Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश – बहुजन इंडिया 24 न्यूज

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

1 min read
😊 Please Share This News 😊

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

हरदोई भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक शहर है। यह हरदोई जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। हरदोई का नाम हरदोई होने के पीछे दो कारण हैं पहला कारण कि यहां का राजा जब हिरण्यकशिपु था तो उसने प्रभु हरि, भगवान विष्णु

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

और भगवान नारायण से सम्बन्धित सभी कार्य पूजा,पाठ,प्रार्थना,हवन,जप सब बंद करा दिया यहां तक कि उसने भगवान का नाम लेने पर, और जहां जहां

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

उनका (भगवान विष्णु का) नाम आता था उसको भी बदल दिया तो पहले था हरदोई फिर उसने कर दिया हद्दोई।। उसने हरदोई से र व्यंजन ही हटा दिया । और दूसरा कारण कि यहां भगवान विष्णु के दो अवतार हुए है 1 भगवान नरसिंह और 2 भगवान वामन ।। इस कारण पहले यह हद्दोई था फिर हरि+दोई (हरिदोई) किया गया परन्तु समय के साथ साथ यह हरदोई हो गया।
हरदोई की भौगोलिक स्थिति 27.42°N 80.12°E है। इसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई 134 मीटर (440 फीट) है। हरदोई लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) से 110 किमी और नई दिल्ली (भारत की राजधानी) से 394 किमी दूरी पर स्थित है।

हरदोई जिले की पूर्वी सीमा गोमती नदी बनाती है। उत्तर-पश्चिम में शाहजहाँपुर से रामगंगा मे मिलने वाली एक छोटी नदी अलग करती है इसके बाद रामगंगा इसकी दक्षिणी सीमा बनाते हुए संग्रामपुर के पास गंगा मे मिल जाती है और इस प्रकार गंगा इसकी पश्चिमी सीमा बनाती है इसके उत्तर में खीरी लखीमपुर है,दक्षिण में लखनऊ व उन्नाव जिले हैं। वस्तुतः गंगा

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

तथा गोमती के बीच एक लगभग सम्भुजाकार आकृति बनती है उत्तर -पश्चिम से दक्षिण -पूर्व की अधिकतम दूरी लगभग १२५ किमी और औसत चौड़ाई लगभग ७४ किमी है। हरदोई की एक भौगोलिक विशेषता है इसका विशाल ऊसर जो जिले के मध्य से रेलवे लाइन के दोनो ओर सण्डीला से शहाबाद तक फ़ैला है हरदोई पूर्णतया समतल है सबसे ऊँचा स्थान गोमती नदी के पासपिहानी है जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई 149.35 मीटर (490 फ़ीट) है।

जनसांख्यिकी भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, हरदोई की जनसंख्या 170,314 है जिसमें पुरुष कुल जनसंख्या का 54% और महिलाएँ 46% हैं। 2011 के अनुसार हरदोई की औसत साक्षरता दिवस 68.89% है जो यहाँ की 2001 की दर 51.88% से अधिक एवं वर्तमान राष्ट्रीय साक्षरता दर 74.9% से कम है: पुरुष साक्षरता दर 77% और महिला साक्षरता दर 59% है। हरदोई में 13% जनसंख्या 6

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

वर्ष से कम आयु के बच्चों की है।राजनीतिहरदोई के सर्वप्रथम सांसद बुलाकी राम वर्मा है जिन्हें 1952 में चुना गया।हरदोई जिले के मल्लावां विधान सभा से वर्तमान में विधायक डॉ आशीष सिंह आशु है हरदोई सदर से विधान सभा से विधायक नितिन अग्रवाल है।

यातायात हरदोई तक पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

लखनऊ से हरदोई तक पहुंचने में करीब ढेड़ घंटा लगता है। हरदोई पुराने अवध -रुहेलखण्ड रेलवे के लखनऊ लाइन पर स्थित है ,वर्तमान समय में इसे उत्तर रेलवे के रूप में जाना जाता है उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल द्वारा इसका संचालन किया जाता है जम्मू-हावड़ा, अमृतसर -हावड़ा ,उत्तर बिहार अर्थात छ्परा हाजीपुर मुज्जफ़रपुर से होकर जाने वाली मेल एक्स्प्रेस सवारी गाड़ियाँ यहाँ रुककर जाती हैं l .सड़्क मार्ग से आसपास के सभी जिलों से सीधा जुड़ा है प्रायःसभी कस्बे सड़्कों से जुड़े हैंही साथ ही गावों में भी आवागमन के लिए सड़के हैं।

 

नदियाँ और घाटनदियाँ –हरदोई में बहने वाली नदियाँ गंगा रामगंगा,गर्रा ,सुखेता ,सई ,घरेहरा आदि हैं इन नदियों पर पुराने समय में न होने के कारण निम्न्लिखित घाटों से आवागमन तथा व्यापार होता था। भट्पुर घाट –गोमती नदी पर –सण्डीला

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
       Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

के भटपुर गाँव के पास राजघाट –गोमती नदी पर —सण्डीला के बेनीगंज के पास लगभग ५किमी ,यह घाट नीमसार से सण्डीला होते हुए लखनऊ को जोड़ता था दूसरा मार्ग कछौना और माधोगंज को जोड़ता था ।महादेव घाट–सण्डीला तहसील के महुआकोला गाँव के पास नीमसार को जोडता है ।हाथीघाट गोमती पर– सण्डीला के कल्यान मल के पास मुख्य रूप से कोथावाँ के पास हत्याहरन के मेले के लिये प्रयोग किया जाता था।

                                                                                 

                                                                                इसे भी पढ़ें

दधनामऊ घाट –गोमती पर हरदोई के परगना गोपामऊ के बर्रा सराय गाँव के पास यह घाट फ़तेह्गढ़ नानपारा तथा सीतापुर को जोड़ता था,अब यहाँ सड़क पुल है ।कोल्हार घाट गोमती नदी — शाबाद तहसील के कोल्हार गाँव के पास –सड़्क पिहानी होते हुए मोहमम्दी को जाती है राज घाट गर्रा नदी –शहाबाद तहसील में पाली के पास -पाली शहाबाद के बीच ।राजघाट –गंगा नदी पर — बिलग्राम तहसील में –फ़त्तेहपुर और फ़रुखाबाद को जोड़्ता था ।देउसी घाट–गम्भीरी नदी पर बिलग्राम तहसील

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
            Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

में  ऊंचागांव भी एक अच्छा गाँव है जो शारदा नहर के पास बसा हुआ है ।मिथकीय नारद पुराण के अनुसार दैत्य राज हिरणकश्यप को यह घमंड था कि उससे सर्वश्रेष्ठ दुनिया में कोई नहीं, अतः लोगों को ईश्वर की पूजा करने की बजाय उसकी पूजा करनी चाहिए। पर उसका बेटा प्रहलाद जो कि विष्णु भक्त था (और बाद मे राजा बना उसके पुत्र का नाम विरोचन तथा पौत्र का नम महाबली था।
हिरणकश्यप की इच्छा के विरूद्ध ईश्वर की पूजा जारी रखी। हिरणकश्यप ने प्रहलाद को प्रताड़ित करने हेतु कभी उसे ऊँचे पहाड़ों से गिरवा दिया, कभी जंगली जानवरों से भरे वन में अकेला छोड़ दिया पर प्रहलाद की ईश्वरीय आस्था टस से मस न हुयी और हर बार वह ईश्वर की कृपा से सुरक्षित बच निकला। अंततः हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसके पास एक जादुई चुनरी थी, जिसे ओढ़ने के बाद अग्नि में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था, की गोद में

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

प्रहलाद को चिता में बिठा दिया ताकि प्रहलाद भस्म हो जाय। पर होनी को कुछ और ही मंजूर था, ईश्वरीय वरदान के गलत प्रयोग के चलते जादुई चुनरी ने उड़कर प्रहलाद को ढक लिया और होलिका जल कर राख हो गयी और प्रहलाद एक बार फिर ईश्वरीय कृपा से सकुशल बच निकला। दुष्ट होलिका की मृत्यु से प्रसन्न नगरवासियों ने उसकी राख को उड़ा-उड़ा कर खुशी का इजहार किया। मान्यता है कि आधुनिक होलिकादहन और उसके बाद अबीर-गुलाल को उड़ाकर खेले जाने वाली होली इसी पौराणिक घटना का स्मृति प्रतीक है।

अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है। पुराणों में उल्लेख है कि जब हिरण कश्यप को वरदान मिला कि वह साल के बारह माह में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद ही नरसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया।

