बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए सबको सम्मिलित रूप से प्रयास करने होंगे:-डॉ. प्रिय रंजन आ
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संवाददाता : :मैनपुरी : : अवनीश कुमार :: Date :10 – 9 -2022 :: डॉ. देवेंद्र शर्मा व डॉ. प्रिय रंजन आशु ने ट्राॅजिट हॉस्टल में समाज कल्याण, प्रोबेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर निकाय, महिला एवं बाल विकास, पुलिस आदि विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक
मैनपुरी – अध्यक्ष उ.प्र. राज्य बाल संरक्षण आयोग डॉ. देवेंद्र शर्मा, सदस्य डॉ. प्रिय रंजन आशु ने ट्राॅजिट हॉस्टल में समाज कल्याण, प्रोबेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर निकाय, महिला एवं बाल विकास, पुलिस आदि विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में कहा कि जनपद में बाल श्रम किसी भी दशा में न हो। बच्चों से काम कराने वाले लोगों, उद्योगों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध प्रभावी कायर्वाही की जाए। बाल श्रम में संलिप्त बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराकर उनका विद्यालय में एडमिशन कराया जाए। उनका भरण-पोषण का भी ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि उ.प्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ’’एक युद्ध नशे के विरुद्ध’’ संचालित किया है। बच्चों को नशे की लत से दूर रखने के लिए निरंत प्रभावी कायर्वाही की जा रही है। नशे के कारोबार में संलिप्त व्यक्तियों को चिन्हित कर दंडात्मक कायर्वाही हो रही है। कक्षा-06 से ऊपर के विद्यालयों में प्रहरी क्लब की स्थापना कराई जा रही है। प्रहरी क्लब के माध्यम से बच्चों को नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक कराया जाएगा।
अध्यक्ष, सदस्य ने कहा कि देश के भविष्य बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए सबको सम्मिलित रूप से प्रयास करने होंगे। उ. प्र. की आबादी मे 0 से 18 वर्ष के 40 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं। इन्हीं बच्चों के ऊपर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने की जिम्मेदारी है। यदि यही बच्चे बचपन से गलत संगत में पड़कर नशे के आदी होंगे तो समाज के सामने विषम परिस्थिति होंगी। उन्होने कहा कि बच्चों में बचपन से नशे की आदत के चलते उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। ऐसे बच्चे परिवार के लिए ही नहीं बल्कि समाज, प्रदेश, देश के लिए भी समस्या का कारण बनते हैं। हम सबको बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा पर ध्यान देना होगा। सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा प्रदान करानी होगी। उन्होने कहा कि केंद्र, प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों के कल्याणाथर् संचालित योजनाओं का लाभ समय से पहुंचाना होगा। शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों का पंजीकरण कराकर उन्हें शिक्षित करना होगा। कुपोषण से ग्रसित बच्चों को उचित आहार, बेहतर देखभाल कर उन्हें सुपोषण की श्रेणी में लाना होगा। उन्होने जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज की परिधि में तंबाकू, पान, बीड़ी-सिगरेट, शराब आदि की दुकान संचालित न हो। प्रत्येक विद्यालय के गेट पर तंबाकू निषेध क्षेत्र का साइन बोडर् लगाया जाए। उन्होंने कहा कि आयोग ने प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को किशोर न्याय अधिनियम की धारा-77 व 78 के अंतगर्त विद्यालयों की 100 मीटर की परिधि में नशा संबंधी सामग्री बेचने पर संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार प्रदत्त किया है। यदि किसी विद्यालय के 100 गज की परिधि में नशे के सामान की बिक्री की जाए तो प्रधानाचार्य संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएं।
उन्होंने जिला कायर्क्रम अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि नेतृत्व देकर बच्चों को कुपोषण से बचाने में अपना योगदान दें। कुपोषण से ग्रसित बच्चों को उचित पोषाहार उपलब्ध कराया जाए। अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनवार्स केंद्र में भर्ती कराकर उनकी सेहत सुधारी जाए। उन्होंने जिला आबकारी अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर के 100 गज की परिधि में आबकारी दुकान का संचालन न हो। प्रत्येक आबकारी दुकान पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित रहे। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज समय-समय पर चेक की जाएं। कोई भी अनुज्ञापी 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मादक पदाथोर्ं की बिक्री न करें। जनपद में संचालित मेडिकल स्टोर की भी नियमित चेकिंग की जाए, शेड्यूल एच, एच-1 और एक्स में सम्मलित दवाओं की बिक्री करने वाले सभी मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर दवाओं का अलग-अलग रजिस्टर बनाया जाए। बिना चिकित्सक के परामर्श के उक्त दवाएं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी दशा में न दी जाएं। उन्होने जन-सामान्य से अपेक्षा की यदि किसी के द्वारा बच्चों का शोषण किया जाये या कोई बच्चा बाल श्रम में संलिप्त दिखे तो उसकी सूचना 1098 पर देकर अपना फ़र्ज़ निभाएं।
अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का प्रचार-प्रसार कराया जाए, सभी विभागों को जोड़कर अधिक से अधिक पात्रों को लाभान्वित किया जाए। पात्रों को लाभान्वित किए जाने हेतु सभी अधिकारी सामूहिक प्रयास करें। शिक्षण संस्थानों, आमजन को उक्त योजना से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतगर्त जो आवेदन प्राप्त हुए हैं। उन्हें पोटर्ल पर दर्ज कराया जाए ताकि आवेदन करने वाले पात्रों को लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने समीक्षा के दौरान पाया कि जनपद में 30315 पात्रों को निराश्रित पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना कोविड-19 के अंतगर्त 93 आवेदन प्राप्त हुए थे जिसमें 40 आवेदनों पर धनराशि प्रदान की जा चुकी है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के अंतगर्त 109 आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। जिसमें 59 आवेदनों पर धनराशि पात्रों को उपलब्ध करायी जा चुकी है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतगर्त 11831 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए थे। जिसमें 8987 आवेदनों को अग्रसारित कर 8875 पात्रों को लाभान्वित किया गया है।
बैठक में निदेशक चाइल्ड लाइन यशवीर सिंह चैहान, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति मंजू चतुवेर्दी, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड शिखा चतुवेर्दी, एन.के. वंसल, बाल कल्याण समिति सदस्य रानू द्विवेदी, रविन्द्र सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पी.पी. सिंह, डिप्टी कलेक्टर, प्र. जिला समाज कल्याण अधिकारी वीरेन्द्र कुमार मित्तल, डिप्टी कलेक्टर नरेन्द्र सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर संतोष कुमार, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार वर्मा, जिला आबकारी अधिकारी दिनेश कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल सिंह, जिला कायर्क्रम अधिकारी ज्योति शाक्य, बाल संरक्षण अधिकारी अल्का मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
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