devariya news : देवरिया माघ मेले में कोरोना की दस्तक से मचा हड़कंप,ड्यूटी पर आए सिपाही मिले संक्रमित,4 दिन बाद है स्नान अलर्ट जारी
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
देवरिया माघ मेले में कोरोना की दस्तक से मचा हड़कंप,ड्यूटी पर आए सिपाही मिले संक्रमित,4 दिन बाद है स्नान अलर्ट जारी
माघ मेले में कोरोना की दस्तक से मचा हड़कंप,ड्यूटी पर आए सिपाही मिले संक्रमित,4 दिन बाद है स्नान अलर्ट जारी
प्रयागराज।तेजी से फैल रही कोरोना की तीसरी लहर ने संगम की रेती पर लगने वाला माघ मेला तक पहुंच गया है।मेला क्षेत्र में ड्यूटी करने आए लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के एक सिपाही और एक कांस्टेबल कोरोना संक्रमित मिले है।कोरोना संक्रमित मिलने से स्वास्थ विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है।माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रांति को होगा, तो वहीं माघी पूर्णिमा 17 जनवरी से कल्पवास शुरू होगा।माघ मेले में ड्यूटी करने आए लोकल इंटेलीजेंट यूनिट के हेड कांस्टबेल को कोरोना
बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती- सम्पर्क सूत्र 9336114041 ) देवरिया : (जसवंत प्रसाद – ब्यूरो रिपोर्ट ) दिनांक-11 जनवरी – 2022 मंलवार ।
संक्रमित पाए जाने पर तत्काल उपचार के लिए भेज दिया गया। जहां डॉक्टरों की निगरानी में दो घंटे समय बीतने और सामान्य लक्षण पाए जाने पर कांस्टेबल को होम क्वारंटाइन के लिए घर भेज दिया गया,तो वही दूसरे सिपाही को डॉक्टरों की निगरानी में SRN हॉस्पिटल में रखा गया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार चार दिन बाद मकर संक्रांति के स्नान को लेकर मेले में कोविड जांच बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेले में तैनात कर्मचारियों की भी निरंतर कोविड जांच की जा रही है। इसके साथ ही मेला क्षेत्र में सेनेटाइजेशन भी कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी करीब 10 हजार लोगों की माघ मेला क्षेत्र में कोविड जांच की गई है।बैरहाल अभी तक एक भी साधु संत कोरोना संक्रमित नहीं मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी को मास्क लगाने की हिदायत दी गई है।
बसपा मुखिया ने विधानसभा चुनाव तारीख के ऐलान के साथ ही बढ़ाई सक्रियता,जल्द कर सकती हैं प्रत्याशियों की पहली सूची का ऐलान
लखनऊ।उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गयी है।सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।वहीं दूसरी ओर टिकट की चाह रखने वाले दावेदारों की संख्या भी सूबे की राजधानी लखनऊ में काफी बढ़ गई है।बहुजन समाज पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी अब पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग गई हैं। उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों एवं पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर पहले चरण के चुनाव से सम्बंधित प्रत्याशियों की सूची फाइनल कर घोषित कर दी जाए,ताकि उन्हें प्रचार करने का मौका मिल सके। पार्टी सूत्रों की अगर मानी जाए तो इस हफ्ते के अंत तक बसपा के प्रत्याशियों की पहली सूची आ सकती है।आपको बता दें कि बसपा मुखिया मायावती ने 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की प्रचंड सफलता को दोहराने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उन्होंने इसके लिए अपने करीबी राजनीतिक सहयोगी, पार्टी के सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को सोशल इंजीनियरिंग कार्यक्रम की कमान सौंप दी है।मिश्रा अब ब्राह्मण वोटों को मजबूत करने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं।आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में बसपा के प्रदर्शन में सुधार करने का एक प्रयास किया गया, जहां पार्टी ने पारंपरिक रूप से बहुत प्रभावशाली प्रदर्शन दर्ज नहीं किया है। इन सभाओं को भी मिश्रा ने संबोधित किया था। मिश्रा की पत्नी कल्पना अब पार्टी के महिला मोर्चा का नेतृत्व कर रही हैं, जबकि बेटे कपिल को युवा नेता के रूप में पेश किया जा रहा है। पार्टी के सदस्यों का कहना है कि संगठन जमीन पर सक्रिय रहा है, बैठकें कर रहा है और कार्यकर्ताओं का आयोजन कर रहा है, लेकिन जब मायावती बाहर निकलती हैं, तो इससे कैडर के मनोबल पर भारी फर्क पड़ेगा।राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पिछले कुछ चुनावों में अपने घटते वोटबैंक के बावजूद पार्टी के समर्थकों के एक समर्पित आधार का हवाला देते हुए जो कि मायावती के साथ वर्षों से जुड़ी हुई है,पार्टी को लिखना जल्दबाजी होगी। पार्टी के एक सदस्य का कहना है कि भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर मतदाताओं को बसपा की ओर ले जा सकती है। एक ऐसी पार्टी जिसे लोग आज भी उत्कृष्ट प्रशासन और कानून-व्यवस्था के लिए याद करते हैं, जब मायावती मुख्यमंत्री थीं।पार्टी सूत्रों की माने तो जिस दूसरे मोर्चे पर पार्टी ने खुद को कमजोर पाया है, वह हाल के महीनों में पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों का लगातार दूसरे दलों में जाना है। पिछले विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीतने वाली पार्टी के पास फिलहाल सिर्फ तीन सदस्य हैं। 16 जो अब नहीं हैं, उनमें से सुखदेव राजभर का 2021 में निधन हो गया। शेष या तो निलंबित हैं या इस्तीफा दे चुके हैं और कई समाजवादी पार्टी में चले गए हैं। इस हफ्ते पूर्व सांसद और अंबेडकरनगर के मजबूत नेता राकेश पांडे के सपा में जाने के साथ बसपा को एक और झटका लगा था।आपको बताते चलें कि बसपा ने न केवल कई प्रभावशाली सदस्यों खोया है, बल्कि स्थिति ने पार्टी में ओबीसी नेताओं की कमी को और भी बढ़ा दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, दलित वोट भी यूपी में विभाजित हो गया है, जिसमें बड़े पैमाने पर जाटव बसपा के पक्ष में हैं। यूपी में पिछले दो चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत ने दिखाया है कि उसने जाति, लिंग और उम्र के आधार पर चुनाव लड़ा है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी में किसी भी महत्वपूर्ण ओबीसी नेता की अनुपस्थिति, विशेष रूप से सपा में स्थानांतरित होने के बाद, इसके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर और विधानसभा में पार्टी के नेता लालजी वर्मा सहित, पार्टी के बीच इसकी अपील को और कम कर सकती है।बसपा मुखिया ने पिछले कुछ मौकों पर जहां मीडिया से बातचीत के दौरान यह पूछा गया कि आप प्रचार के लिए बाहर नहीं निकल रहीं हैं, इसपर उन्होंने कहा था कि जो लोग ज्यादा परेशान हैं वहीं मैदान में समय से पहले दिखाई दे रहे हैं। हमारी तैयारी पूरी है और समय के साथ हम आगे बढेंगें। चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद मायावती की रैलियां शुरू हो सकती है, लेकिन पार्टी की ये चिंता जरूर है कि एक तरफ जहां कोरोना बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर आयोग 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगा दी है।zमाजिक वैज्ञानिक बद्री नारायण का कहना है कि बसपा के भविष्य के बारे में अटकलें लगाना जल्दबाजी होगी और मायावती के सक्रिय होने के बाद ही रास्ता साफ हो जाएगा और चुनावों का स्पष्ट विश्लेषण तभी संभव होगा। नारायण ने कहा कि तारीखों की घोषणा से पहले बाहर निकलना आसान नहीं है। मेरा मानना है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि राज्य में भाजपा के लिए सिर्फ एक चुनौती है और तीसरा मोर्चा बहुत जिंदा है। स्थिति कैसे बनती है यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि वह कैसे प्रचार करती है और कब शुरू करती है। स्थिति की स्पष्ट व्याख्या यह है कि उसके द्वारा अंतिम मील का धक्का दिया जाएगा।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |