भारत में आज भी दलितों की दयनीय स्थिति ! बेहद शर्मनाक आजादी के 75 वर्ष बाद भी छुवाछात में 9 वर्षीय मासूम की मौत
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
एडवोकेट सुरेंद्र कुमार आजाद-सिविल कोर्ट लखीमपुर खीरी
आजादी के 75 वर्ष बाद भी भारत में दलितों की दयनीय स्थिति बनी हुई है जो बेहद शर्मनाक है भारत के विभिन्न राज्यों में आज भी दलितों को सताया व प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है जब की सत्ता पर आसीन लोग इन लोगों के लिए सिर्फ और सिर्फ दिखावा कर रहे हैं संविधान में इनके लिए अलग से विशेष प्रावधान होने के बावजूद भी आज तक इन्हें समान अधिकार नहीं दिए गए संविधान में इनके लिए बहुत कुछ होने के बावजूद भी यह तबका आज भी शैक्षिक, सामाजिक ,आर्थिक व राजनीतिक रूप से पीछे ,इनके पीछे होने का मुख्य कारण आर्थिक कारण है आर्थिक कारणों की वजह से शैक्षिक ,सामाजिक ,राजनीतिक रूप से पीछे होते चले गए आजादी से लेकर आज तक प्रत्येक सरकारों ने इनके उत्थान के लिए कुछ ना कुछ योजनाएं चलाई हैं लेकिन यह योजनाएं सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह जाती है किन के नाम से जारी बजट सत्ता पर आसीन लोग आपस में मिलकर खा जाते हैं इस कारण इनकी स्थिति आज भी वैसे ही बनी है जिन लोगों में कुछ सुधार आया वह अपने ही समाज के तबके को भूल गए जो संघर्ष कर रहे हैं उनकी संख्या बहुत कम है संविधान के माध्यम से जिन दलितों को आगे बढ़ने का मौका मिला वह सत्ता के लालच में अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं इसी वजह से भारत के विभिन्न राज्यों में आयोजन दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है।
भारत में आज भी दलितों की दयनीय स्थिति ! बेहद शर्मनाक आजादी के 75 वर्ष बाद भी छुवाछात में 9 वर्षीय मासूम की मौत
जैसे हाल ही में राजस्थान की घटना 20-07-2022 को जालौर में जो घटित हुई वह पूरे देश को झकझोर कर देने वाली घटना है।
- स्वर्ण शिक्षक छैल सिंह ने छुआछूत के नाम पर दलित इंद्र कुमार मेघवाल को इसलिए पीट पीट कर मार डाला है क्योंकि उसने उनकी मटकी से पानी पी लिया,
- 26 जुलाई 2022 को मध्यप्रदेश के शाजापुर में 12वीं की दलित छात्राओं को स्कूल जाने से रोका गया,
- राजस्थान के बूंदी की घटना दलित राधेश्याम को बंधक बनाकर 31 घंटों तक पीटा गया कसूर सिर्फ इतना था कि उसने काम करने से मना किया,
- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में चोरी के आरोप में दलित बच्चों को बेरहमी से पीटा गया,
- 26 मई 2022 को पंजाब के संगरूर गांव के सरपंच ने पेड़ में बांधकर दलितों की पिटाई कर दी,
- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में एक दलित कार ले आता है तो उसकी पिटाई कर दी जाती है।
- उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में दलित बच्ची को प्रशासन खुद रात में मिट्टी का तेल डालकर जला देता है।
- तमिलनाडु में दलित हाथ में घड़ी बांध लेता है तो उसका हाथ काट दिया जाता है।
- उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद के लोकाही ईसानगर गांव में दिनांक 02-08- 2022 को दलित रामादल गौतम प्रधान प्रतिनिधि संतोष मिश्रा के वहां कम दहेड़ी पर काम करने से मना करता है उसे इतना पीटा जाता है की वह चार-पांच दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती रहता है फिर भी राजनीतिक दबाव के चलते मुकदमा पंजीकृत नहीं किया जाता।
- उत्तराखंड में दलित रसोइयों के हाथ का खाना नहीं खाया जाता। कर्नाटक आंध्र प्रदेश गुजरात आदि राज्यों में लगातार दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं फिर भी सरकारें मौन है
आंकड़ों के अनुसार देखें तो वर्ष 2018 में 42793, वर्ष 2019 में 45961 ,वर्ष 2020 में लगभग 53886 केस दलितों के दर्ज हुए जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है 75 वर्ष बाद भी दलित सुरक्षित नहीं है उस पर अत्याचार हो रहा है भेदभाव किया जा रहा है। न्यायपालिका कार्यपालिका व अन्य बड़े-बड़े पदों पर दलितों का प्रतिनिधित्व बहुत ही कम है हमेशा विशेष जाति के लोगों का दबदबा रहा है।
75 साल बाद भी दलित पूर्ण रूप से आजाद नहीं है उसका शोषण किया जा रहा है भाजपा और कांग्रेस खामोश है क्योंकि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं सरकारों को चाहिए कि तमाम आयोगों की तरह न्यायपालिका के लिए एक राष्ट्रीय विधि आयोग का गठन करें और कोलेजियम व्यवस्था खत्म करें ताकि समाज के तमाम वंचित वर्गों को अवसर मिल सके।
जातीय भेद-भाव मिटाया जा सके 1927 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने पानी के लिए संघर्ष कर छुआछूत मिटाने का प्रयास किया था लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी एक बच्चे को पानी के लिए अपनी जान राजस्थान के जालौर जनपद में गंवानी पड़ती ह। दलितों व शोषित समाज के वंचित लोगों को अब राजनीतिक संकेतों से काम चलने वाला नहीं है अपनी मांग को लेकर संघर्ष करना होगा ताकि अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान से अपने आने वाली पीढ़ी को जीने का अवसर प्राप्त हो और अपने वोट का सही प्रयोग कर अपनी बुनियाद को स्वयं मजबूत बनाना होगा ताकि समाज में पनप रहे भेदभाव को भाई चारे के माध्यम से मिटाया जा सके। हमारे समाज को उच्च शिक्षा व प्राविधिक शिक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए। तथागत बुद्ध ने हजारों साल पहले अपने ज्ञान में बताया था कि जाति-पाती और भेदभाव का खात्मा केवल शिक्षा व ज्ञान के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। भारत में समता मूलक समाज की स्थापना ,कानून व्यवस्था पर पूर्ण आस्था और विश्वाश करना ही आजादी का हमारा असली अमृत महोत्सव होगा। “एडवोकेट-सुरेंद्र कुमार आजाद-सिविल कोर्ट लखीमपुर खीरी”
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |