अयोध्या प्राचीन देवी मन्दिर मां कामाख्या भवानी।।
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संवाददाता : :अयोध्या : : फूलचन्द्र :: Date ::27 – 9 -2022 ::ऐसी मान्यता है कि सिद्ध स्थान कभी बिलुप्त नहीं होते। महाराज विक्रमादित्य द्वारा पौराणिक दृष्टि से अयोध्या के सभी प्रमुख मन्दिरों को चिन्हित किया था।उन्ही में मां कामाख्या देवी मन्दिर भी है। जनश्रुति के अनुसार अयोध्या नरेश दर्शन सिंह के भाई राजा मानसिंह द्वारा वर्तमान का गर्भ गृह बनवाया गया था।
आदि गंगा माता गोमती के तट पर आदि वन (गहनम् वनम् )गहिरा का जंगल जिसका वर्णन दुर्गा सप्तशती एवं देवी भागवत के पंचम स्कन्द के सत्रहवैं व अट्ठारहवें अध्याय में जिसका क्षेत्रफल तीन योजन वर्णित है।।
इसी वन में आदि माता कामाख्या देवी का मन्दिर है। मान्यता के अनुसार यहां पर मानव सृष्टि संचालन हेतु मनु सतरूपा द्वारा योनि रूपा कामाख्या देवी की वामाचार बिधि से (ओम भगरूपा ——-योर्निमा पातु सर्वदा) योनि स्त्रोत मन्त्र द्वारा पूजा अर्चना किया था।यहीं पर महाराज धुरब महाराज इक्ष्वाकु। महाराज सुरथ अन्य कईअवध नरेशों ने पूजा अर्चना की थी।
गर्भ गृह में तीन चबूतरा (पिन्डी)बिद्यमान है जिन्हें महा लक्ष्मी।।महा सरस्वती।।महा काली।।के रूप में पूज्यनीय हैं। दुर्गा सप्तशती एवं देवी भागवत के अनुसार यह समाधि बैस की तपस्थली मानी जाती है।समाधि बैस द्वारा मिट्टी की पिन्डी बनाकर मां की कठिन आराधना की थी। मां ने समाधि बैस को अच्छुण ज्ञान तथा चबूतरे पर सदा बिराजमान रहने का बचन दिया था।
वर्तमान में जो अक्ष्य बर नाथ की मूर्ति है।उन्ही को समाधि बैस माना जाता है।। जय मात कामाख्या जय माता।। ब्यूरो चीफ फूलचन्द्र अयोध्या
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