लखीमपुर खीरी पांच वर्ष पूर्व प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी पर लगे थे गम्भीर आरोप
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लखीमपुर खीरी पांच वर्ष पूर्व प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी पर लगे थे गम्भीर आरोप
लखीमपुर खीरी कई दशकों के बाद भी फूलबेहड़ की ओदरहना पंचायत में नहीं हैं नाली रास्ते भी बद्तर, मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है ओदरहना पंचायत।- पांच वर्ष पूर्व प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी पर लगे थे गबन गम्भीर आरोप।आज तक किसी जन प्रतिनिध ने भी नहीं दिया ध्यान। देखते हैं कि ग्रामीणों की समस्या से करेगा कोई छुटकारे की बात महेवागंज-खीरी। मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर विकास खण्ड फूलबेहड़ की ग्राम पंचायत ओदरहना की गलियां, रास्ते आज भी बद से बद्तर हैं। शहर से इतने करीब एवं भीरा-पलिया हाइवे पर स्थित यह गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है। बताते चलें कि पिछली सरकारों ने एवं मौजूदा सरकारों ने जिस तरह खीरी जिले के कोने कोने तक शायद विकास करने का काम किया है। जिस तरह गांवों को शहर से सड़कें बनाकर जोड़ा गया है।
बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) मो ० 9161507983 लखीमपुर खीरी 🙁 अमरेन्द्र सिंह – ब्यूरो रिपोर्ट )- दिनांक 11 फरवरी 2022- शुक्रवार
लखीमपुर खीरी कई दशकों के बाद भी फूलबेहड़ की ओदरहना पंचायत में नहीं हैं नाली रास्ते भी बद्तर, मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है ओदरहना पंचायत।- पांच वर्ष पूर्व प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी पर लगे थे गबन गम्भीर आरोप।आज तक किसी जन प्रतिनिध ने भी नहीं दिया ध्यान। देखते हैं कि ग्रामीणों की समस्या से करेगा कोई छुटकारे की बात महेवागंज-खीरी। मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर विकास खण्ड फूलबेहड़ की ग्राम पंचायत ओदरहना की गलियां, रास्ते आज भी बद से बद्तर हैं। शहर से इतने करीब एवं भीरा-पलिया हाइवे पर स्थित यह गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है। बताते चलें कि पिछली सरकारों ने एवं मौजूदा सरकारों ने जिस तरह खीरी जिले के कोने कोने तक शायद विकास करने का काम किया है। जिस तरह गांवों को शहर से सड़कें बनाकर जोड़ा गया है। इसके अलावा भी दूर दूर गांव तक इंटरलॉकिंग, आरसीसी कर विकास किया गया है। लेकिन बावजूद इसके अभी तक मुख्यालय से शटे ओदरहना पंचायत में विकास का पहिया रुका हुआ है। यहाँ के ग्रामीण जरा सी बारिश होने से गांव की गलियां पानी से जलमग्न हो जाती हैं। जिससे ग्रामीणों व नन्हें मुन्हें छात्रों को उसी जल भराव से होकर गुजरना पड़ता है। ये समस्या ग्रामीणों की अहम समस्या है। आये ग्रामीणों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यह हाल पंचायत के मजरा महेवा, हाजीपुरवा, में भी बनी रहती है। ग्रामीण अपनी समस्या को लिखित शिकायत के माध्यम से दर्जनों बार विकास खण्ड से लेकर शहर के उच्च अधिकारियों तक कर चुके हैं लेकिन यहाँ के हालात पर कोई सुधार नहीं। पूर्व प्रधान के बाद यहाँ की जनता ने नया ग्राम प्रधान यह सोच कर चुना था कि यह गांव का अच्छा विकास करेगा। इधर ग्रामीणों का कहना है कि धीरे धीरे नये प्रधान को भी एक वर्ष पूर्ण होने को है। लेकिन अभी नवनिर्वाचित प्रधान से भी गांव वालों कोई उम्मीद नहीं दिखी है। अब जनता को यह लगने लगा है कि इससे अच्छा तो पूर्व प्रधान ही था। ग्रामीणों का कहना है कि नवनिर्वाचित प्रधान भी विकास के नाम पर सिर्फ धोखा कर रहा है क्योंकि जहाँ जहाँ और वह जो भी कार्य करवा रहा है। उसमें भी सबकुछ मानक विहीन कर रहा है। जल्द ही प्रधान द्वारा कराये गए विकास कार्यों में पंचायत भवन, सोखता गड्ढे, इंटरलाकिंग सब में अपनी कर ईंट, व मटेरियल में जमकर अंदेखी की गई है। जिसका जीता जागता एक उदाहरण हाजीपुरवा गांव में लगाई गई इंटरलॉकिंग व नाली में अंदेखी की खबर चलने पर खंड विकास अधिकारी, जेई और ग्राम विकास अधिकारी की जांच में खामियां पाई गई थीं। महेवा गांव के ग्रामीणों ने एक अहम समस्या और बताई है कि उनके यहाँ अंतिम संस्कार करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। बारिश के दिनों में कभी ऐसी घटना होती है तो ग्रामीणों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस पंचायत में करीब सात हजार के आस पास मतदाता हैं। विकास न होने का मुख्य कारण प्रधानों की मनमानी रही है साथ ही ग्राम विकास अधिकारी भी पंचायत की स्थिति से रुबरु हुए। इसके अलावा पिछले पांच वर्ष पूर्व इस पंचायत के प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी पर करीब पैंसठ लाख के गबन का आरोप लगा था। यही कारण रहा कि आज यह ग्राम पंचायत विकास को तरस रही है।
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