माता रमाबाई आंबेडकर को परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती )9161507983
मथुरा( विजय कुमार- सिटी रिपोर्टर )
माता रमाबाई आंबेडकर को परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि
माता रमाबाई आंबेडकर को परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि💐 माता रमाबाई आंबेडकर का जन्म महाराष्ट्र के दापोली के निकट वानाड गांव में 7 फरवरी 1898 में हुआ था। उनके पिता का नाम भीकू वालंगकर था। रमाबाई के बचपन का नाम रामी था। रामी के माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। रामी की दो बहनें और एक भाई थे। उनके भाई का नाम शंकर था। बचपन में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के कारण रामी और उनके भाई-बहन अपने मामा और चाचा के साथ मुंबई में रहने लगे थे। रामी का विवाह 9 वर्ष की उम्र में ही बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर से सन 1906 में हुआ था। बाबासाहेब की उम्र उस समय मात्र 14 वर्ष थी। तब वह 5वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। शादी के बाद रामी का नाम रमाबाई हो गया था। भले ही डॉ. आंबेडकर को पर्याप्त अच्छा वेतन मिलता था परंतु फिर भी वह कठिन संकोच के साथ व्यय किया करते थे। वह परेल (मुंबई) में इम्प्रूवमेन्ट ट्रस्ट की चाल में एक मजदूर-मुहल्ले में दो कमरो के मकान में रहते थे। वह वेतन का एक निश्चित भाग घर के खर्चे के लिए अपनी पत्नी रमाबाई को देते थे। माता रमाबाई जो एक कर्तव्यपरायण, स्वाभिमानी, गंभीर और बुद्धिजीवी महिला थीं, घर की बहुत ही सुनियोजित ढंग से देखभाल करती थीं। माता रमाबाई ने प्रत्येक कठिनाई का सामना किया। उन्होंने निर्धनता और अभावग्रस्त दिन भी बहुत साहस के साथ व्यतीत किये। माता रमाबाई ने कठिनाईयां और संकट हंसते-हंसते सहन किये। परंतु जीवन संघर्ष में साहस कभी नहीं हारा। माता रमाई अपने परिवार के अतिरिक्त अपने जेठ के परिवार की भी देखभाल किया करती थीं। रमाबाई संतोष, सहयोग और सहनशीलता की मूर्ति थीं।
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