कोलारस : नाबालिग का चप्पलों की माला पहना कर निकाला गया जुलूस, चोरी करते हुए पकड़ा गया था – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

कोलारस : नाबालिग का चप्पलों की माला पहना कर निकाला गया जुलूस, चोरी करते हुए पकड़ा गया था

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पैसों की चोरी करते रंगे हाथों पकड़ा गया था नाबालिग, आईपीएल ओर एमपीएल खेलने का शौकीन था, हार चुका था पैसे

संवाददाता:- जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश;संजीव सुर्यवंशी :शिवपुरी जिले के कोलारस में एक नाबालिग पैसे चोरी करते हुए पकड़ा गया जिसके बाद नाबालिग का चप्पल पहना कर जुलूस निकालने का मामला सामने आया है। नाबालिग पर पड़ोसी घर से बार-बार चोरी करने का आरोप था बकौल नाबालिग उसे IPL ओर MPLखेलने का शौक था जिसे खेलने के लिए वह पड़ोसी के घर चोरी करता था।चोरी की घटना को अंजाम देने के लिए वह पड़ोसी घर में रहने वाली नाबालिग बच्ची के गले पर चाकू रख घर से रुपये चोरी करने की घटना को अंजाम देता था। आखिरकार लगातार घर में रखे पैसे घटने के बाद गृह मालिक दिनेश पाराशर ने जब चोर को पकड़ने की योजना बनाई तो दिनेश पाराशर की आंखे फटी की फटी रह गईं।

कोलारस : नाबालिग का चप्पलों की माला पहना कर निकाला गया जुलूस, चोरी करते हुए पकड़ा गया था

चोरी करने वाला और कोई नहीं पड़ोस में रहने वाला एक नाबालिग था जो उसके दुकान पर जाने के बाद घर में घुसता और पैसों को चोरी करता था। इस बीच दिनेश पाराशर की बेटी ने उसे चोरी की वारदात को अंजाम देते देख लिया था परंतु नाबालिग ने दिनेश पाराशर की 12 वर्षीय बेटी के गले पर चाकू रखकर उंसे डरा धमकाकर चुप करा दिया था।

सरपंच :पुत्र को लगी आईपीएल एमपीएल खेलने की लत, बना चोर:जिस नाबालिग पर चोरी का इल्जाम लगा है वह खनियांधाना क्षेत्र के एक गांव के सरपंच का बेटा बताया जा रहा है। सरपंच पिता ने अपने बेटे को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलारस नगर में रहने को भेजा था। लेकिन इस बीच उसके बेटे को आईपीएल और एमपीएल की गंदी लत लग गई ओर पैसे हारने के बाद वह चोरी की वारदात को अंजाम देने लगा।

Sanjeev Surya vanshi
Sanjeev Suryawanshi: Distt.Bureau Chief-Shivpuri MP

एक नहीं कई बार उड़ाये पैसे, ऐसे हुआ खुलासा:दिनेश पाराशर के घर से लगातार पैसे चोरी हो रहे थे। वह चिंतित भी थे कि रात में चोरी की घटना को अंजाम चोरों द्वारा दिया नहीं जाता इसके बाद भी घर मे रखे पैसे चोरी हो रहे हैं। उन्होंने इसकी पड़ताल करने का मन बनाया और घर में 15 हजार रुपये रख दिए। पड़ोस में रहने वाला नाबालिग आया और पैसे ले जाने लगा जब दिनेश ने उसे पकड़ लिया।

नाबालिग ने तीन बार चोरी करने का कबूला जुर्म, हार चुका था पैसे:नाबालिग ने कबूल किया कि वह आईपीएल ओर एमपीएल पर सट्टा लगाता था जिसके चलते उस पर काफी कर्ज हो चुका था। कर्ज निपटाने के लिए उसने दिनेश पाराशर के घर में तीन बार चोरी की। इस बीच दिनेश पाराशर की बेटी ने उसे चोरी करते हुए देख लिया था जिसके बाद उसने उसे चाकू की नोक पर डरा धमकाकर शांत करा लिया था।

चप्पल की माला पहना कर निकाला गया नाबालिग का जुलूस:चोरी करते पकड़े गए नाबालिग का भरे बाजार चप्पलों की माला पहना कर लगभग आधा किलोमीटर तक जुलूस निकाला गया। इसकी सूचना लगते ही कोलारस थाना पुलिस मौके पर पहुंची ओर नाबालिग को अपने साथ थाने पर ले गई। वहीं, दिनेश पाराशर ने चोरी की घटना की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रही है।


बहुजन नायक, महान समाज सुधारक एवं जीवनभर पाखण्डवाद के विरोधी रहे पेरियार ई०वी० रामास्वामी नायकर जी के

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Mukesh Bharti: Chief Editor-बहुजन इंडिया 24 न्यूज़

परिनिर्वाण पर उन्हें शत शत नमन

ई.वी. रामासामी पेरियार जन्म 17 सितम्बर 1879 इरोड, मद्रास प्रेजिडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब इरोड जिला, तमिलनाडु, भारत) मृत्यु 24 दिसम्बर 1973 (उम्र 94)वेलोर, तमिलनाडु, भारत अन्य नाम ई.वी.आर पेरियार, वैकम वीरारी,व्यवसाय

lakhimpur पेरियार के प्रतिनिधि विचार
lakhimpur पेरियार के प्रतिनिधि विचार

सामाजिक कारकुन, राजनेता, सुधारक राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जस्टिस पार्टी संस्थापक द्रविदर कड़गम जीवनसाथी नगममाई (निधन 1933), मनिअमाई(1948- 1973) इरोड वेंकट नायकर रामासामी (17 सितम्बर, 1879-24 दिसम्बर, 1973) जिन्हे पेरियार (तमिल में अर्थ -सम्मानित व्यक्ति) नाम से भी जाना जाता था, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक

बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9336114041 ) lakhimpur: (sandeepa ray – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक-24 दिसंबर – 2021 शुक्रवार।

प्रमुख राजनेता व दलित शोषित, गरीबों के मसीहा थे। इन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया जिसका सिद्धान्त जातिवादी व गैर बराबरी वाले हिन्दुत्व का विरोध था। जो हिंदुत्व दलित समाज के उत्थान का एकमात्र विकल्प थाइनका जन्म 17 सितम्बर 1879 को पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू (द्रविड़ धनगर 3) परिवार में हुआ था। १८८५ में उन्होंने एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में दाखिला लिया। पर कोई पाँच साल से कम की औपचारिक शिक्षा मिलने के बाद ही उन्हें अपने पिता के व्यवसाय से जुड़ना पड़ा। उनके घर पर भजन तथा उपदेशों का सिलसिला चलता ही रहता था। बचपन से ही वे इन उपदशों में कही बातों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते रहते थे। हिन्दू महाकाव्यों तथा पुराणों में कही बातों की परस्पर विरोधी तथा बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह के विरुद्ध अवधारणा, स्त्रियों तथा दलितों के शोषण के पूर्ण विरोधी थे। उन्होंने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का भी बहिष्कार किया। १९ वर्ष की उम्र में उनकी शादी नगम्मल नाम की १३ वर्षीया स्त्री से हुई। उन्होंने अपना पत्नी को भी अपने विचारों से ओत प्रोत किया।१९०४ में पेरियार ने एक ब्राह्मण, जिसका कि उनके पिता बहुत आदर करते थे, के भाई को गिरफ़्तार किया जा सके, इस हेतु न्यायालय के अधिकारियों की मदद की। इसके लिए उनके पिता ने उन्हें लोगों के सामने पीटा।

 

Mukesh Bharti
Mukesh Bharti Poster Date 31 Jully 2021

इसके कारण कुछ दिनों के लिए पेरियार को घर छोड़ना पड़ा। पेरियार काशी चले गए। वहां निःशुल्क भोज में जाने की इच्छा होने के बाद उन्हें पता चला कि यह सिर्फ ब्राह्मणों के लिए था। ब्राह्मण नहीं होने के कारण उन्हे इस बात का बहुत दुःख हुआ और उन्होने हिन्दुत्व के विरोध की ठान ली। इसके लिए उन्होने किसी और धर्म को नहीं स्वीकारा और वे हमेशा नास्तिक रहे। इसके बाद उन्होने एक मन्दिर के न्यासी का पदभार संभाला तथा जल्द ही वे अपने शहर के नगरपालिका के प्रमुख बन गए। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के अनुरोध पर १९१९ में उन्होने कांग्रेस की सदस्यता ली। इसके कुछ दिनों के भीतर ही वे तमिलनाडु इकाई के प्रमुख भी बन गए। केरल के कांग्रेस नेताओं के निवेदन पर उन्होने वाईकॉम आन्दोलन का नेतृत्व भी स्वीकार किया जो मन्दिरों कि ओर जाने वाली सड़कों पर दलितों के चलने की मनाही को हटाने के लिए संघर्षरत था। उनकी पत्नी तथा दोस्तों ने भी इस आंदोलन में उनका साथ दिया।युवाओं के लिए कांग्रेस द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर में एक ब्राह्मण प्रशिक्षक द्वारा गैर-ब्राह्मण छात्रों के प्रति भेदभाव बरतते देख उनके मन में कांग्रेस के प्रति विरक्ति आ गई। उन्होने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष दलितों तथा पीड़ितों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव भा रखा जिसे मंजूरी नहीं मिल सकी। अंततः उन्होने कांग्रेस छोड़ दिया। दलितों के समर्थन में १९२५ में उन्होने एक आंदोलन भी चलाया। सोवियत रूस के दौरे पर जाने पर उन्हें साम्यवाद की सफलता ने बहुत प्रभावित किया। वापस आकर उन्होने आर्थिक नीति को साम्यवादी बनाने की घोषणा की। पर बाद में अपना विचार बदल लिया।भीमराव अम्बेडकर और पेरियार फिर इन्होने जस्टिस पार्टी, जिसकी स्थापना कुछ गैर ब्राह्मणों ने की थी, का नेतृत्व संभाला।

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१९४४ में जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर द्रविदर कड़गम कर दिया गया। 1940 के दशक तक, ई वी रामासामी ने एक अलग पाकिस्तान के लिए मुस्लिम लीग के दावे का समर्थन किया, और बदले में इसके समर्थन की अपेक्षा की। मुस्लिम लीग के मुख्य नेता जिन्ना ने मद्रास के गवर्नर के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत को चार क्षेत्रों में विभाजित किया जाना चाहिए: द्रविड़स्तान , हिंदुस्तान, बंगिस्तान >और पाकिस्तान ; द्रविड़स्तान लगभग मद्रास प्रेसीडेंसी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिन्ना ने कहा, “मेरे पास हर सहानुभूति है और सभी मदद करने के लिए करेंगे और आप द्रविड़स्तान की स्थापना करेंगे जहां 7 प्रतिशत मुस्लिम आबादी अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ाएगी और आपके साथ सुरक्षा, न्याय और निष्पक्षता की तर्ज पर रहेगी।स्वतंत्रता के बाद उन्होने अपने से कोई २० साल छोटी स्त्री से शादी की जिससे उनके समर्थकों में दरार आ गई और इसके फलस्वरूप डी एम के (द्रविड़ मुनेत्र कळगम) पार्टी का उदय हुआ। १९३७ में राजाजी द्वारा तमिलनाडु में आरोपित हिन्दी के अनिवार्य शिक्षण का उन्होने घोर विरोध किया और बहुत लोकप्रिय हुए। उन्होने अपने को सत्ता की राजनीति से अलग रखा तथा आजीवन दलितों तथा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए प्रयास किया।

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