बहन जी को बदनाम करने से पहले उनके राजीतिक खेल को समझें – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

बहन जी को बदनाम करने से पहले उनके राजीतिक खेल को समझें

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (संपादक मुकेश भारती -9161507983 )
मथुरा (क्राइम रिपोर्टर – विजय कुमार )


बहन जी को बदनाम करने से पहले उनके राजीतिक खेल को समझें
कुछ लोग मा०बहन जी को भाजपा का पक्षधर बोलकर उनको बदनाम करने की सोचते हैं।
आओ उनकी भाजपा से मित्रता को क्रम से समझें।

1. 1989 में भाजपा के एक बड़े नेता से बहन-भाई का रिश्ता बनाकर बसपा के समर्थन के साथ साथ, भाजपा का समर्थन जनता दल को दिलवाकर वी० पी० सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनवाया,फिर वी० पी० सिंह जी से तत्काल मण्डल कमीशन लागू करवा कर ओबीसी समाज के विकाश का रास्ता खोला। चाहे बाद में भाजपा ने अपना समर्थन फिर वापिस ले लिया परन्तु बहन जी ने अपना काम करवा लिया। जोकि वैधिक रूप से अभी भी मान्य है।(साहब का योगदान भी इसी में शामिल है)

2. बहन जी ने भाजपा के समर्थन से कई बार अपनी(बसपा) सरकार तो बनाई परन्तु एक बार भी भाजपा को समर्थन देकर उसकी सरकार नही बनाई। क्योंकि बहन जी समाज हितैसी थीं नाकि भाजपा हितैसी।

3. साहब कांशीराम जी के कथन ( हमको मांगने वाला नही बल्कि देने वाले समाज का निर्माण करना है)पर चलते हुए यू तो बहन जी पहले से ही गरीब सवर्णों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए आवाज उठाने वाली देश की सबसे पहली नेता हैं। सदन में जब बहन जी ने इस बिल को समर्थन दिया तो विरोधी लोगों ने बहन जी को भाजपा हितैसी बताना शुरू किया। यहाँ समझने वाली दो बातें है।

पहली बात तो बहन जी बसपा की सरकार बनाकर तब गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना चाहती थीं।

दूसरी बात भाजपा ने यह सोचा था कि इस बिल का बहन जी विरोध करेंगी तो वो उनको सवर्ण विरोधी साबित कर देंगे। मैं उन विरोधियों से पूछना चाहता हूं कि क्या बहन जी के विरोध से वो बिल रुक जाता- नही। परंतु भाजपा के लोग अपने मिशन में जरूर कामयाब हो जाते और बहन जी को सवर्ण विरोधी करार देकर 2022 में बसपा की सरकार बनने से जरूर रोक देते। इसलिए बहन जी ने यह बताते हुए गेंद को भाजपा के पाले में फेंक दिया कि इस बिल को लाने वाले ही हम हैं।

4. अभी का नया उदाहरण(राज्य सभा चुनाव) जिसको लेकर बहुत से साथियों ने बहन जी को बदनाम करना चाहा। जरा ध्यान से समझो बहन जी ने कहा क्या और करा क्या।
जब बहन जी ने अपना राज्यसभा का उम्मीदवार खड़ा किया तो उसको रोकने के लिए समाजवादी पार्टी ने एक धन्ना सेठ को खड़ा किया। तब बहन जी ने कहा कि मैं सपा को रोकने के लिए भाजपा के साथ भी खड़ी हो सकती हूं। जिसको लेकर सोशल मीडिया पर विरोधी साथियों ने बहुत बवाल मचाया कि बहन जी भाजपा समर्थक हैं। हुआ यूं कि सपा का प्रत्याशी हार गया और भाजपा का वोट लेकर बसपा का प्रत्याशी जीत गया। इस पूरे मामले में सपा का दलित विरोधी चेहरा निकल कर सामने आया। फिर तुंरत कुछ दिनों बाद एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक मुस्लिम साथी यह सोचते हुए खड़ा किया कि बहन जी ने तो अपना समर्थन भाजपा को देना है, जैसा उन्होंने कहा था। तो इस मामले में मैं(अखिलेश यादव) मायावती(मा०बहन जी)को मुस्लिम विरोधी साबित कर दूंगा तो डैमेज कंट्रोल हो जाएगा। लेकिन माननीय बहन जी ने बसपा का विधायक वोट भाजपा को ना दिलवाकर सपा के मुस्लिम कैंडिडेट को जिताने का काम किया।

यहां पर बहन जी ने बसपा का राज्यसभा उम्मीदवार भाजपा का वोट लेकर जितवा लिया और एमएलसी चुनाव में अपनी पार्टी का विधायक वोट भाजपा को ना देकर ,सपा के मुस्लिम कैंडिडेट को डलवाकर उसे जिताने का काम किया।

●●यहां समझने वाली बात यह है कि दोनों उम्मीदवारों (बसपा-राज्य सभा और सपा -एमएलसी) में से एक भी जीतने की स्थिति में नही था परन्तु बहन जी ने दोनों को जिता दिया और लोग देखते रह गए।

अब यह बताया जाए कि बहन जी भाजपा समर्थक कैसे हो गई ?

अतः मेरा आप सभी साथियों से निवेदन है कि किसी के बहकावे में ना आएं माननीय बहन जी समाज व देश हितेषी हैं ना कि किसी और की हितैषी हैं।


जय भीम ,जय भारत ,जय कांशीराम,जय बसपा।
पांचवी बार बसपा सरकार(उत्तर प्रदेश)

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