जौनपुर जिला प्रशासन द्वारा न्याय न मिलने पर आमरण अनशन पर पत्रकार ने न्याय न मिलने पर विभिन्न बिंदुओं पर डीएम से मांगी जन सूचना
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र ( सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9161507983)
जौनपुर : ( संतोष कुमार – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक- 0 7 – अक्टूबर – 2021-गुरुवार ।
जौनपुर जिला प्रशासन द्वारा न्याय न मिलने पर आमरण अनशन पर पत्रकार ने न्याय न मिलने पर विभिन्न बिंदुओं पर डीएम से मांगी जन सूचना
जिला प्रशासन द्वारा न्याय न मिलने पर आमरण अनशन पर पत्रकार ने न्याय न मिलने पर विभिन्न बिंदुओं पर डीएम से मांगी जन सूचना जौनपुर- एक महीने से अधिक समय से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने कलेक्ट्रेट परिसर में आमरण अनशन पर बैठे महाराजगंज थाना क्षेत्र के सवंसा गांव निवासी पत्रकार संतोष कुमार ने प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की न्याय की उम्मीद पूरी तरह से समाप्त करके जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत कुछ बिंदुओं पर डीएम मनीष कुमार वर्मा से जन सूचना मांगी है। पत्रकार ने जिलाधिकारी द्वारा आमरण अनशन की रिसीविंग ना देने, 30 दिन आमरण अनशन दिनांक मुकदमा संख्या 120 /21, थाना महाराजगंज के दर्ज मुकदमा में गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?फर्जी मुकदमा संख्या 122 / 21 को समाप्त क्यों नहीं किया गया। 20 अगस्त 2021 की घटना का एफ आई आर क्यों नहीं दर्ज किया गया? 21 अगस्त 2021 से 19 सितंबर 2021 तक एलआईयू और इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा सभी रिपोर्ट पर आज तक क्या कार्रवाई हुई सत्यापित प्रमाणित सूचना उपलब्ध कराने की मांग की है। गौरतलब है कि दिनांक 25 जून 2021 को पुलिस अधीक्षक से ग्रामीणों द्वारा भाजपा नेता यदुवेंद्र प्रताप सिंह, सनी सिंह उर्फ गोलू सहित उनके अराजक साथियों द्वारा मारने पीटने, प्रताड़ित करने, जान से मारने की धमकी देने आदि मामलों को लेकर शिकायत की गई थी जिस के संबंध में पत्रकार द्वारा खबर लिखी गई थी जिसमें थाना अध्यक्ष महाराजगंज सहित आरोपियों ने द्वेष पूर्वक खुन्नस निकालने के लिए यदुवेंद्र प्रताप सिंह ने मिलीभगत करके अपने ही घर पर काम काज करने वाले एक नौकर से साजिश रच के फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। इसके ठीक अगले दिन 26 जून को आरोपियों के द्वारा कुचक्र रच के मारपीट कर पैर तोड़ दिया जाता है और 26 जून को ही पीड़ित पत्रकार द्वारा थाने पर प्रार्थना पत्र दिया जाता है जिस पर पत्रकार ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता यदुवेंद्र प्रताप सिंह का नाम निकालने का थाना अध्यक्ष द्वारा दबाव बनाया जा रहा था। जब पत्रकार ने उनकी नहीं सुनी तो विभिन्न धाराओं में फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए जाते हैं। पत्रकार ने विवश होकर पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई और एसपी के आदेश पर 21 दिन बाद 17 अगस्त को मुकदमा पंजीकृत किया जाता है जो मीडिया की स्वतंत्रता को समाप्त करके देश के लोकतंत्र का गला घोटने तथा प्रशासन द्वारा लोकतंत्र की हत्या करना साबित करता है। सोचने वाली अत्यंत गंभीर बात यह है कि जब पत्रकारों के साथ प्रशासन इतना अत्याचार अन्याय और उत्पीड़न कर रहा है तो आम जनमानस के ऊपर कितने जुल्मों सितम होते होंगे इसको तो पीड़ित आम जनता ही बयान कर सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को भय मुक्त बनाने का दावा करते हैं जबकि मुख्यमंत्री द्वारा विशेष वीरता पुरस्कार से सम्मानित पुलिस अधीक्षक अजय साहनी सरकार की मंशा पर लगातार पानी फेरने और पलीता लगाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। यह प्रशासन के लिए चेतावनी भरी तथा सबक सिखाने वाली बात साबित होगी कि कुछ वर्षों पहले भी पत्रकार जन सूचना आयोग द्वारा पूर्व खंड विकास अधिकारी को सूचना आयोग में तलब करवा कर ₹25000 का जुर्माना लगवाया था। जिसके परिणाम स्वरूप खंड विकास अधिकारी महाराजगंज ने अपना पल्ला झाड़ दिया था और अंततः ग्राम विकास अधिकारी को 25000 जुर्माने का भुक्तभोगी बनना पड़ा था। प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जिले के आला अधिकारी जब सूचना आयोग के कटघरे में खड़े हो गए थे तो आने वाला समय प्रशासन के लिए शुभ दिन के संकेत का सूचक नहीं हो सकता।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |