्तीसगढ़ आदि तीर्थ स्थलों का विकास एवं सौन्दर्यीकरण कराने, अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार बुध्दगया को स्मार्ट सिटी बनाने, गया जंक्शन से चतरा वाया बुध्दगया रेल मार्ग का निर्माण अभिलंब कराने, बुद्ध कालीन प्राचीन भारतीय पालिभाषा को संघ लोक सेवा आयोग एवं भारतीय संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने, भारत के सभी राज्यों में राज्य अल्पसंख्यक आयोगो का गठन और उनमें बौद्ध सदस्य की नियुक्ति करने तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को सशक्त बनाने, भारतीय संविधान की धारा 25 के उपखंड (ब) भाग -2 में संशोधन कर बौद्धों को स्वतंत्र संवैधानिक पहचान देने, बुद्ध विहारा प्रबन्धन एक्ट एवं बुद्धिस्ट मैरिज एक्ट बनाने को लेकर 9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद में प्रस्ताव पारित किये गये और सभी पारित प्रस्तावों को भारत सरकार एवं राज्य सरकारों तथा भारतीय संसद की याचिका समिति, विधि आयोग नई दिल्ली को भेजा जाएगा।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद मे विशेषकर बुद्धगया को स्मार्ट पर्यटक सिटी बनाने, विकास एवं सौंदर्यीकरण कराने एवं महाबोधि महाविहार बुध्दगया के पीछे “गौतम वन पुरातत्व परिसर” ताराडीह की खाली पड़ी अरबों रुपयों की जमीन पर भू अतिक्रमण को रोकने को लेकर जिला प्रशासन एवं बिहार सरकार के संज्ञान में लाने अथवा पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका करने को लेकर “9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया” के सत्र मे विशेष चर्चा एवं प्रस्ताव पारित किया गया।
“9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया” में बुद्धगया मॉनेस्ट्री क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण (लाउडस्पीकर) के शोर को रोकने, विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार के ऊपर एवं आसपास हवाई जहाज एवं ड्रोन कैमरे देखे जाते हैं इसलिए सुरक्षा की द्रष्टि से महाबोधि महाविहार के ऊपर से फ्लाइट एवं ड्रोन कैमरा का उड़ना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाना, बुध्दगया की सड़कों के किनारे “दिल्ली की तरह” मॉडर्न मिनी टॉयलेट लेडीज एंड जेंट्स के लिये निर्माण देशी- विदेशी पर्यटकों के लिए कराया जाए, जोकि निशुल्क संचालित किया जाए तथा प्रत्येक “मॉडर्न मिनी टॉयलेट” पर राज्य पर्यटन विभाग या जिला प्रशासन,अथवा नगर पालिका बुध्दगया द्वारा सफाई सुरक्षाकर्मी नियुक्त किया जाए और बुध्दगया के जो जन- सुविधा परिसर खस्ताहाल बंद पड़े हैं उन्हें भी पुन: संचालित किया जाए। बुध्दगया मोनेस्ट्री क्षेत्र का “डेवलपमेंट प्लान” बनाकर सभी मॉनेस्ट्रीज के सामने सड़कों, गलियों, गंदा पानी निकासी नालियों का निर्माण कराए जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया।
बुद्धगया की मुख्य सड़क दुमाहन से नोड-1 सुजाता वाईपास रोड राजापुर वाया बकरोर सुजातागढ होकर रत्ती विगहा नदी पुल से “उरुबेला फारेस्ट प्रागबोधि गया”(डूंगेश्वरी) को जाने वाली सड़क का चौड़ीकरण करवा कर फोरलेन में बनाया जाए।
बुद्धगया की सड़कों के दोनों और वृक्षारोपण का करना एवं गंदा पानी निकासी नालियों का निर्माण कराना, खुले नाले- नालियों को ढकवाना, बुध्दगया के सीवरेज सिस्टम को चालू करवाना, स्ट्रीट लाइट सभी गलियों में सुरक्षा की दृष्टि से लगवाना तथा प्रागबोधि उरुवेला सहित अन्य चिन्हित स्थानों पर “पुलिस चौकी” स्थापित करना और बुध्दगया मॉनेस्ट्री क्षेत्र में बकरा,मुर्गा,मांस,मछली की कटाई एवं बिक्री को प्रतिबंधित करना क्योंकि विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार के आसपास खुलेआम बकरा मुर्गा की कटाई से भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली पर आने वाले देशी- विदेशी पर्यटकों एवं बौद्ध श्रद्धालुओं के मन में भारत के प्रति गलत संदेश जाता है, इसलिए बकरा मुर्गा मछली मांस कटाई एवं विक्री को को रोकने तथा मुर्गा बकरा मांस मछली की बिक्री को बुद्धगया मॉनेस्ट्री शेत्र से पांच किलोमीटर दूरी पर विस्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार के पीछे गांव ताराडीह जिसका पुनर्वास कर दिया गया है और यहां के निवासियों को न्यू ताराडीह (बादलपुर गांव) बुध्दगया में बसाया गया है। बुद्धगया के गांव ताराडीह उत्खनन स्थल परअशोक कालीन विश्वविद्यालय, सघांराम बुध्द विहार एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्खनन में निकले अवशेषों जिन्हें बुध्दगया के संग्रहालय में रखा गया है। उत्खनन स्थल गांव ताराडीह की जमीन का नामकरण करके”गौतम वन पुरातत्व परिसर” सरकार द्वारा रखा गया खाली पड़ी अरबों रुपयों की सरकारी जमीन पर असामाजिक तत्वों द्वारा किए जा रहे भू अतिक्रमण को रोकने एवं “गौतम वन पुरातत्व परिसर का सौंदर्यीकरण करने हेतु बिहार सरकार एवं गया प्रशासन से पुनः आग्रह है कि तत्काल कार्यवाही करें।
सभापति श्रद्धेय भिक्खु डां० यू. संन्दामुनि महाथेरो जी ने बुध्दगया आने वाले देशी – विदेशी पर्यटकों एवं बुध्दगया के आम नागरिकों की जीवन सुरक्षा एवं सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त “सुपर स्पेशलिटी अस्पताल” का निर्माण बिहार सरकार द्वारा कराए जाने का प्रस्ताव रखा।
धम्म संसद में अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ कार्य समिति के सदस्य भिक्खु सत्यानंद महाथेरो जी ने प्रस्ताव रखा कि बुद्धगया के सभी बुद्ध विहारों (मॉनेस्ट्रियो) से बिजली विभाग कमर्शियल बिल वसूल करता है और आर्थिक उत्पीड़न करता है ,जबकि देश में अन्य धर्मों के धर्म स्थलों के साथ ऐसा उत्पीड़न नहीं होता है किंतु बुद्धगया में बौद्धो के साथ खुला भेदभाव एवं आर्थिक उत्पीड़न होता है। अतः 9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया ने सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा है कि बिहार सरकार एवं विद्युत विभाग बौद्ध भिक्खुओं एवं बौद्ध मॉनेस्ट्रिओं से सामान्य बिल वसूल करें अथवा बिहार सरकार, दान का जीवन जीने वाले बौद्ध भिक्खुओं को सब्सिडी प्रदान करें।
वर्ष 2014-15 से बुध्दगया में विशाल वातानुकूलित सभागार कन्वेंशन सेंटर एवं अथिति ग्रह का निर्माण कराये जाने की मांग को लेकर वर्ष 2015 में बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर “चार दिवसीय सामूहिक धरना एवं प्रदर्शन बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के तत्वाधान में किया गया था और श्री नीतीश कुमार जी मुख्यमंत्री बिहार सरकार को “13 सूत्रीय मांग पत्र ज्ञापन” बोधि वृक्ष के नीचे सौंपा गया था। 13 सूत्रीय मांग पत्र की मुख्य मांग 13 एकड़ में बनने वाले लगभग 150 करोड़ की लागत से महाबोधि कन्वेंशन सेंटर का निर्माण वर्ष 2021 के अंत तक पूरा होने जा रहा है।
