बु़द्ध के बिचार-बहुजन प्ररेणा:धर्मेन्द्र प्रकाश मित्रा
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बु़द्ध के बिचार
जीवन में मनुष्य को अच्छा विचार, अच्छा आहार, अच्छा व्यवहार करना चाहिए । इस वाणी में अमृत भी है और विष भी यदि हम मधुरता पूर्ण व्यवहार करेंगे तो लोग बात को सुनेंगे भी और सम्मान भी करेंगे। इसके लिए मनुष्य को अच्छे लोगों का संग करना और अच्छी किताबों की संगति करना चाहिए। कुछ चीजे वर्तमान समय में लाभकारी होती है लेकिन भविष्य में दूरगामी परिणाम बहुत ही कष्ट दायक सिद्ध होते है और अपने अभिमान को बचाने के लिए अपने स्वाभीमान को किसी के सामने मत झुकने दे। समय और स्थिति सब की समय समय पर बदलती रहती है केवल धैर्य का परिचय देना चाहिए।बुद्ध के बिचार की व्याख्या में भंते जी ने कहा कि भोजन की सात्विकता से मन और बुद्धि शुद्ध होती है, मनुष्य को मांस मदिरा और चोरी और लपलूसी से विरक्त रहना चाहिए। मानवता के कर्म से बड़ा कोई कर्म नही है। ये सब बातें मनुष्य को जीवन की सार्थकता प्रदान करती है। मनुष्य को मुसीबत के समय में नही, अच्छे समय में भी बुद्ध की करूणा और शील का पालन करना चाहिए और बुद्ध का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सही दिशा में विवके लगायेे बिना ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। और त्रिशरण और पंचशील से जीवन सुखमय और आन्नदित होता है। और बुद्ध की करूणा केवल उसी घर में वास करती है जिस घर में त्रिशरण और पंचशील को आत्मसात कर व्यवहारिक जीवन में अनुकरणीत किया जाता है।
लेखक व पाठक बहुजन प्ररेणा:धर्मेन्द्र प्रकाश मित्रा अध्यापक बेसिक शिक्षा परिषद जनपद लखीमपुर खीरी।
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