रवीश कुमार जी को आज के दिन मैगसेसे पुरस्कार से किया गया था सम्मानित
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक- मुकेश भारती :सम्पर्क सुत्र- 9161507983 )
लखीमपुर खीरी : (अजय कुमार – ब्यूरो रिपोर्ट ) : शुक्रवार 20 अगस्त 2021
रवीश की विश्वसनीता पर कोई शक नहीं निष्पक्ष पत्रकारिता करना उनका जमीर है। एनडीटीवी के रवीश कुमार और उनके लाखों करोड़ों चाहने वालों के लिए आज का दिन गर्व का दिन है। आज उन्हें मैगसेसे पुरस्कार से भी बड़ा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह उनके उत्कृष्ठ कार्य के लिए दिया गया था मैगसेसे पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में विश्वसनीयता का तमगा है । सच को दिखाना सबके बस की बात नहीं है। एक सच की वजह से दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीटीवी के एक वीडियो के आधार पर दिल्ली दंगों के आरोप में एक साल से जेल में बंद तीन निर्दोष लोगों को ज़मानत दे दी है। एनडीटीवी के वीडियो में दिखाया गया था कि तीनों आरोपी घटना के वक्त वहां नहीं थे, जहां का दावा पुलिस कर रही है, बल्कि उस समय वे किसी और जगह पर मौजूद थे। दिल्ली हाईकोर्ट के इस निर्णय से यह दिलासा भी मिलता है कि लोकतंत्र अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और बहुत कुछ है जो सरकारी नियंत्रण से परे है।
इस दौर में न्यूज़ चैनलों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता रसातल में है। रिपब्लिकन टीवी के अर्णब गोस्वामी सबसे बड़े खलनायक की तरह उभरे हैं जो सरकार से सांठ-गांठ भी रखते हैं और टीआरपी से छेड़छाड़ भी करते हैं और अपने यहां काम करने वालों को पैसा भी नहीं देते। शिखर के लिए घाटी का होना ज़रूरी है। ऊंचाई के अहसास के लिए नीचाई भी ज़रूरी है। घटियापन और नीचता के सबसे आखरी सोपान पर अर्णब गोस्वामी, जी टीवी के सुधीर चौधरी, एबीसी न्यूज़ की रुबिका लियाकत, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, दीपक चौरसिया ऐसे नाम हैं जो #पत्रकारिता को #कलंकित करने के लिए याद रखे जाएंगे। इनके घटियापन पर भी अदालत की मुहर लग चुकी है। कोरोना को लेकर इन्होंने जिस तरह की #घृणित #रिपोर्टिंग की थी, वो सदियों तक याद रखी जाएगी। अदालत ने बाद में कहा भी था कि अगर मीडिया मुसलमानों को कोरोना का जिम्मेदार नहीं बताता तो हम इस महामारी से और अच्छी तरह निपट सकते थे। बहरहाल एक तरफ वो मीडिया है जिसे गोदी मीडिया के नाम से देश पुकारता है और दूसरी तरफ रवीश कुमार हैं जिनकी विश्वसनीयता इतनी है कि कोर्ट उनके न्यूज क्लिप के आधार पर ज़मानत दे देती है। होना तो यह चाहिए कि सभी ईमानदार हों। ईमानदारी कोई अतिरिक्त गुण नहीं पत्रकारिता की पहली शर्त है। मगर तमाम चैनल जैसे एक दूसरे से स्पर्धा करते हैं कि कौन ज्यादा चाटुकार और बेईमान है। उधर अदालतों का जो हाल है, वो भी कहने की ज़रूरत नहीं है। ऐसे में अगर कोई हाईकोर्ट दिल्ली दंगों के मामले में आरोपियों को राहत देती है, तो खुशी होती है। हालांकि इसी दिल्ली में कपिल मिश्रा की गिरफ्तारी का आर्डर करने वाले जज का रातोंरात तबादला भी हुआ है, मगर अब ऐसा लगता है कि सभी चीजें सरकार के नियंत्रण में नहीं रह सकतीं। कुछ लोग हैं जो इंकार में सिर हिला सकते हैं और सवाल पूछने के लिए हाथ खड़ा कर सकते हैं। रवीश कुमार पत्रकारिता के शिखर बन गए हैं। उन्हें एक बार फिर बधाई हो।
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