प्रेऱणादायक कथन अज्ञानता का बढ़ता दायरा – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

प्रेऱणादायक कथन अज्ञानता का बढ़ता दायरा

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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983

अयोध्या ( फूलचंद्र – ब्यूरो रिपोर्ट )


प्रेऱणादायक कथन अज्ञानता का बढ़ता दायरा

याद करें थोड़े दिन पहले यह दावा किया गया था कि हम ज्ञान पर आधारित समाज होने जा रहे हैं. स्थिति यह है कि हम एक ऐसा समाज हो गये हैं जो ज्ञान से कम अज्ञान से अधिक परिचालित है यहां ज्ञान से तात्पर्य आधुनिक ज्ञान भर नहीं है बल्कि उसमें पारंपरिक ज्ञान भी शामिल है. हिन्दुत्व नामक जो विचारधारा इन दिनों बढ़ी और सत्तारूढ़ तक हो गयी है, हिन्दू धर्म और अध्यात्म के भीषण अज्ञान पर आधारित है ।उसमें अनुष्ठान के स्तर पर नहीं, चिन्तन के स्तर पर उपनिषदों, षट् दर्शन, महाकाव्यों आदि की लम्बी परम्परा में जो विशद ज्ञान संचित है उसकी कोई अन्तर्ध्वनि तक नहीं है, नयी परिस्थिति के अनुरूप नयी व्याख्या तो बहुत दूर की बात है,यह आकस्मिक नहीं है कि इस दौरान हम हिन्दू परंपरा के कुछ बीजग्रन्थों की कोई नयी व्याख्या, नयी मीमांसा उभरती नहीं देख रहे हैं. सत्तारूढ़ विचारधारा हिन्दू को एक हिंसक, पौरुषप्रधान इकाई बना रही है जिसका मुख्य लक्ष्य घृणा करना और बदला लेना है ।इसकी व्याप्ति तभी सम्भव है जब हिन्दुओं में काफी अज्ञान, अपनी परम्परा और अपने ऐतिहासिक-सांस्कृतिक अनुभव का अज्ञान फैला दिया जाये. हिन्दुत्व की संस्थाएं मुख्य रूप से और राजनैतिक सत्ता द्वारा दिये गये साधनों से यही कर रही हैं,पिछले सात-आठ वर्षों में हिन्दू समाज जिस तेज़ी से घृणा और प्रतिशोध की भावनाओं से उद्वेलित हो रहा है वह अभूतपूर्व है।अज्ञान को प्रतिष्ठित करने के लिए ज़रूरी है कि ज्ञान की संस्थाओं को अवनत किया जाये. यह पिछले सात वर्षों में सुनियोजित ढंग से किया गया है. तथाकथित रूढ़ आधुनिक ज्ञान या वाम ज्ञान के बरक़्स कोई भारतीय ज्ञान प्रस्तावित या प्रतिष्ठित नहीं किया गया है,किया गया है अज्ञान को वैधता देना. सत्ताधारी राजनेता प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक भयानक आत्मविश्वास और वाग्स्फूर्ति से ऐसी स्थापनाएं करते रहे हैं जो अज्ञान से ही उपजती हैं और जिनको दयनीय या हास्यास्पद या दोनों ही एक साथ कहा जा सकता है ।यह भी अलक्षित नहीं जाना चाहिये कि इस राजनीति के दो मुख्य व्यावहारिक उपकरण साम्प्रदायिकता और धार्मिक कट्टरता अज्ञान से ही उपजे हैं और उन्हें अज्ञान ही पोस सकता है,इस समय कम से कम उत्तर भारत में इस धारणा की पुष्टि होती है कि पढ़े-लिखों को भी शिक्षा व्यवस्था ज्ञान की बिरादरी में शामिल करने में सफल नहीं हो पायी है ।

हिन्दी अंचल में साम्प्रदायिकता-धर्मान्धता-जातिवाद की मानसिकता में सक्रिय लोग अधिकांशतः पढ़े-लिखे लोग ही हैं. अगर उनमें अन्धभक्ति, ज्ञाकारिता, प्रश्नहीनता आदि बद्धमूल हैं तो ज़ाहिर है कि शिक्षा उनका अज्ञान दूर नहीं कर पायी है,हद तो यह है कि अधिकांश हिन्दी मीडिया गोदी मीडिया होने के कारण अज्ञान का दैनंदिन प्रचारक बन गया है. अज्ञान को ऐसे विस्तारक और प्रचारक हमारे इतिहास में पहली बार ही मिले हैं. हम इस समय अज्ञान-आधारित समाज हो गये हैं ।राजनीति, सत्ताओं, मीडिया, धर्मगुरुओं आदि को इसकी चिन्ता नहीं है. कई बार यह सोच कर दहशत होती है कि अज्ञान के इस बढ़ते आयतन को लेकर हिन्दी अंचल की शिक्षा-व्यवस्था और बौद्धिक समाज को भी कोई प्रगट चिंता नहीं है ।


मौसमी कोटार्य
प्रबल दावेदार विधानसभा नरैनी बाँदा
प्रचारक मोस्ट युवा जागृति संस्थान बाँदा।

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