हरदोई नाम पडा है हरि-द्रोही से – अर्थात जो भगवान से द्रोह करता हो। कहते हैं कि हिर्ण्याकश्यप ने अपने नगर का नाम हरि-द्रोही रखवा दिया था। उसके पुत्र ने विदोह किया। पुत्र को दण्ड देने के लिये बहिन होलिका अपने भतीजे को ले कर अग्नि में

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
             Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

प्रवेश कर गयी। अपवाद घटा। प्रह्लाद का बाल भी बाँका ना हुआ और

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

होलिका जल मरी। कहा जाता है कि जिस कुण्ड में होलिका जली थी, वो आज भी श्रवणदेवी नामक स्थल पर हरदोई में स्थित है।
दूसरी कथा के अनुसार -बली नाम का एक प्रतापी राजा था, उसके दादा प्रह्लाद ने तपस्या की और अमर राज प्राप्त किया, बली का पिता विरोचन भी नेक पुरुष था ,राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए. उसने इस तरह ९९ यज्ञ संपन्न कर दिए. राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा. राजा बलि ने १०० वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे. सारी नगरी को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया। सारी नगरी को न्योता दिया गया।भगवान ने सोचा कि राजा बलि घमंड में आकर कहीं इन्द्र का राज न

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

लेले. भगवान ने बावन अवतार का रूप धारण किया। अपना शरीर ५२ अंगुल के बराबर लंबा किया और राजा बलि की नगरी के समीप धूना जमा लिया। राजा बलि ने यज्ञ शुरू किया और मंत्रियों को हुक्म दिया कि नगरी के आस पास कोई भी मनुष्य यहाँ आए बिना न रहे. मंत्रियों ने छानबीन की तो पता चला कि भगवान रूप बावन अपनी जगह बैठा है। मंत्रियों के कहने पर वह नहीं आए. तब राजा बलि ने ख़ुद जाकर महाराज से निवेदन किया। महाराज ने राजा से कहा कि मैं आपके नगर में तब प्रवेश करुँगा कम से कम तीन(कदम) जमीन मुझे दान करो , इस पर राजा बलि को हँसी आ गई और कहा की शर्त मंजूर है। राजा बलि का वचन पाकर भगवान ने अपनी देह को इतना लंबा किया कि पूरी पृथ्वी को दो(कदम) में ही नाप लिया। और पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखू, इस पर राजा बलि ने कहा कि यह तीसरा कदम मेरे सर पर रखें।

उप्रोक्त कथानको के अनुसार हरदोई की उत्पत्ति हरिद्वय् से हुई है। जिसका अर्थ दो भगवान होता है। यह दो भगवान वामन भगवान और नरसिम्हा भगवान है जिन्हें हरिद्रव्य कहा जाता है। जिसके पश्चात्इसजगह का नाम हरदोई पड़ा। हरदोई हरिद्वेई या हरिद्रोही यूं तो हरदोई को हरिद्वेई भी कहा जाता हैक्योंकि भगवान ने यहां दो बार अवतार लिया एक बार हिरण्याकश्यप वध करने के लिये नरसिंह भगवान रूप में तथा दूसरी बार भगवान बावन रूप रखकर ।महाभारत काल कृष्ण के

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

भाई बलराम ब्राह्मणों के साथ पवित्र स्थानों के दर्शन के लिए निकले, नीमसार की ओर जाते हुए ,उन्होने देखा कि कुछ ऋषि पवित्र ग्रन्थों का पाठ सुनने में निमग्न हैं और उनका स्वागत -सत्कार उन्होंने नहीं किया तो बलराम ने क्रोध वश ऋषि के सिर को कुश नामक घास से काट दिया और फ़िर पश्चाताप से भर कर उस स्थान को बिल नामक दैत्य से छुट्कारा दिलाया।

मध्यकाल सैय्यद सालार मसूद ने पहला आक्रमण ईस्वी सन १०२८ ईस्वी मे बावन पर किया शेख घोषणा करते हैं कि उन्होंने सन १०१३ में बिलग्राम को जीत लिया पर इम्पीरियल गजेटियर का मानना है कि १२१७ से पहले स्थाई मुस्लिम कब्जा नहीं हो पाया था। अवध के गजेटियर के पेज ५५ पर बताया गया है कि१०२८ ईस्वी में सैयद सल्लर ने बावन पर कब्जा कर लिया l इसी

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

के आस पास गोपामऊ को भी जीत लिया गया सैयद मखदूम -उद- उल- अजीज- शेख उर्फ़ लाल पीर कनौज की और से गंगा पार भेजा गया जोगोपामऊ की लडाई में मारा गया किन्तु सैयद सल्लर ने दो नुमाइन्दो को यहाँ छोड़ दिया जिन्होंने यहाँ अपना कब्जा बनाने में सफलता प्राप्त की इनका नाम था -नुसरत खान और जफ़र खान l और शेखों के मुताबिक़ १० १३ ईस्वी में बिलग्राम को जीत लियाl इसके बावजूद १२१७ ईसवी तक नियमित रूप से मुस्लिम नियन्त्रण न हो सका इसका अर्थ है कि लगभा २०० वर्षों तक वे यहाँ के निवासियों से लगातार विरोध पाते रहे। सैय्य्द शाकिर ने सबसे पहली जीत गोपामऊ पर हासिल की इसौली पर सैय्यद सालेह ने विजय प्राप्त की  ।

किन्तु साण्डी और सण्डीला पर लम्बे समय तक जीत हासिल न कर पाए सण्डीला पासी साम्राज्य की राजधानी थी जो गोमती और सई नदियों के दोनों किनारों पर फ़ैला था और जिसका विस्तार लखीमपुर -खीरी के धौरहरा और मितौली तक था इस क्षेत्र

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
 Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

के पासी राजपासी कहे जाते हैं १८८१ की जनगणना में हरदोई में पासियों की जनसंख्या ७२३२६ थी इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया में बताया गया है कि पासी हरदोई में अभी भी बहुत शक्तिशाली हैं।
दर्शनीय
हरदोई नगर कि सरकुलर रोड पर स्थित बेलाताली तालाब जो 2019 के पूर्व एक आम तालाबों कि भाँति था पर इसका 2019 में सुंदरीकरण कराया गया अब यहाँ बोटिंग नाव, बच्चों के झूले, बैठने के लिए शीट, लोगो को टहलने के लिए तालाब के चारो ओर पथ, वृक्षारोपण, आदि कार्य कराये गए है जिससे यहाँ के लोगो को एक सार्वजनिक स्थल कि प्राप्ति हुई है यहाँ प्रवेश शुल्क 2 रूपये तथा वोटिंग नाव शुल्क 20 रूपये प्रति व्यक्ति है तथा मासिक पास 50 रूपये का है।

हरदोई में श्री बाबा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। इस मंदिर के पास एक पुराना टीला भी है, जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडहर कहा जाता है। इसी के पास श्रवन देवी का मंदिर है। श्री महेन्द्र नाथ वर्मा द्वारा रचत पुस्तक “हरदोइ (हरिद्वयई) इसके

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
 Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

अतिरिक्त हरदोई से लगभग ३६ किमी दूरी पर स्थित शाहाबाद मे दिलेर शाह का मकबरा भी दर्शनीय स्थल है। हरदोई से करीब 50 किलोमीटर पूर्व की दिशा में हत्‍याहरण तीर्थ है। बताते हैं कि रावण बध के बाद भगवान श्रीराम को ब्राह्मण की

Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश
Hardoi : हरदोई उत्तर प्रदेश

हत्‍या का पाप लग गया। इसके लिए राम को देश भर के तीर्थो में स्‍नान करने को कहा गया। हत्‍याहरण तीर्थ में स्‍नान करने के बाद राम को ब्राह़मण हत्‍या के पाप से मुक्ति मिली। इसी घटना के बाद इसका नाम हत्‍याहरण तीर्थ पडा। हत्‍याहरण तीर्थ से करीब 15 किलोमीटर पूर्व में अतरौली थाने के निकट जंगलीशिव तीर्थ स्‍थान है। जहां पर प्रतिमाह अमावश को मेला लगता है। तमाम श्रद्धालु जंगलीशिव तीर्थ में मार्जिन करके रोजाना पुण्‍य कमाते हैं। जंगलीशिव तीर्थ से 5 किलोमीटर पूर्व में भरावन से आगे चलने पर आस्तिक मुनि का प्राचीन मंदिर है। इसी स्‍थान पर आस्तिक मुनि ने कई वर्षो तक तपस्‍या की थी। अतरौली थानाक्षेत्र में ही भगवान बाणेश्‍वर महादेव मंदिर व तीर्थस्‍थान सोनिकपुर स्थित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्‍व है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!