इसी तरह विश्व शांति नायक, अभिध्वजा महारथागुरु पूज्य भदन्त ज्ञानेश्वर महाथेरो जी के सानिध्य में वर्ष 2013-14 से बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के अथक प्रयासों से गोरखपुर जंक्शन से कुशीनगर संपर्क रेल मार्ग बनाए जाने को लेकर किए गए प्रयासों के फलस्वरुप नई लाइन बिछाने सर्वे का कार्य 2017-18 में पूरा हो गया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR)जिसकी लागत लगभग रुपए 1476.15 करोड़ है। कुशीनगर से गोरखपुर बारास्ता 1-पड़रौना 2- पथरदेवा 3- कुशीनगर 4- हैतिमपुर 5- हाटा 6- रामपुर सोहरौना 7- बेन्चरा 8- सरदार नगर रेलवे स्टेशन होंगे। हमारा प्रयास कुशीनगर को भटनी रेलवे जंक्शन से जोड़ने का है, जिसके लिए रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय, भारत सरकार के अधिकारियों से निरंतर समन्वय एवं पत्र व्यवहार जारी है।
कुशीनगर हवाई पट्टी जो अंग्रेजी हुकूमत के समय वर्ष 1946 में ही विकसित हो गई थी किंतु बड़ा एयरपोर्ट बनाने की कल्पना वर्ष 2010 में सुश्री मायावती तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा बनाई गई किन्तु सरकारें बदलने,फन्ड के अभाव में कुशीनगर हवाई अड्डा संचालित होने में बाधाएं आती रही।
कुशीनगर के गौरव, विश्व शांति नायक अभिध्वजा, महारथागुरु पूज्य भदन्त ए.बी.ज्ञानेश्वर महाथेरो जी के सानिध्य में वर्ष 2013-14 से बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत ने निरंतर पत्र व्यवहार के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार के संज्ञान में लाने का परिणाम है कि लगभग 260 करोड रुपए खर्च करके उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 589 एकड़ भूमि पर विशाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण किया गया और दिनांक 20 अक्टूबर, 2021 को भारत के प्रधानमंत्री ने कुशीनगर जाकर उद्घाटन किया और भगवान बुद्ध को नमन किया।
Ministry of Tourism under the scheme has sanctioned the Project Development of Buddhist Circuit- Srawasti, Kushinagar,and Kapilvastu in Uttar Pradesh for Rs.99.97 Crores in the year 2016-17.
The major components taken up for development at Srawasti includes Sel Show, Buddha Theme Park, Tourist Facilitation Center, Parking with Modern Toilet, and Waiting Area,Watch Tower, Beautification of WORLD PEACE BELL, Signage, Solar lighting, Waste Management, CCTV and Wi- Fi for Rs.3.53 Crores.।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के द्वारा 8 जून 2012 से किए जा रहे अथक प्रयासों के फलस्वरूप फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग 82 “गया से राजगीर नालंदा को जाने वाला” लगभग 90 प्रतिशत बनकर तैयार है। विश्व भर से आने वाले बौद्ध तीर्थ यात्रियों को इसका लाभ मिलेगा और यात्रा सुगम होगी।
हम श्री नितिन जयराम गडकरी, माननीय मंत्री, सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग भारत सरकार का साधुवाद करते हैं।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के द्वारा वर्ष 2015-16 से निरंतर किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की पूर्व सदस्या एडवोकेट सुलेखाताई कुम्भारे जी के सहयोग से भगवान बुद्ध की तपोस्थली उरुवेला प्रागबोधि (डुंगेश्वरी) से 8 किलोमीटर सीधी सड़क का निर्माण एवं निरंजना नदी पर नए सड़क पुल का निर्माण कार्य “प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना” फन्ड से कराए जाने पर पी.एम.ओ. के संबंधित अधिकारियों एवं गया जिला प्रशासन का साधुवाद ,धन्यवाद करते हैं।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत के अथक प्रयासों से विश्व के सबसे ऊंचे केसरिया बौद्ध स्तूप पूर्वी चंपारण की सुरक्षा, संरक्षण एवं बौद्ध तीर्थ यात्रियों के लिए जन सुविधा परिसर एवं गेस्ट हाउस का निर्माण कार्य बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम, बिहार सरकार द्वारा किया जा रहा है। हम बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री एवं मुख्यमंत्री का साधुवाद करते हैं।
हम बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,भारत के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का हार्दिक आभार प्रकट करते हैं और अपेक्षा करते हैं कि बुद्धगया को “स्मार्ट पर्यटक सिटी” बनाने के लिए हमारी अन्य मांगों पर भी ध्यान देकर संज्ञान में लेंगे।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया के चौथे दिन प्रथम सत्र से पूर्व प्रातः 7:00 बजे से पूज्य भिक्खु डां. यू.सन्दामुनी महाथेरो जी के सानिध्य में एवंआयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध सलाहकार- राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया के संयोजन में “पंचशील धम्म यात्रा यात्रा” महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया से भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार तक निकाली गई।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया में शामिल बौद्ध भिक्खुओं एवं प्रतिनिधियों ने अपने हाथों में पंचशील ध्वज लेकर बुद्धम शरणं गच्छामि 🌹🌹🌹, धम्मं शरणं गच्छामि🌷🌷🌷, संघम शरणं गच्छामि 🪴🪴🪴का उदघोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे। महाबोधि महाविहार पहुंचकर सभी पद- यात्रियों ने पूज्य भिक्खु डां.यू. सन्दामुनी महाथेरो से त्रिशरण, पंचशील ग्रहण किया और बुद्ध पूजा, धम्म पूजा, संघ पूजा में भाग लेकर मंगल मैत्री,विश्व शांति के लिए धम्म का पाठन किया। पूज्य भिक्खु डां.यू.सन्दामुनी महाथेरो् जी ने सभी के कल्याण के लिए, विश्व शांति का संदेश दिया।
9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद सत्र के चौथे दिन “बुद्ध विहारा मैनेजमेंट एक्ट ड्राफ्टिंग कमेटी” का गठन किया गया। इस कमेटी का अध्यक्ष आयुष्मान आर.आर.गौतम एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट को बनाया गया।
इस कमेटी में आयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध अहमदाबाद, आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध नई दिल्ली, प्रज्ञा मित्र बौद्ध जयपुर, आयुष्मान राजेंद्र बापू बौद्ध मुंबई, डॉ रेखा भगत वर्धा, आयुष्मान जे .एल. शक्ति राजन बस्ती उत्तर प्रदेश, प्रोफेसर सुमेधा धानी बौद्ध रोहतक हरियाणा सभी को पदेन सदस्य बुद्ध विहारा मैनेजमेंट एक्ट ड्राफ्टिंग कमेटी में रखा गया।
समापन षत्र में सभापति पूज्य भिक्खु डां० सन्दामुनी महाथेरो जी ने विश्व शांति एवं मंगल कामना संदेश के साथ धम्म संसद में आए सभी बौद्ध प्रतिनिधियों को आपसी समन्वय बनाए रखने एवं मैत्री भाईचारे के साथ जीवन जीने का सन्देश दिया।
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के महासचिव एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट आर.आर. गौतम जी ने 9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद में शामिल सदस्यों का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद संबोधन किया।
भवतु सब्ब मंगलं 🌹🌹🌹🌹🌹
जारीकर्ता:सुशील कुमार गौतम
कार्यालय सचिव :बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत
मुख्यालय: महाबोधि मेडिटेशन सेन्टर, बुध्दगया, जिला, गया-824231(बिहार)
केंद्रीय कार्यालय:*बुद्ध कुटीर,284/सी-1, स्ट्रीट नंबर -8, नेहरू नगर, नई दिल्ली-110008
संपर्क:9899853744,9540563465:E-MAIL:argautam48@gmail.com
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