05जून,गोंडा पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मानव का नैतिक कर्तव्य और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व
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बहुजन इंडिया 24 न्यूज़ व बहुजन प्रेरणा दैनिक समाचार पत्र (सम्पादक मुकेश भारती ) 9161507983
गोंडा (राम बहादुर मौर्य- ब्यूरो रिपोर्ट )
05जून,गोंडा पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मानव का नैतिक कर्तव्य और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व
05जून,गोंडा। ‘पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक मानव का नैतिक कर्तव्य और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व है। प्रकृति सभी प्राणियों के संरक्षण का कार्य करती है और सभी प्राणी पर्यावरण की शुद्धता से स्वस्थ एवं विकसित होते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा में सभी प्राणी एक दूसरे के सहायक सिद्ध होते हैं। मानव ही नहीं सभी प्राणियों के सुखी सम्पन्न जीवन के लिए पर्यावरण की शुद्धता निहायत जरूरी है। शुद्ध हवा, पानी, रोशनी एवं मिट्टी से ही जीवन सुरक्षित रहता है। वृक्षों के बिना ऑक्सीजन की प्राप्ति सम्भव नहीं है और ऑक्सीजन के अभाव में सभी जीवों का जीवन शून्य हो जाता है। कोरोना वायरस के प्रभाव के अभाव के लिए ऑक्सीजन का कोई विकल्प ही नहीं था और मानव वैकल्पिक ऑक्सीजन पर जीवन सुरक्षित करने में अनवरत लगा रहा। कोरोना ने ऑक्सीजन की महत्ता प्रमाणित कर दी है कि ऑक्सीजन के अभाव में जीवन समाप्त हो जाता है। सभ्यता के विकास काल में जम्बू द्वीप में हरित क्रांति का बोलबाला था। सभी जीवों को पर्याप्त प्राकृतिक संरक्षण प्राप्त था। श्रम और सहयोग की भावना सर्वोपरि थी। जल, जंगल, जमीन, पहाड़, पठार, नदियां, झीलें, तालाब, समुद्र आदि को प्राकृतिक सम्पदा के रूप में संरक्षित किया जाता था। पर्यावरण के संरक्षण में बौद्ध धर्म का अविस्मरणीय योगदान रहा है। पेड़ पौधों और जीव जन्तुओं के साथ सदैव आत्मीयता स्थापित करना बौद्धों को प्रिय था और आज भी है। तथागत बुद्ध का जन्म प्रकृति के संरक्षण यानि लुम्विनी वन में,बुद्धत्व की प्राप्ति(गया) उरूवेला के वन और निरजंना नदी के किनारे पीपल (बोधि)वृक्ष के नीचे और महापरिनिर्वाण कुशीनगर में शाल वृक्षों की छाया में हुआ था। आज भी सभी बुद्ध विहार नगर और गांव से बाहर एकांत स्थान प्रकृति के संरक्षण में ही स्थापित हैं जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न होने पाये और प्राणी जगत का कल्याण हो। बौद्ध धर्म द्वारा सदैव उरूवेला,आम्रवन, वेणुवन(राजगृह),सिसिंयावन,न्यूग्रोध वन,जम्बू वन,लट्टिका वन,जेत वन(श्रावस्ती),पारलेय्यक वन (कौशाम्बी),गृद्धकूट पहाड़ी (राजगृह)आदि स्थानों शिक्षा दीक्षा देने का कार्य किया गया है। बौद्ध धर्म के स्तूप बौद्ध विहार,बौद्ध विश्वविद्यालय नालंदा,तक्षशिला,विक्रमशिला एवं अन्य पर्यटन स्थल वनाच्छादित क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ही बनाये और स्थापित किये जाते थे। ‘उक्त विचार विश्व पर्यावरण दिवस पर बनवरिया रगड़गंज रोड पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मास संगठन के राष्ट्रीय संगठक और मास संदेश पत्रिका के संपादक ए.के.नंद ने व्यक्त किया। प्रदीप त्यागी ने कहा पर्यावरण की शुद्धता हमारी आन बान शान का प्रतीक है और इसके लिए सभी को राष्ट्रीय भावना से कार्य करना चाहिए। अनुपम कुमार नंद ने कहा कि ‘वृक्ष धरा के आभूषण,दूर करें प्रदूषण ‘का बोध सभी को होना चाहिए। प्रमोद कुमार सावनेर(नागपुर)ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सम्पूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन गया है और इस चुनौतीपूर्ण समस्या में सबका सहभाग अनिवार्य है। आशीष कुमार सावनेर ने कहा कि हम सब को इसका संकल्प लेना चाहिए और कानूनन अनिवार्य किया जाए कि प्रत्येक नागरिक अनिवार्य रूप से कम से कम पांच पोधों का रोपण कर उसे संरक्षण प्रदान करे। गौरव कुमार ने कहा हमने वृक्षारोपण करके ही इस संगोष्ठी को सार्थक बनाने का कार्य किया है। अंकित कुमार शर्मा ने कहा कि वृक्षारोपण का कोई विकल्प नहीं है। डॉ.माला शर्मा ने कहा कि यह पर्यावरण संरक्षण का कार्य हम सबका राष्ट्रीय दायित्व है। गुंजन ने कहा कि सबसे पहले वृक्षारोपण कर हमे विचार देना चाहिए। सोनी ने कहा कि मैंने परिवार के साथ वृक्षारोपण किया और वृक्ष का दान भी किया है। कार्यक्रम में सुजाता निर्मला अमिता सुनीता विनीता आशू राकेश राजभर निरमल कुमार पासवान अर्जुन पंडित,ज्ञान चन्द्र मौर्य,सम्राट कुणाल,विद्या प्रकाश,हरिप्रसाद दिनकर,छोटेलाल दिवाकर,डाॅ.दिनेश राव,अजय कनौजिया दीपक कनौजिया आदि कार्यकर्ताओं ने कोविड नियमो का पालन करते हुए सहभाग किया।
राम बहादुर मौर्य बहुजन प्रेरणा दैनिक हिंदी समाचार पत्र जिला ब्यूरो चीफ गोंडा।
संपर्क नंबर 9616791345
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